भोपाल। कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रदेश का पूरा प्रशासन जुटा है. लेकिन प्रदेश में बदली सियासी स्थितियों के चलते राज्य का आम बजट पास नहीं हो पाया. ऐसे में कोरोना से निटपने के लिए प्रदेश के खजाने पर भार बढ़ना तय है. जिसके चलते प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए पैसों की जरुरत पड़ेगी. यानि राजस्व में कटौती होते है तो राज्य सरकार पर भार बढ़ सकता है.
बढ़ सकता है प्रदेश का कर्ज
प्रदेश में फिलहाल नई-नई बनी शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का भी गठन नहीं हो पाया है. प्रदेश का आम बजट मार्च में आना था. लेकिन सरकार बदली और फिर कोरोना के चलते लॉक डाउन हुआ. जिससे आम बजट पेश नहीं हुआ. ऐसे में प्रदेश सरकार फिलहाल बगेर बजट पेश किए ही राज्य का खर्चा चला रही है. जिससे प्रदेश सरकार बाजार से कर्ज ले सकती है.
किसानों को मुआवजा और फसल खरीदी की समस्या
प्रदेश में किसानों की परेशानियां भी प्रदेश सरकार की बढ़ी समस्या है. प्रदेश में कई जिलों में हुई ओलावृष्टि से प्रदेश के किसानों को नुकसान हुआ, जिसका मुआवजा प्रदेश सरकार को किसानों के खाते में डालना है. इसी तरह किसानों की फसल खरीदी भी अब तक शुरु नहीं हो पाई है. लॉक डाउन के बाद अगर फसल खरीदी शुरु होती तो उसका भुगतान करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. प्रदेश में 13 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं. जिनका करीब 5 हजार करोड़ रुपए का भुगतान भी सरकार को करना होगा.
बढ़ाया जा सकता है प्रदेश का बजट
प्रदेश सरकार पर बढ़ते खर्चे के बीच अब शिवराज सरकार प्रदेश का आम बजट बढ़ा सकती है. पिछले साल सरकार ने 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था. जिसे इस साल और बढ़ाए जाने की योजना बन सकती है. प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नई आबकारी नीति और रेत नीती बदली है. इससे अगर प्रदेश सरकार को मुनाफा होता है तो सरकार के लिए कुछ राहत की बात हो सकती है. वाणिज्य विभाग की माने तो 2020-21 के लिए 61 हजार करोड़ रुपए का राजस्व जीएसटी, वैट, आबकारी और पंजीयन एवं मुद्रांक से प्रस्तावित किया गया है. लेकिन इतने से प्रदेश सरकार के खर्चे का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता. जिससे प्रदेश सरकार अपना बजट बढ़ा सकती है.