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मध्यप्रदेश में फिर शिव'राज' या नाथ ही 'राजा', शुक्रवार को किस 'कमल' का बजेगा बाजा ?

मध्यप्रदेश का सियासी घमासान अंतिम दौर में है. शुक्रवार को इसके लिए फ्लोर टेस्ट होना है, कमलनाथ का कौन थाम सकता है हाथ, हाथ थामने से क्या बच सकती है सरकार या फिर मध्यप्रदेश में एक बार फिर शिवराज!, मध्यप्रदेश के सियासी खेल में बागियों की भूमिका जानिए पूरा मामला....

floor test of kamal nath government full analysis
कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट
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Published : Mar 16, 2020, 7:54 AM IST

Updated : Mar 19, 2020, 11:03 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घमासान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कुछ हद तक विराम लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब 20 मार्च यानि शुक्रवार को सदन में फ्लोर टेस्ट होगा. सदन की इस पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी की जाएगी. लेकिन वर्तमान स्थितियों को देखते कुछ सवाल उठ रहे हैं कि क्या सिर्फ कांग्रेस खेमे के विधायक ही बागी रुख अपना सकते हैं या फिर कमलनाथ-दिग्गी की जोड़ी बीजेपी के खेमे में सेंध लगा सकती है.

कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट

ऐसी स्थिति में तो सीधे तौर पर देखा जा सकता है कि कांग्रेस के बागी विधायक बेंगलुरु में मौजूद हैं और कांग्रेस के साथ आने से साफ इनकार कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार इन्हें मनाने के लिए कवायद में जुटे हुए हैं. जिसकी कमान दिग्विजय सिंह ने संभाल रखी है. कांग्रेस के दावे के मुताबिक अगर बागी विधायकों में से अगर कुछ विधायक फिर से कांग्रेस के साथ आ जाते हैं और सीएम कमलनाथ को बीजेपी के विधायकों का साथ मिल जाता है तो कमलनाथ सरकार की डूबती नैया पार होने के आसार हैं. जो फिलहाल मुश्किल दिखाई दे रहा है.

मध्यप्रदेश के मौजूदा सियासी गणित पर नजर डाली जाए तो 230 सीटों में से दो विधायकों के निधन से सीटों की संख्या 228 हो जाती है. वहीं इनमे से स्पीकर ने 6 विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए हैं. जिससे सदन में सीटों की संख्या घटकर 222 हो जाती है और जादुई आंकड़ा 112 हो जाता है. ध्यान देने वाली बात है कि ये स्थिति तब बन सकती है, जब बागी विधायक सदन में उपस्थित रहें और वोट करें.

कांग्रेस के पास पहले 114 विधायक थे. जिनमें से 6 के इस्तीफे हो चुके हैं. जिससे संख्या घटकर 108 हो जाती है. मौजूदा हाल में अगर ये मान लिया जाए कि बेंगलुरु के बागी विधायक कमलनाथ सरकार के साथ नहीं आते और बीजेपी को वोट करते हैं तो ये कांग्रेस के पास 92 विधायक ही बचते हैं. कांग्रेस के दावे के मुताबिक अगर उन्हें चार निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का साथ भी मिल जाता है तो कांग्रेस के पास 99 विधायक हो पाएंगे. ऐसे में कमलनाथ सरकार बहुमत से कोसों दूर रह जाएगी. वहीं बीजेपी 123 विधयाकों के साथ सरकार बना लेगी. जिसमें 107 बीजेपी के और 16 कांग्रेस के बागी विधायक शामिल हैं.

अगर बागी विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान सदन में उपस्थित ही नहीं होते तो सदन में कुल सीटों की संख्या 206 हो जाएगी. जिसमें बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा. इस सूरत में निर्दलीय विधायकों के साथ कांग्रेस 99 पर आउट हो सकती है और बीजेपी अपने 107 विधायकों के साथ सरकार बना सकती है.

लेकिन अगर कांग्रेस बीजेपी के खेमे में सेंध लगाने में सफल हो जाती है, जैसा कि उसका दावा है, तो स्थिति कुछ बदल सकती है. बीजेपी के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल अगर पाला बदल लें, तो कांग्रेस के पास 101 विधायक ही हो पाएंगे. बीजेपी 105 विधायकों के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी.

