भोपाल। राजधानी में निजी स्कूलों के अभिभावकों और पालक संघ मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई. इस बैठक में भोपाल के बहुत से निजी स्कूलों के अभिभावक पहुंचे, जहां पालक संघ मध्य प्रदेश से कोरोना संकट के बीच निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिकायत की, इस बैठक में सबसे अधिक अभिभावक सागर पब्लिक स्कूल भोपाल के आए थे और कोरोना कर्फ्यू के बाद रविवार को बैठक का आयोजन हुआ, हालांकि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए, बैठक का आयोजन हुआ, बैठक के बाद पालक संघ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने बताया कि पालक संघ अब गांधी विचारधारा के अनुसार आंदोलन की ओर रुख करेगा.
कोरोना संक्रमण के दौरान हुईं वर्चुअल बैठकें
राजधानी भोपाल में पालक संघ मध्य प्रदेश और अभिभावकों के बीच काफी लंबे समय के बाद आमने सामने की बैठक का आयोजन किया गया. हालांकि वर्चुअल बैठकों का दौर लगातार चलता रहा है और काफी अभिभावकों की निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें पालक संघ मध्य प्रदेश को कोरोना के समय प्राप्त होती रही हैं और पालक संघ आवेदनों और अन्य माध्यमों से अभिभावकों की बात सरकार तक पहुंचाती रही है, क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के बीच नया सत्र ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के तहत चालू हो चुका है, फीस को लेकर निजी स्कूल और अभिभावकों के बीच काफी मतभेद के साथ शिकायतें हैं.
स्कूलों के मनमानी के खिलाफ शिक्षा विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई
भोपाल के बहुत से निजी स्कूल अभिभावकों पर ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य प्रकार की फीसों को भरने के लिए तरह तरह से दबाव बना रहे हैं, जहां एक ओर लोग कोरोना संक्रमण की भयावहता से अभी बाहर नहीं आ पाए हैं, वहीं निजी स्कूल, बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस को ब्लॉक कर अभिभावकों पर फीस भरने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
गांधीवादी तरीके से आंदोलन की राह पर जाएगा पालक संघ
अभिभावकों के साथ हुई बैठक के बाद पालक संघ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने बताया कि काफी समय के बाद अभिभावकों के साथ बैठकर उनकी समस्याएं सुनी गई. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश पालक संघ मध्य प्रदेश के सभी अभिभावकों की बुलंद आवाज बनकर उभर रहा है. यहां कटारा हिल्स पर सागर पब्लिक स्कूल के 50 से 60 अभिभावकों के साथ अलग-अलग बैठक हुई है. भोपाल के लगभग 40 स्कूलों के अभिभावकों के साथ भी पालक की वर्चुअल बैठक चल रही है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग में सभी नियम लागू होने के बाद भी अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है, उन्होंने बताया कि अभिभावकों के मौलिक अधिकार के लिए अब पालक संघ गांधीवादी आंदोलन का रास्ता बनाएगा. क्योंकि राज्य सरकार कुंभकरण की तरह नींद में सो रही हो और अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है.
HC के आदेशों का प्राइवेट स्कूलों ने किया उल्लंघन
पालक संघ का कहना है कि 2020 में स्कूल फीस को लेकर हाईकोर्ट के आदेशों और सरकार के आदेशों का कई स्कूलों ने उल्लंघन किया है. HC के आदेशों की धज्जियां उड़ाई है, 50% स्कूलों ने तो सरकार के आदेशों का पालन किया, लेकिन बड़े स्कूलों ने सरकार पर दबाव बनाकर अभिभावकों से फीस वसूली का धंधा बना रखा है. मनमानी के खिलाफ पालक संघ मध्य प्रदेश आंदोलन पर उतरेगा.
निजी स्कूलों ने बढ़ाई फीस
पालक संघ मध्य प्रदेश के प्रदेश महासचिव प्रमोद पंड्या से जब ईटीवी भारत ने पूछा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फीस को लेकर 2020 के आदेश की सभी स्कूलों ने अपने अपने आधार पर परिभाषा तैयार की है, तो उन्होंने बताया कि 4 नवंबर 2020 को हाई कोर्ट द्वारा जो निर्णय दिया गया था, उसके अनुसार केवल ट्यूशन फीस ही कोरोना महामारी के समय ली जाएगी. इसके अलावा कोई अन्य मद में कोई फीस चार्ज नहीं की जाएगी, इस पर निजी विद्यालयों ने पुनः अपील की थी और फाइनल जजमेंट में कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जिन सुविधाओं का उपयोग बच्चे नहीं कर रहे हैं, उन सुविधाओं का कोई शुल्क नहीं लिया जाए, दूसरा साल 2020-2021 के सत्र में कोई फीस वृद्धि नहीं होगी, तीसरा केवल ट्यूशन फीस ही अभिभावकों से ली जाएगी. यदि कोई परीक्षा आयोजित होती है तो उस परीक्षा का परीक्षा शुल्क लिया जा सकेगा और उस आदेश के बिंदु क्रमांक 12 में हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश कोरोना महामारी के रहते तक जारी रहेगा जब तक स्थितियां सामान्य नहीं हो जाती तब तक यह आदेश जारी रहेगा. कई निजी स्कूलों का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश सिर्फ 2020 के लिए था, लेकिन ऐसा नहीं है, इस वर्ष भी 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आई और विश्व के विशेषज्ञ और भारत के विशेषज्ञ भी तीसरी लहर आने की बात स्वीकार कर रहे हैं, कोरोना के बाद भी उसके आफ्टर इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं.
फीस रेगुलेशन एक्ट लागू होने के बाद भी क्रियान्वयन नहीं
पालक संघ के महासचिव पंड्या ने बताया कि मध्यप्रदेश में नवम्बर दिसंबर 2020 में फीस रेगुलेशन एक्ट लागू हो गया है. फीस रेगुलेशन एक्ट के अनुसार हर निजी स्कूल को अपने पोर्टल पर सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले यह दिखाना होगा कि इस सत्र में उनकी फीस क्या होगी. शिक्षा विभाग भी इसके लिए पोर्टल बनाएगा कि किस-किस स्कूलों की फीस किस सत्र में क्या होगी. इसमें दुर्भाग्य की बात यह है कि इस सत्र में ना तो स्कूलों ने अपने पोर्टल पर इस बात को दर्शाया और न ही प्रदेश का शिक्षा विभाग ऐसा कोई पोर्टल बना पाया. इसके अलावा स्कूलों से जो फीस सरकार को मिलनी है उस फीस का निर्धारण भी नहीं हो पाया और फीस रेगुलेशन एक्ट के नियम के अनुसार जिले में फीस कमेटियां बननी थी, जो नहीं बन पाई है और ऐसे में निजी स्कूलों ने 20 से 30 % तक अपनी फीस में वृद्धि की है. जबकि नियम के अनुसार फीस में 10% से अधिक की वृद्धि नहीं की जा सकती है.
निजी स्कूलों की फीस से अभिभावक परेशान, गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन
मध्य प्रदेश में फीस रेगुलेशन एक्ट लागू हो चुका है, इस नियम के अनुसार फीस को लेकर यदि किसी अभिभावक को कोई परेशानी है, तो वह जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत कर सकता है. अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि भोपाल में कब तक इस कमेटी का गठन हो पाता है और कब अभिभावकों की समस्या की सुनवाई शुरू होती है.