भोपाल। कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही सेनिटाइजर की डिमांड कई गुना बढ़ गई है. इसकी वजह से प्रदेश में ब्रांडेड कंपनियों के सेनिटाइजर लगभग गायब हो चुके हैं तो कई नई-नई कंपनियों के नाम से सेनिटाइजर बिक रहे है. ऐसे में ये पता लगाना मुश्किल हो गया है कि आप जो सेनिटाइजर उपयोग कर रहे हैं वो वास्तव में डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन पर खरा उतरता है या नहीं.
भोपाल के सीनियर डॉ जेपी पालीवाल असली और नकली सेनिटाइजर पहचाने की बहुत आसान विधि बताते हैं. वो कहते हैं कि आप जैसे ही सेनिटाइजर अपने हाथ में लेकर उसे लगाते मुश्किल से 30 सेकेंड के अंदर असली सेनिटाइजर हाथ में लगाने के साथ ही उड़ जाता है. उसमें किसी तरह की चिपचिपाहट नहीं होती. लेकिन यदि किसी सेनिटाइजर को लगाने के बाद उसमें चिपचिपाहट रह जाती है तो समझ लीजिए ये सेनिटाइजर आपको कोरोना जैसे वायरस से बचाने में कारगर नहीं है. असली सेनिटाइजर में कम से कम 70 फ़ीसदी तक आइसोप्रोपेनॉल अल्कोहल होना चाहिए. इसलिए जब भी कोई सेनिटाइजर ले तो उसमें अल्कोहल की मात्रा जरूर देख लें.
स्लीपर पहने, कोशिश करे बेल्ट, पर्स ना रखें
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए डॉक्टर जेपी सलाह देते है कि घर से निकलने से फिलहाल परहेज करें. अगर आपातकालीन हालात में निकलना भी पड़े तो जूतों के स्थान पर स्लीपर पहनें. इन्हें लौटने पर अच्छे से धोना ज्यादा आसान होता है. जूतों को आप धो नहीं सकते जिससे इस पर वायरस होने की संभावना बनी रह सकती है. कोशिश करें कि पर्स और बेल्ट भी न लगाएं.
MP में डिस्टलरी कंपनियों को सौंपा सैनिटाइजर बनाने का काम
मध्यप्रदेश में सेनिटाइजर की कमी को देखते हुए सरकार ने सभी शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों को सेनिटाइजर बनाने के निर्देश दिए हैं, जिससे प्रदेश में सेनिटाइजर की कमी को पूरा किया जा सके. सरकार के आदेश के बाद डिस्टलरी कंपनियों ने सेनिटाइजर का उत्पादन शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार के निर्देश पर 200 एमएल तक की बोतल 65 रुपए तक में मिल रही है.