भोपाल | मध्यप्रदेश में कांग्रेस (Congress) जनाधार को बढ़ाने (increase its base) की जुगत में लग गई है और इसके लिए उसने ''बाल कांग्रेस'' (Bal Congress) का गठन करने का फैसला किया है. बाल कांग्रेस के तहत राज्य के 16 साल से 20 साल की आयु वर्ग के किशोर और युवाओं को जोड़ा जाएगा. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद, लगातार कांग्रेस की संगठात्मक स्थिति खराब होती जा रही है और उसका जनाधार गिरता जा रहा है .
जनाधार के लिए 'बाल कांग्रेस' के गठन की तैयारी
ऐसे में गिरते जनाधार को देखते हुए राज्य में कांग्रेस अपने जनाधार के साथ विचारधारा को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए किशोरों और युवाओं को अपनी ताकत बनाना चाहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश में भाजपा भी नए प्रयोग कर रही है और युवाओं को पहली पंक्ति में खड़ा करने की कोशिश में लगी हुई है. कुल मिलाकर भाजपा का मुकाबला बेहतर तरीके से किया जा सके, इसे ध्यान में रखकर कांग्रेस अब ''बाल कांग्रेस'' का गठन करने जा रही है.
कांग्रेस की नई पीढ़ी को साधने की कोशिश
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है, '' स्वतंत्रता संग्राम में मध्य प्रदेश की बड़ी हिस्सेदारी रही है और उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तीसरी और चौथी पीढ़ी अब सामने आ रही है. कांग्रेस के प्रति प्रतिबद्ध इन परिवारों की ओर से लगातार अपनी नई पीढ़ी के बच्चों को कांग्रेस विचार से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा था. कांग्रेसजनों की इसी भावना पर विचार करके प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने बाल कांग्रेस के गठन का निर्देश दिया है.''
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'बाल कांग्रेस' में 16 वर्ष से 20 वर्ष तक के युवाओं को स्थान
प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया, '' बाल कांग्रेस में 16 वर्ष से 20 वर्ष तक के युवाओं को स्थान दिया जाएगा. इन्हें कांग्रेस की नीतियों ,राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य और भारत के निर्माण के कांग्रेस के कार्यक्रमों से अवगत कराया जाएगा. इसके लिए सभी जिला इकाईयों से सुझाव भी मांगे गये हैं.''
'बाल कांग्रेस' पर भाजपा का तंज
कांग्रेस की इस कोशिश पर भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. हितेश वाजपेयी ने तंज कसते हुए कहा, '' बाल कांग्रेस यदि मध्य प्रदेश कांग्रेस का संगठन है तो यह नाबालिग बच्चों का जबरन-राजनीतिकरण है जो अवैधानिक व अनैतिक कृत्य है.''
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का मुकाबला कांग्रेस तभी कर सकती है जब उसके पास युवाओं की बड़ी ताकत हो. साथ ही युवा उसकी रीति नीति के साथ विचारधारा से वाकिफ हो. ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा में नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से विचारधारा के मामले में परिपक्व होने के बाद आते हैं, जिसका लाभ पार्टी को मिलता है. अगर कांग्रेस वाकई में किशोरों और युवाओं को अपने से जोड़ने में सफल होती है तो उसकी विचारधारा भी मजबूत होगी.