ETV Bharat / city

Gayatri Jayanti 2022: गायत्री जयंती आज, ऐसे करें मां की पूजा और जानें Gayatri Mantra का अर्थ - Gayatri Jayanti pujan

Gayatri Jayanti 2022 गंगा दशहरा के अगले दिन यानी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनायी जाती है, लेकिन इस साल यह 11 जून यानी शनिवार के दिन है.

Gayatri Jayanti 2022
गायत्री जयंती कल, ऐसे करें मां की पूजा
author img

By

Published : Jun 10, 2022, 11:04 PM IST

भोपाल। 11 जून यानी शनिवार के दिन मां गायत्री की जयंती पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता गायत्री को त्रिमूर्ति देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की देवी माना जाता है, इसलिए माता को सभी वेदों की देवी होने के कारण वेद माता भी कहां जाता है. कहते हैं कि माता को समस्त सात्विक गुणों का प्रतिरूप है और ब्रह्मांड में मौजूद समस्त सद्गगुण माता गायत्री की ही देन है. माता गायत्री को देवताओं की माता और देवी सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी मां का अवतार भी कहां जाता है.

ऐसे करें मां की पूजा: प्रातकाल मां गायत्री की साधना पूर्व दिशा की ओर मुंह करके और शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करना उत्तम माना जाता है. मां गायत्री को पृथ्वी लोक की कामधेनु कहा जाता है. क्योंकि यह समस्त प्रकार के रोग, शोक, विकार और बाधाओं को दूर कर व्यक्ति को आरोग्य सौभाग्य ज्ञान विवेक प्रदान करती हैं. मां गायत्री को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि मां गायत्री की उपासना करने वाले को वह सब कुछ प्राप्त हो जाता है जो उसके कल्याण के लिए जरूरी होता है. जिस प्रकार से पुष्प में शहद, दूध में घी, चंद्रमा में आह्लाद, सूर्य में तपन, अग्नि में तेज और जल में शीतलता का सार होता है उसी प्रकार समस्त देव शक्तियों का सार मां गायत्री हैं.

Shani Vakri 2022: शनिवार को ये काम करने से खुश होंगे शनिदेव, जानें किन चीजों की है मनाही

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहली बार गायत्री मंत्र का आभास ब्रह्माजी को हुआ और फिर उन्होंने अपने प्रत्येक मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. मान्यता है कि हिंदू धर्म में वेदों को नींव कहे जाने वाले वेद गायत्री मंत्र की व्याख्या है जो ब्रह्मा जी ने की थी, यह भी कहा जाता है कि गायत्री मंत्र पहले देवी-देवताओं तक ही सीमित था. जिस प्रकार भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाकर लोगों के तन- मन को पवित्र किया, उसी तरह ही ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को धरती तक पहुंचकर लोगों की आत्मा को शुद्ध करने का कार्य किया. माना जाता है कि गायत्री माता सूर्य मंडल में निवास करतीं हैं, इसलिए यह भी कहां जाता है कि अगर किसी की कुंडली में सूर्य दोष हो, वे लोगों गायत्री मंत्र का जाप करने से सूर्य दोष से मुक्ति पा सकते हैं.

गायत्री मंत्र का अर्थ: गायत्री महामंत्र के 24 अक्षर परम शक्तिशाली और परम सौभाग्य को प्रदान करने वाले होते हैं. कहते है कि इस मंत्र का जाप करने से विभिन्न प्रकार की सफलता सिद्धियां और सम्पन्नता जैसे गुण मिलते हैं. तो आइए आज मंत्र का अर्थ और शब्द समझते हैं-

मंत्र- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
मंत्र का हिंदी अर्थ- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें.

भोपाल। 11 जून यानी शनिवार के दिन मां गायत्री की जयंती पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता गायत्री को त्रिमूर्ति देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की देवी माना जाता है, इसलिए माता को सभी वेदों की देवी होने के कारण वेद माता भी कहां जाता है. कहते हैं कि माता को समस्त सात्विक गुणों का प्रतिरूप है और ब्रह्मांड में मौजूद समस्त सद्गगुण माता गायत्री की ही देन है. माता गायत्री को देवताओं की माता और देवी सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी मां का अवतार भी कहां जाता है.

ऐसे करें मां की पूजा: प्रातकाल मां गायत्री की साधना पूर्व दिशा की ओर मुंह करके और शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करना उत्तम माना जाता है. मां गायत्री को पृथ्वी लोक की कामधेनु कहा जाता है. क्योंकि यह समस्त प्रकार के रोग, शोक, विकार और बाधाओं को दूर कर व्यक्ति को आरोग्य सौभाग्य ज्ञान विवेक प्रदान करती हैं. मां गायत्री को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि मां गायत्री की उपासना करने वाले को वह सब कुछ प्राप्त हो जाता है जो उसके कल्याण के लिए जरूरी होता है. जिस प्रकार से पुष्प में शहद, दूध में घी, चंद्रमा में आह्लाद, सूर्य में तपन, अग्नि में तेज और जल में शीतलता का सार होता है उसी प्रकार समस्त देव शक्तियों का सार मां गायत्री हैं.

Shani Vakri 2022: शनिवार को ये काम करने से खुश होंगे शनिदेव, जानें किन चीजों की है मनाही

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहली बार गायत्री मंत्र का आभास ब्रह्माजी को हुआ और फिर उन्होंने अपने प्रत्येक मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. मान्यता है कि हिंदू धर्म में वेदों को नींव कहे जाने वाले वेद गायत्री मंत्र की व्याख्या है जो ब्रह्मा जी ने की थी, यह भी कहा जाता है कि गायत्री मंत्र पहले देवी-देवताओं तक ही सीमित था. जिस प्रकार भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाकर लोगों के तन- मन को पवित्र किया, उसी तरह ही ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को धरती तक पहुंचकर लोगों की आत्मा को शुद्ध करने का कार्य किया. माना जाता है कि गायत्री माता सूर्य मंडल में निवास करतीं हैं, इसलिए यह भी कहां जाता है कि अगर किसी की कुंडली में सूर्य दोष हो, वे लोगों गायत्री मंत्र का जाप करने से सूर्य दोष से मुक्ति पा सकते हैं.

गायत्री मंत्र का अर्थ: गायत्री महामंत्र के 24 अक्षर परम शक्तिशाली और परम सौभाग्य को प्रदान करने वाले होते हैं. कहते है कि इस मंत्र का जाप करने से विभिन्न प्रकार की सफलता सिद्धियां और सम्पन्नता जैसे गुण मिलते हैं. तो आइए आज मंत्र का अर्थ और शब्द समझते हैं-

मंत्र- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
मंत्र का हिंदी अर्थ- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.