भोपाल। मध्य प्रदेश में 15 दिनों से सत्ता के लिए सियासी संग्राम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया. शुक्रवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट से यह तय हो जाएगा की कमलनाथ की सरकार बचेगी या नहीं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार कांग्रेस बेंगलुरु से बागी विधायकों को वापस लाने में कामयाब क्यों नहीं हो पाई. विधायकों को वापस लाने के लिए न तो दिग्विजय सिंह के दाव पेंच काम आए और न उनकी भावुक अपील.
सवाल इसलिए भी उठता है कि बेंगलुरु में रुके इन 22 विधायकों पर ही कमलनाथ सरकार की उम्मीदें टिकी थी. लेकिन वे वापस नहीं आ रहे हैं. इन बागी विधायकों ने कई बार वीडियों जारी कर सीएम कमलनाथ पर निशाना साधा, तो दिग्विजय सिंह को ही अपने वापस भोपाल न आने का सबसे बड़ा कारण बताया. आखिर ये विधायक दिग्विजय सिंह और बाकी बड़े नेताओं के मान मन्नौवल के बाद भी वापस क्यों नहीं आ रहे इसके कई कारण हो सकते हैं.
1. बागी विधायकों में अधिकतर विधायक सिंधिया समर्थक हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि वे दिग्विजय सिंह पर भरोसा नहीं जता पा रहे
2. विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होना भी एक बड़ी वजह वापस न आने का कारण हो सकता है.
3. इन विधायकों में से कुछ को दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने मंत्री बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन मंत्री नहीं बनाने का मलाल रग गया.
4. जानकार विधायकों के दबाव में होना भी एक कारण बता रहे हैं
बड़ा सवाल तो यह भी है कि जब सारे विधायक दिग्विजय सिंह पर ही निशाना साध रहे थे तो कांग्रेस ने दिग्विजय पर भरोसा क्यों जताया. कांग्रेस के इस फैसले पर बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा ने तो तंज तक कस दिया. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने माजिस को आग बुझाने भेजा है अब पता नहीं क्या होगा.
राजनीतिक जानकारों के तर्क
विधायकों के वापस न आने पर चंबल अंचल के वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली कहते हैं कि कांग्रेस विधायक लगातार अपनी ही सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे. बावजूद इसके कांग्रेस इस बात को भांप नहीं पाई. जिससे यह स्थिति बनी. इस पूरे मामले में भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटेरिया का अलग ही तर्क सामने आया. उन्होंने कहा कि जब इस तरह स्थितियां निर्मित होती है तो लोग किसी से भी मिलने से डरने लगते हैं शायद यही वजह है कि कांग्रेस के बागी विधायक दिग्विजय सिंह से मिलना ही नहीं चाहते
वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पंत कहते है कि दिग्विजय सिंह से शायद विधायकों को मिलने से रोका भी गया हो. क्योंकि दिग्विजय सिंह ही वह शख्स थे. जो इन विधायकों को वापस ला सकते थे. लेकिन वे उनसे नहीं मिल सके, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जो ये विधायक ही बता सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में कर्नाटक सरकार भी बड़ा रोल हो सकता है.
राजनीतिक जानकारों की बातों में दम भी नजर आता है. क्योंकि ये सभी विधायक लगातार कमलनाथ पर उपेक्षा का आरोप भी लगा रहे थे, तो दिग्विजय सिंह पर भी निशाना साध रहे थे. लेकिन शायद वक्त रहते न तो कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया की चेतावनी समझ पाई और न ही इन विधायकों की बात सुन पाई. अब तो शुक्रवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट के बाद ही प्रदेश की सियासी तस्वीर स्पष्ठ होगी कि कमलनाथ सरकार बचेगी या जाएगी.