भोपाल। ऑल इण्डिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी (AIMTC) के अध्यक्ष हजरत पीरजादा डाॅ. औसाफ शाहमीर खुर्रम मियां चिश्ती ने बताया कि ईद मिलाद उन नबी का चांद नजर आ गया है. इस लिहाज से इस्लामी कैलेण्डर वर्ष 1444 हिजरी का माह रबी उल अव्वल का पवित्र महीना आज 28 सितम्बर से शुरू हो गया. आज शाम से ही प्रदेश की अनेक मस्जिदों, खानकाहों, इमामबाड़ों, जमातखानों, मदरसों, दरगाहों में सीरत पाक (पैगंबर मोहम्मद) के जिक्र, नियाज, फातिहा और लंगर शुरू होंगे.
राज्य सरकार ने दिये अधिकारियों को निर्देश: 9 अक्टूबर को देश के सभी जिलों में परम्परागत जश्न मनाये जायेंगे. जुलूस और जलसे होंगे. सभी कार्यक्रमों में गाइड लाइन का पालन किया जायेगा. AIMTC (All India Muslim Festival Committee) के अध्यक्ष ने बताया कि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से इस सम्बंध में चर्चा हुई है. ईद मिलाद उन नबी त्योहार की तैयारियों के सिलसिले में राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टर, कमिश्नर, आईजी एवं अन्य पुलिस अधिकारियों, बिजली विभाग, नगरीय निकायों के अधिकारियों सहति जिला पंचायत अधिकारियों को ईद मिलाद उन नबी के अवसर पर बेहतर व्यवस्थाएं, धार्मिक, परम्परागत कार्यक्रमों में सुरक्षा व्यवस्था करने के कड़े निर्देश दिये हैं.
Eid Milad-un-Nabi 2021: ईद मिलाद-उन-नबी आज, जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
अकीदत के साथ पर्व मनाने की अपील: मध्य प्रदेश के सभी जिलों, शहरों में भी ऑल इण्डिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी AIMTC की जिला इकाईयों के तत्वावधान में ईद मिलाद उन नबी के परम्परागत सभी धार्मिक कार्यक्रम गंगा जमुनी संस्कृति के तहत आपसी समन्वय से सद्भावनापूर्वक सम्पन्न होंगे. AIMTC (All India Muslim Festival Committee) के अध्यक्ष ने सभी प्रदेशवासियों से ईद मिलाद उन नबी का त्यौहार प्रदेश की गंगा जमुनी तहज़ीब के मुताबिक आपसी सद्भाव, प्रेम, भाईचारे और अकीदत के साथ मिल जुलकर मनाने की अपील की है.
ईद मिलाद उन-नबी का महत्व: ईद मिलाद उन-नबी (Eid Milad-un-Nabi) पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. अपने जीवन के दौरान मुहम्मद ने इस्लाम की स्थापना की और एक एकल राज्य के रूप में सऊदी अरब का गठन किया, जो ईश्वर की सेवा के लिए समर्पित था. 632 ईस्वी में मुहम्मद की मृत्यु के बाद, कई मुसलमानों ने उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं को विभिन्न अनौपचारिक छुट्टियों के साथ मनाना शुरू कर दिया. इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं. घरों और मस्जिदों में आज कुरान पढ़ी जाती है. ईद मिलाद उन-नबी के मौके पर घर और मस्जिद को सजाया जाता है और मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ा जाता है. हजरत मोहम्मद का एक ही संदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है. इस दिन लोग गरीबों में दान भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ईद मिलाद उन-नबी (Eid Milad-un-Nabi) के दिन दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं. सुन्नी और शिया (Sunnis and Shias) इस्लाम के दो प्रमुख पंत (two major sects of Islam) हैं. वे अलग-अलग दिनों में इस अवसर का सम्मान और स्मरण करते हैं लेकिन एक ही महीने में. सुन्नी इस दिन को महीने के 12वें दिन मनाते हैं, जबकि शिया इसे महीने के 17वें दिन मनाते हैं.
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