भोपाल। केंद्र सरकार ने एफआरबीएम के मुताबिक मध्यप्रदेश की कर्ज लेने की सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया है. अब प्रदेश 18 हजार 983 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले सकेगा. केंद्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारों की मांग पर कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाया गया है, इससे प्रदेश के विकास को गति मिलेगी.
मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष 2 फीसदी अतिरिक्त उधारी सीमा की कार्ययोजना का प्रजेंटेशन दिया गया, केंद्र द्वारा बिना किसी शर्त के 0.5 प्रतिशत तक (अनटाइटल्ड) ऋण लेने की अनुमति के बाद मध्यप्रदेश 4 हजार 746 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज ले सकेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि केंद्र द्वारा निर्धारित किए गए चार सुधार करने पर मध्यप्रदेश स्टेट जीडीपी का 1.5 प्रतिशत अर्थात 14237 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज ले पाएगा.
ये हैं चार सुधार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि चार सुधारों के अंतर्गत मध्यप्रदेश में एक सुधार 'वन नेशन वन राशन कार्ड' सिस्टम लागू करने पर प्रदेश 2373 करोड़ का, दूसरा सुधार व्यापार के सरलीकरण 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' करने पर 4746 करोड़ का, तीसरा सुधार स्थानीय शहरी निकायों का करने पर 11864 करोड़ रुपए का तथा चौथा सुधार विद्युत क्षेत्र में करने पर कुल 14237 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण एफआरबीएम के मुताबिक ले पाएगा. अर्थात इनमें से प्रत्येक सुधार करने पर प्रदेश को 2373 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण मिल सकेगा.
31 अक्टूबर तक वन नेशन वन राशन कार्ड
प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि वन नेशन वन राशन कार्ड सिस्टम के अंतर्गत प्रदेश में आगामी 31 अक्टूबर तक सभी राशन कार्ड धारियों के आधार सीडिंग का कार्य पूरा कर लिया जाएगा.
इज ऑफ डूइंग बिजनेस योजना
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में व्यापार के सरलीकरण 'ईज ऑफ डूइंग' बिजनेस के संबंध में जिला स्तरीय सुधार योजना को संबंधित विभागों को क्रियान्वयन के लिए प्रेषित किया जाना है और योजना का क्रियान्वयन 31 अक्टूबर तक किया जाना है.
शहरी स्थानीय निकायों में सुधार
तीसरे सुधार के अंतर्गत नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा संपत्ति कर को कलेक्टर गाइडलाइन से लिंक किए जाना है और उपभोक्ता प्रभार के लिए नियम तैयार करने हैं.
विद्युत क्षेत्र में सुधार
विद्युत क्षेत्र में सुधार के अंतर्गत किसानों को सीधे लाभ की राशि का अंतरण किया जाना है, इसके लिए एक जिले में पायलट बेसिस पर कृषि उपभोक्ताओं को दिसंबर 2020 तक सीधे लाभ के अंतरण के लिए ऊर्जा विभाग द्वारा रणनीति तैयार की जा रही है. जिसमें विद्युत छूट की राशि सीधे किसानों के खातों में डाली जाएगी और किसान को ही बिजली का बिल भरना होगा.