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मकर संक्रांति पर कोरोना का साया, नर्मदा-क्षिप्रा के किनारे मेले और सामुहिक स्नान प्रतिबंधित, धारा 144 लागू, तोड़ने पर होगी कठोर कार्रवाई

कोरोना के बढ़ते संक्रमण में जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है. इसी को देखते हुए प्रशासन ने मकर संक्रांति के मौके पर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के पास बहने वाली नदियों में स्नान (fair and bath band on narmada shipra) पर पाबंदी लगा दी है. ओंकारेश्वर और जबलपुर में नर्मदा के सभी घाटों के साथ ही उज्जैन में क्षिप्रा के घाटों पर भी स्नान पर पाबंदी है

मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले
fair and bath band on narmada shipra
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Published : Jan 12, 2022, 9:24 PM IST

भोपाल। कोरोना के बढ़ते संक्रमण में जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है. इसी को देखते हुए प्रशासन ने मकर संक्रांति के मौके पर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के पास बहने वाली नदियों में स्नान (fair and bath band on narmada shipra) पर पाबंदी लगा दी है. ओंकारेश्वर और जबलपुर में नर्मदा के सभी घाटों के साथ ही उज्जैन में क्षिप्रा के घाटों पर भी स्नान पर पाबंदी है. इसके अलावा तीर्थ स्थलों पर आयोजित होने वाले मेलों और ज्योतिर्लिंग मंदिर में 1 दिन के लिए दर्शन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. संक्रांति (baned imposed due to corona) के मौके पर नदियों के घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लगाए जाने के आदेश भी जारी कर दिए हैं.

fair and bath band on narmada shipra
मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

मोरटक्का घाट पर जुटते हैं 50 से अधिक श्रद्धालु

मकर संक्रांति पर ओंकारेश्वर और नर्मदा किनारे के मोरटक्का घाट पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालु नर्मदा स्नान के लिए पहुंचते हैं. यहां होने वाली भीड़ और कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका को देखते हुए एसडीएम और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट के सीईओ के प्रस्ताव पर कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए घाटों पर लगने वाले मेले और स्नान के लिए जुटने को धारा 144 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है.

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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले
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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

1 दिन नहीं होंगे ओंकारेश्वर के दर्शन

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर में दर्शन को भी एक दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. ओंकारेश्वर मंदिर में मकर संक्रांति पर 14 से 15 जनवरी तक बाहरी श्रद्धालु नहीं जा सकेंगे. संक्रांति पर यहां उमड़ने वाली भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने आदेश जारी किए हैं.

जबलपुर में भी नर्मदा के सभी घाटों पर स्नान पर प्रतिबंध

जबलपुर में भी मकर संक्रांति के दिन नर्मदा के घाटों लगने वाले मेलों पर कोरोना के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. मेलों के आयोजन को धारा 144 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर नर्मदा तटों पर मेलों का आयोजन भी नहीं होगा. जबलपुर की गोरखपुर एसडीएम दिव्या अवस्थी ने गोरखपुर अनुभाग में आने वाले ग्वारीघाट, जिलहरीघाट, खारीघाट, सिद्धघाट, उमाघाट, घुघराघाट, शंकरघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट और भेड़ाघाट में मकर संक्रांति पर समूह में एकत्र होने तथा नदी में स्नान करने पर भी रोक रहेगी. प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.

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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

लापरवाही पड़ सकती है भारी

नए साल की शुरूआत के साथ ही प्रदेश में कोरोना के संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है. जिसने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है. नर्मदा और क्षिप्रा के घाटों पर लगने वाले मकर संक्रांति के मेलों पर भारी संख्या में भीड़ जुटती है. इस भीड़ से कोरोना संक्रमण का विस्फोट हो सकता है. ऐसे में लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए आने वाले अन्य पर्वों के दौरान भी मेलों के आयोजन को प्रतिबंधित कर दिया है.

खरगोन का नवग्रह मंदिर भी रहेगा बंद

मकर संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य देव से माना जाता है. इस दिन सूरज उत्तरायणन से दक्षिणायन की ओर गति करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं. ऐसे में लोग अपने घरों में सूर्य देवता को अर्घ्य देकर, स्नान कर उनकी पूजा अर्चना के साथ तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान करते हैं. इस मौके पर मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में स्थित नवग्रह मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. मकर संक्रांति के अवसर पर यहां दुर्लभ नजारा देखने को मिलता है. यहां नवग्रह के बीच में भगवान सूर्य की भी प्रतिमा स्थापित की गई है. खास बात यह है कि सिर्फ मकर संक्रांति के दिन ही यहां मौजूद सूर्य प्रतिमा पर सुबह की पहली किरण पड़ती हैं. सूर्य की प्रतिमा को मंदिर गर्भगृह के बीच में स्थापित किया गया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यहां भी मंदिर के भीतर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. यहां आने वाले श्रद्धालु सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए बाहर से ही दर्शन कर सकेंगे.

