भोपाल। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में मध्यप्रदेश के दो और पर्यटन स्थलों जबलपुर के भेड़ाघाट और सतपुड़ा रेंज के टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है. इससे मध्यप्रदेश के लोग काफी खुश हैं. साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा. मध्यप्रदेश में ऐसी कई टूरिज्म साइट और पुरा संपदा मौजूद है. इनमें से कई जल्द ही यूनेस्को के जरिए दुनिया के पर्यटन नक्शे पर अपनी जगह बना सकती हैं. इसके लिए सरकार और केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल भी कोशिश कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश को यह सौगात मिलने और दुनिया के टूरिस्ट मैप पर छाने की खुशी शेयर करते हुए ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी ने बातचीत की केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल से. केंद्रीय मंत्री ने ईटीवी भारत पर भेड़ाघाट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के यूनेस्को की हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल होने पर निजी तौर पर खुशी जताई. देखिए ईटीवी भारत को दिया गया केंद्रीय मंत्री का इंटरव्यू
मध्य प्रदेश : सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भेड़ाघाट यूनेस्को की लिस्ट में शामिल
सवाल- मध्यप्रदेश में तमाम पर्यटन ऐसे हैं जिन्हें यूनेस्को की सूची में शामिल किया जा सकता है, आप किस तरह से इन स्थलों को आगे लेकर जाएंगे.
जवाब - मैं आपकी बात से सहमत हूं. मध्यप्रदेश में ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं ऐसी अपूर्व धरोहरें हैं जिन्हें यूनेस्को की लिस्ट में परमानेंट तरीके से शामिल होने चाहिए. जैसे मांडू है, महेश्वर, मंडलेश्वर के तट हैं, इनको स्थान मिलना चाहिए. इस बार हमने 9 नामांकन भेजे थे यूनेस्को की टैंटेटिव लिस्ट में ,जिसमें से 6 को एक्सेपटेंस मिली है. जो बताता है कि राज्य और केंद्र सरकार के प्रयास साथ चल रहे हैं. जिसमें से दो मध्यप्रदेश के भेड़ाघाट, और सतपुटा के टाइगर रिजर्व भी इस सूची में शामिल हुए इससे मुझे निजी तौर पर भी खुशी मिली है, लेकिन देश के जो बाकी हिस्से जुड़े हैं, जैसे बनारस है. बनारस वैसे तो एक सिटी के तौर पर यूनेस्को की लिस्ट में है. मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश में भी अनेक जगह हैं, जहां हम बेहतर प्रस्तुतिकरण कर सकते हैं वो फिर चाहे ग्वालियर हो मांडू हो महेश्वर हो कई ऐसी जगह हैं जो इस लिस्ट में शामिल होने के लायक अपनी योग्यता रखती हैं.
सवाल- जैसे जयपुर एक हेरिटेज सिटी है, वैसे ही भोपाल में भी कई सारी चीजें हैं, इंदौर में भी है, ग्वालियर भी ऐसी ही संपदाओं से भरा पड़ा है. इसके अलावा मध्यप्रदेश की एक और सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे यहां गौंड राजाओं के 52 गढ हैं जो अपने पास मदागन जैसी यूनिक टेक्नोलॉजी रखते हैं, जो हजारों फीट ऊपर तक पानी का स्त्रोत अपने पास रखते हैं. ये यूनिक चीजें हैं क्या इनको यूनेस्को की सूची में शामिल नहीं होना चाहिए.
जवाब- मुझे लगता है कि जब 2019 के अंत में यूनेस्को की सेक्रेटरी जरनल आईं थी तो मैंने उन्हें एक प्रस्ताव दिया था. कहा था हमारी सप्त नगरियां हैं, लेकिन आपने वाराणसी को दुनिया को सबसे प्राचीन नगरी मान लिया, लेकिन वाराणसी के साथ और भी 6 नगरियां जुड़ी हुई हैं इन्हें मिलाकर ही सप्तनगरी होती हैं, तब मैने उनसे कहा था कि आप हमारी यूनिट को अलग अलग मत करिए, उस समय उन्होंने जयपुर की घोषणा की थी अहमदाबाद की बात की थी. जैसे आपने कहा कि गौंड राजाओं के हमारे 52 गढ़ है तोत वो एक यूनिट होनी चाहिए. इसी की सफलता है कि मराठा कालीन जितने भी सैन्य वास्तु थे उनको उन्होंने एक साथ लिया है. पहले ऐसा नहीं होता था. जैसे हमारे दक्षिण भारत के मंदिरों को दिया गया जैसे कांचीपुरम वो मंदिरों का एक समूह है. तो मुझे लगता है कि जो अलग-अलग स्थलों को लेकर जो चीजें आगे बढ़ रही हैं तो मैं समझता हूं कि आज नहीं तो कल आपकी भावनाओं को सम्मान मिलेगा.
सवाल- भोपाल जैसे झीलों का शहर है, यहां एक सभ्यता है. यहां गौंड़ सभ्यता भी रही है और मुगल सभ्यता भी रही है क्या इन सभ्याताओं को सहेजने के लिए भी कोई योजना आपके पास है या सरकार इसपर कुछ विचार कर रही है.
