भोपाल। मोदी सरकार द्वारा सेना में 4 साल की भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर कांग्रेस 27 जून को देशभर में ब्लॉक स्तर तक आंदोलन करने जा रही है. इसके 1 दिन पहले देशभर में कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकार वार्ता को संबोधित किया और केंद्र सरकार से अग्निपथ योजना वापस लेने की मांग की. राजधानी भोपाल में कांग्रेस के सीनियर लीडर अखिलेश प्रताप सिंह मीडिया से रूबरू हुए उन्होंने कहा कि, अग्निवीर एक स्कीम है सेना नहीं है यही हमारा विरोध है. फौज में जाना सिर्फ एक नौकरी नहीं है, यह देश भक्ति की पराकाष्ठा है, जिसमें जाने के लिए युवक सालों मेहनत करता है. अग्नीपथ योजना से फौजी के सम्मान और देश भक्ति की भावना को खत्म करने की तैयारी है. यह वैसी ही योजना है, जैसे मनरेगा और वीआरएस योजना.
केंद्र और राज्य के विभागों में खाली है करीब 40 लाख पद: कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि, केंद्र की मोदी सरकार की इस तरह से नीतियां लागू करना आदत बन गई है. इसी तरह से पहले मोदी सरकार किसान बिल लेकर आई थी, बाद में इसमें कई संशोधन किए गए. किसान बिल को लेकर देशभर में जमकर आंदोलन हुए, जिसमें करीब 700 किसानों की जान चली गई. बाद में सरकार ने इस योजना को वापस ले लिया और अब सरकार अग्निपथ योजना लेकर आई है.
अग्निवीर योजना को वापस ले सरकार: कांग्रेस नेता ने कहा कि, इसमें भी बदलाव शुरू हो गए हैं. लेकिन हमारी मांग है कि, इस योजना को सरकार वापस ले. इसके विरोध में 27 जून को देशभर में ब्लॉक स्तर तक आंदोलन किए जाएंगे. हालांकि मध्यप्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने की वजह से यह आंदोलन नहीं हो सकेगा. अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि इस योजना को लेकर कई संस्थाओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि 4 साल बाद वे सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीर को नौकरी देंगे, लेकिन सवाल यह है कि आखिर अभी ही नौकरी क्यों नहीं दे दी जाती.
विभागों नें लाखों पद खाली पड़े हैं: अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि, इस तरह के बयान जारी करके बीजेपी माहौल बनाने में जुटी है. मोदी सरकार ने दावा किया था कि, वह हर साल 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देंगे लेकिन यह दावा फेल हो गया. हालात यह है कि केंद्र सरकार के विभागों में ही करीब 25 लाख पद खाली पड़े हैं, जबकि पूरे देश के राज्यों को भी मिला लें तो यह आंकड़ा करीब 40 लाख के आसपास पहुंचेगा. सरकार ने दावा किया था कि सेना में वन रैंक वन पेंशन लागू किया गया, लेकिन इस योजना में न रैंक है और न पेंशन है. इस योजना के बाद सेना अंदर से ही बंट जाएगी. यही स्थिति बहुत घातक साबित होगी, क्योंकि देश के सामने पहले ही पड़ोसियों के मामले में एक बड़ी चुनौती मौजूद है.