भोपाल। कोरोना के बढ़ते संक्रमण में जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है. इसी को देखते हुए प्रशासन ने मकर संक्रांति के मौके पर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के पास बहने वाली नदियों में स्नान (fair and bath band on narmada shipra) पर पाबंदी लगा दी है. ओंकारेश्वर और जबलपुर में नर्मदा के सभी घाटों के साथ ही उज्जैन में क्षिप्रा के घाटों पर भी स्नान पर पाबंदी है. इसके अलावा तीर्थ स्थलों पर आयोजित होने वाले मेलों और ज्योतिर्लिंग मंदिर में 1 दिन के लिए दर्शन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. संक्रांति (baned imposed due to corona) के मौके पर नदियों के घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लगाए जाने के आदेश भी जारी कर दिए हैं.

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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

मोरटक्का घाट पर जुटते हैं 50 से अधिक श्रद्धालु

मकर संक्रांति पर ओंकारेश्वर और नर्मदा किनारे के मोरटक्का घाट पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालु नर्मदा स्नान के लिए पहुंचते हैं. यहां होने वाली भीड़ और कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका को देखते हुए एसडीएम और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट के सीईओ के प्रस्ताव पर कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए घाटों पर लगने वाले मेले और स्नान के लिए जुटने को धारा 144 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है.

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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले
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मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

1 दिन नहीं होंगे ओंकारेश्वर के दर्शन

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर में दर्शन को भी एक दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. ओंकारेश्वर मंदिर में मकर संक्रांति पर 14 से 15 जनवरी तक बाहरी श्रद्धालु नहीं जा सकेंगे. संक्रांति पर यहां उमड़ने वाली भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने आदेश जारी किए हैं.

जबलपुर में भी नर्मदा के सभी घाटों पर स्नान पर प्रतिबंध

जबलपुर में भी मकर संक्रांति के दिन नर्मदा के घाटों लगने वाले मेलों पर कोरोना के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. मेलों के आयोजन को धारा 144 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर नर्मदा तटों पर मेलों का आयोजन भी नहीं होगा. जबलपुर की गोरखपुर एसडीएम दिव्या अवस्थी ने गोरखपुर अनुभाग में आने वाले ग्वारीघाट, जिलहरीघाट, खारीघाट, सिद्धघाट, उमाघाट, घुघराघाट, शंकरघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट और भेड़ाघाट में मकर संक्रांति पर समूह में एकत्र होने तथा नदी में स्नान करने पर भी रोक रहेगी. प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.

fair and bath band on narmada shipra
मकर संक्रांति पर नर्मदा क्षिप्रा के किनारे नहीं लगेंगे मेले

लापरवाही पड़ सकती है भारी

नए साल की शुरूआत के साथ ही प्रदेश में कोरोना के संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है. जिसने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है. नर्मदा और क्षिप्रा के घाटों पर लगने वाले मकर संक्रांति के मेलों पर भारी संख्या में भीड़ जुटती है. इस भीड़ से कोरोना संक्रमण का विस्फोट हो सकता है. ऐसे में लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए आने वाले अन्य पर्वों के दौरान भी मेलों के आयोजन को प्रतिबंधित कर दिया है.

खरगोन का नवग्रह मंदिर भी रहेगा बंद

मकर संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य देव से माना जाता है. इस दिन सूरज उत्तरायणन से दक्षिणायन की ओर गति करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं. ऐसे में लोग अपने घरों में सूर्य देवता को अर्घ्य देकर, स्नान कर उनकी पूजा अर्चना के साथ तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान करते हैं. इस मौके पर मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में स्थित नवग्रह मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. मकर संक्रांति के अवसर पर यहां दुर्लभ नजारा देखने को मिलता है. यहां नवग्रह के बीच में भगवान सूर्य की भी प्रतिमा स्थापित की गई है. खास बात यह है कि सिर्फ मकर संक्रांति के दिन ही यहां मौजूद सूर्य प्रतिमा पर सुबह की पहली किरण पड़ती हैं. सूर्य की प्रतिमा को मंदिर गर्भगृह के बीच में स्थापित किया गया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यहां भी मंदिर के भीतर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. यहां आने वाले श्रद्धालु सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए बाहर से ही दर्शन कर सकेंगे.

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