भोपाल। पटियों पर सुस्ताते लोग. चौक की गलियों में इत्मीनान से बतियाते भोपालवासी. साउथ और नार्थ टीटी नगर के सरकारी मकानों में अम्नो- अमान से जीने की तरबीयत पाते शहर भोपाल को आपने कबसे पलटकर नहीं देखा. स्मार्ट सिटी की शक्ल देने के लिए शहर के हर हिस्से से उजाड़े जा रहे मकान, बाज़ार और खोदी जा रही सड़कों में कहां मिलेंगे उस गुज़रे हुए भोपाल के निशान. लेकिन ये तय है कि उस मलबे पर खड़े होकर ख्याल ज़रूर आएगा कि जो आंखों में कैद है, उस भोपाल की कोई तस्वीर क्यों नहीं हमारे पास.
ईंट- ईंट जुड़ते शहर की तस्वीरें : जैसे आप अपने बीते दिनों को तलाशते बचपन के अलबम से गुज़रते हैं. वर्ल्ड फोटोग्राफी डे पर हम आपको दिखाने जा रहे हैं भोपाल का वो अलबम, जिसमें इस शहर की ताबीर दिखाई देगी. कैसे खड़ी हो रही थीं इमारतें, कैसे पत्थरों को खोद कर बस्तियां बसाई जा रही थीं. इन तस्वीरों में शहर की हर इमारत कोरी है. एकदम नई निकोर है. बस्तियों उस दौर में दिखाई देंगी जब ना ट्रैफिक का जोर था ना आबादी का शोर.
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एक शख्स के कैमरे में दर्ज शहर की नींव : जैसे किसी बच्चे की उम्र का हर पड़ाव माता-पिता तस्वीरों में सहेजते जाते हैं. यूं समझिए के भोपाल के वरिष्ठ छायाकार एसके मावल साहब ने उसी तरह भोपाल की एक एक तस्वीर अपने कैमरे में उतारी है. इत्तेफाक की बात देखिए कि पेशे से आर्किटेक्ट मावल साहब की देखरेख में इस शहर का नया हिस्सा खड़ा हो रहा था. साउथ टीटी नगर नार्थ टीटी नगर के इलाके, रविन्द्र भवन, वल्लभ भवन, सतपुड़ा, विंध्याचल, नए भोपाल की कमोबेश सभी इमारतें मावल साहब की देखरेख में ही खड़ी हुईं. जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में फोटोग्राफी और आर्किटेक्ट के विद्यार्थी रहे मावल साहब की नौकरी का हिस्स था यूं तस्वीरें खींचना. लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी के साथ उस दौर के भोपाल की अलग अलग शक्लों को अपने कैमरे में दर्ज किया. मध्यप्रदेश के गठन से पहले आज़ादी की दस्तक के साथ भोपाल में आ बसे एसके मावल साहब क्या जानते होंगे कि जो तस्वीरें वो उतार रहे हैं वो एक शहर का सबसे सुनहरा दस्तावेज बनने जा रही हैं. Begining of Bhopal, City of lakes bhopal, Bhopal history album, Old Pictures Nawabs city