जवाब- सरकार विचार करती है, मुझे लगता है कि राज्य सरकार यहां से भेजती भी है और हम उसे आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं. लेकिन आप को यह समझना पडेगा कि यूनेस्को के नियमों में बड़े अजीब परिवर्तन हुए हैं, उन परिवर्तनों के लिए भी भारत सरकार काम कर रही है, लेकिन हमारी कोशिश ये है कि हम पहले कैरेक्टर लिस्ट में अपनी संख्या को बढ़ाते रहें ताकि परमानेंट लिस्ट के लिए जो डोजियर तैयार होने हैं वो बड़ी मात्रा में जाएं. अभी तो यह भी नियम हो गया है कि कुछ देश एक साल में 1 बार ही परमानेंट लिस्ट के लिए अपने नाम भेज सकता है.ये चीजें जो पिछले दिनों हुई हैं, इस पर भारत सरकार ने अपनी आपत्ति दर्ज की है. मैने खुद यूनेस्को की सेक्रेटरी जरनल को कहा था. जिनके पास चीजें नहीं हैं मॉन्यूमेंट्स की कमी है उनके लिए तो ठीक है लेकिन, भारत जैसे देश के लिए तो यह बहुत कठिन है हमारे पास तो यूनेस्को की लिस्ट में जो स्मारक हैं, इस तरह के बहुत से स्मारक हैं, तो इस तरह से तो हमको वर्षों लग जाएंगे. इस पर मैने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के आधार पर ये चीजें चलती रहती हैं.
सवाल- मध्यप्रदेश के सवा सौ से ज्यादा ऐसे मॉन्यूनेंट हैं जो इसलिए डी-लिस्ट कर दिए गए हैं कि सरकार के पास उनके रखरखाव के लिए इंतजाम नहीं हैं बजट नहीं है, तो क्या ऐसा कोई बजट उपलब्ध हो पाएगा मध्यप्रदेश के लिए जिसमें मॉन्यूमेंट का रखरखाव हो पाए और उन्हें जो संरक्षण मिलना चाहिए वो मिल पाए.
जवाब- मुझे लगता है कि प्रश्न थोड़ा सा दूसरे तरीके से होता तो अच्छा रहता, दो लिस्ट हैं एक भारत सरकार के ऑर्केलॉजिकल विभाग कि है और एक है राज्य सरकार की. मुझे लगता है दोनों को मिक्स नहीं कर सकते है. हमने अभी कोशिश की है कि हम देशभर के टोटल मॉन्यूमेंट की लिस्ट बनाएंगे, इनमें जो शामिल हों उन्हें जो राज्य सरकार अपने पास ररखना चाहे तो रख सकती है या फिर उन्हें भारत सरकार के एएसआई को सौंप दे, लेकिन एएसआई की सूची में वो जरूर हो. जो एसएसआई के पास हों वो उस सूची में हों उसके बाद राज्य की सूची में हों. लेकिन देश में कितने मॉन्यूमेंट हैं यह देश के सामने होने चाहिए ,अभी ऐसा नहीं है, लेकिन इसका काम शुरू हो गया है.और मैं समझता हूं कि जब हम आजादी से 75 साल पूरे होने का सेलिब्रेशन करेंगे तो देश में जितने मॉन्यूमेंट हैं, वो चाहे राज्य सरकार के पास हों चाहें भारत सरकार के पास हों, किसी ट्रस्ट के पास हों चाहे किसी सोसाइटी के पास हों वो सब आपको एक ही साइट पर दिखेंगे. हमारी कोशिश होगी कि वो एक ही लिस्ट में दिखेंगे, राज्य सरकारों को हम डी लिस्ट वाला देंगे लेकिन आपको एक साइट पर सबकुछ मिलेगा.जब राज्य सरकार के पास होता है तो उसके रख रखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है, हम अपने एएसआई के जो मॉन्यूमेंट हैं उनको फंडिग करते हैं लेकिन हमारी कोशिश है कि जो भी मॉन्यूमेंट प्राचीन हैं राज्य सरकारों के पास जो एएसआई की लिस्ट में हमारे पास आ जाएंगे तो हम उनका रखरखाव करेंगे.
सवाल- मध्यप्रदेश में एक बड़ी पुरा संपदा है वो है मां नर्मदा, नर्मदा के प्रति आपका अनुराग भी हमको पता है, नर्मदा के आसपास बहुत बड़ा एक क्षेत्र है और यह दुनिया की उन विरली नदियों में से एक है जो विपरीत दिशा में बहाव रखती है, इसके लिए कुछ करने की क्या कोई प्लानिंग है.
जवाब- मुझे लगता है कि इसका उत्तर एक लाइन में नहीं हो सकता. अभी जैसे उद्गम पर प्रसाद योजना के तहत चीजों को खड़ा करने की बात है. नीचे और घाटों में आएं, नर्मदा को जब आप मानते हो तो नर्मदा की बायोडायवर्सिटी उसकी जैव विविधता जीव विविधता उसकी जियोलॉजी उसका जंगल का क्षेत्र उसकी अपनी जियोलॉजिकल ताकत बहुत सारी चीजें हैं, हम किस एंगल से देखते हैं ये महत्वूपूर्ण बात होती है, इसलिए जो खुद अपने आप में इतनी बड़ी धरोहर हैं जो विश्व धरोहर रही हैं, उसके हिस्सों को लेकर अलग अलग काम चल रहा है उनकी कृपा होगी और जो बाकी चीजें हैं और बेहतर तरीके से आगे बढ़ेंगी.
मंत्री जी का कहना था कि हम कोशिश करेंगे कि जो विश्व धरोहर की सूची है उसमें मध्यप्रदेश के ज्यादा से ज्यादा मॉन्यूमेंट्स आएं और जो राज्य और केंद्र के अधीन अलग अलग मॉन्यूमेंट्स हैं उनको एक लिस्ट में हम शामिल करें.