कुल-मिलाकर अगर सीएम कमलनाथ को कुर्सी बचानी है तो कांग्रेस के 16 बागी विधायक सदन में उपस्थिति हों और कांग्रेस के पक्ष में वोट दें, तभी सरकार बचेगी. वहीं बीजेपी को सत्ता में आना है तो बागी विधायक या तो सदन में उपस्थित ही न हों या फिर उसके पक्ष में वोट करें, तभी बीजेपी की सरकार बन सकती है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घमासान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कुछ हद तक विराम लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब 20 मार्च यानि शुक्रवार को सदन में फ्लोर टेस्ट होगा. सदन की इस पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी की जाएगी. लेकिन वर्तमान स्थितियों को देखते कुछ सवाल उठ रहे हैं कि क्या सिर्फ कांग्रेस खेमे के विधायक ही बागी रुख अपना सकते हैं या फिर कमलनाथ-दिग्गी की जोड़ी बीजेपी के खेमे में सेंध लगा सकती है.

कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट

ऐसी स्थिति में तो सीधे तौर पर देखा जा सकता है कि कांग्रेस के बागी विधायक बेंगलुरु में मौजूद हैं और कांग्रेस के साथ आने से साफ इनकार कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार इन्हें मनाने के लिए कवायद में जुटे हुए हैं. जिसकी कमान दिग्विजय सिंह ने संभाल रखी है. कांग्रेस के दावे के मुताबिक अगर बागी विधायकों में से अगर कुछ विधायक फिर से कांग्रेस के साथ आ जाते हैं और सीएम कमलनाथ को बीजेपी के विधायकों का साथ मिल जाता है तो कमलनाथ सरकार की डूबती नैया पार होने के आसार हैं. जो फिलहाल मुश्किल दिखाई दे रहा है.

मध्यप्रदेश के मौजूदा सियासी गणित पर नजर डाली जाए तो 230 सीटों में से दो विधायकों के निधन से सीटों की संख्या 228 हो जाती है. वहीं इनमे से स्पीकर ने 6 विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए हैं. जिससे सदन में सीटों की संख्या घटकर 222 हो जाती है और जादुई आंकड़ा 112 हो जाता है. ध्यान देने वाली बात है कि ये स्थिति तब बन सकती है, जब बागी विधायक सदन में उपस्थित रहें और वोट करें.

कांग्रेस के पास पहले 114 विधायक थे. जिनमें से 6 के इस्तीफे हो चुके हैं. जिससे संख्या घटकर 108 हो जाती है. मौजूदा हाल में अगर ये मान लिया जाए कि बेंगलुरु के बागी विधायक कमलनाथ सरकार के साथ नहीं आते और बीजेपी को वोट करते हैं तो ये कांग्रेस के पास 92 विधायक ही बचते हैं. कांग्रेस के दावे के मुताबिक अगर उन्हें चार निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का साथ भी मिल जाता है तो कांग्रेस के पास 99 विधायक हो पाएंगे. ऐसे में कमलनाथ सरकार बहुमत से कोसों दूर रह जाएगी. वहीं बीजेपी 123 विधयाकों के साथ सरकार बना लेगी. जिसमें 107 बीजेपी के और 16 कांग्रेस के बागी विधायक शामिल हैं.

अगर बागी विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान सदन में उपस्थित ही नहीं होते तो सदन में कुल सीटों की संख्या 206 हो जाएगी. जिसमें बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा. इस सूरत में निर्दलीय विधायकों के साथ कांग्रेस 99 पर आउट हो सकती है और बीजेपी अपने 107 विधायकों के साथ सरकार बना सकती है.

लेकिन अगर कांग्रेस बीजेपी के खेमे में सेंध लगाने में सफल हो जाती है, जैसा कि उसका दावा है, तो स्थिति कुछ बदल सकती है. बीजेपी के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल अगर पाला बदल लें, तो कांग्रेस के पास 101 विधायक ही हो पाएंगे. बीजेपी 105 विधायकों के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी.

कुल-मिलाकर अगर सीएम कमलनाथ को कुर्सी बचानी है तो कांग्रेस के 16 बागी विधायक सदन में उपस्थिति हों और कांग्रेस के पक्ष में वोट दें, तभी सरकार बचेगी. वहीं बीजेपी को सत्ता में आना है तो बागी विधायक या तो सदन में उपस्थित ही न हों या फिर उसके पक्ष में वोट करें, तभी बीजेपी की सरकार बन सकती है.

Last Updated : Mar 19, 2020, 11:03 PM IST
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