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Operation Lotus Maharashtra: एमपी जैसे ही हालात, इधर सिंधिया उधर शिंदे, बेहद कम हैं अघाड़ी सरकार के बचने के आसार

ऑपरेशन लोटस के जरिए चुनाव हार कर भी बीजेपी कई राज्यों में अपनी सरकार बना चुकी है. ऐसे में महाराष्ट्र के ताजा सियासी संकट को देखकर यही कहा जा रहा है कि पार्टी का यह आजमाया हुआ यहां भी पूरी प्लानिंग के साथ फिट किया गया है. इससे पहले महाराष्ट्र के ही पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में बीजेपी कांग्रेस की 18 महीने पुरानी सरकार को गिराकर सत्ता में वापसी कर चुकी है. (know complete maharashtra political drama) (Operation Lotus Maharashtra)

Operation Lotus Repeats In Maharashtra
मध्यप्रदेश के तर्ज पर महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस
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Published : Jun 22, 2022, 5:08 PM IST

भोपाल। ऑपरेशन लोटस के जरिए चुनाव हार कर भी बीजेपी कई राज्यों में अपनी सरकार बना चुकी है. ऐसे में महाराष्ट्र के ताजा सियासी संकट को देखकर यही कहा जा रहा है कि पार्टी का यह आजमाया हुआ यहां भी पूरी प्लानिंग के साथ फिट किया गया है. इससे पहले महाराष्ट्र के ही पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में बीजेपी कांग्रेस की 18 महीने पुरानी सरकार को गिराकर सत्ता में वापसी कर चुकी है. मध्यप्रदेश में सिंधिया बागी हुए थे, महाराष्ट्र में शिंदे ने खुली बगावत कर दी है. महाराष्ट्र में जारी पॉलिटिकल ड्रामा किस तरफ जाएगा यह भी लगभग तय माना जा रहा है. महाराष्ट्र के 40 बागी विधायक गुवाहाटी के होटल में हैं. शिवसेना अपने विधायकों को व्हिप जारी कर बैठक में शामिल होने का फरमान जारी कर रही है. देखा जाए तो यहां सबकुछ मध्यप्रदेश की तर्ज पर बीजेपी की तैयार की हुई स्क्रिप्ट के मुताबिक ही नजर आता है. देखें रिपोर्ट.

उधर सिंधिया, इधर शिंदे: MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों को साथ लेकर बागी हुए. वे पार्टी में असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी नेतृत्व उनकी अनदेखी कर रहा था. खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ उन्हें चुनौती दे चुके थे कि वे सड़क पर उतर आएं. यही कहानी महाराष्ट्र में दोहराई जा रही है. शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे की अघाड़ी सरकार में असहज महसूस कर रहे थे. सीएम उन्हें मिलने का समय नहीं देते, उनके प्रोजेक्ट की फाइल रोक देते. शिवसेना विधायकों को विकास के लिए फंड मुहैया नहीं कराया जा रहा. शिंदे इन विधायकों की आवाज बने. एमएसी चुनाव में एकनाथ शिंदे ने अघाड़ी सरकार को अपने समर्थक विधायकों के जरिए क्रॉस वोटिंग कराकर और बीजेपी के राज्यसभा में तीसरे उम्मीदवार की जीत आसान करा कर अपनी नाराजगी जता दी थी. इससे पहले कि उद्धव शिंदे के खिलाफ कोई एक्शन ले पाते वे अपने समर्थक विधायकों को लेकर सूरत पहुंच चुके थे. अघाड़ी सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी. ठीक इसी तरह 2 साल पहले मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने किया था. हालांकि मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस 2 स्टेप्स में चलाना पड़ा क्योंकि पहली बार कांग्रेस ने गुरूग्राम के होटल में पहुंचे अपने सभी विधायकों की वापसी करवा ली थी, लेकिन सिंधिया बगावत कर देंगे ऐसा कमलनाथ और पार्टी नेतृत्व को कोई अंदेशा नहीं था.

बीजेपी उठा रही गुटबाजी का फायदा: मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ, दिग्विजय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुटों में बंटी हुई थी. इसी तरह महाराष्ट्र में तीन दलों शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी की महाअघाड़ी सरकार है. जिसमें गुटबाजी चरम पर है और बीजेपी के लिए सत्ता परिवर्तन कराने का यह आसान साधन बनती है. बागी होने का संकेत देते हुए सिंधिया ने पहले अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस लीडर हाटकर कॉमन मैन लिख दिया था. ठीक इसी तरह उद्धव सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बायो से शिवसेना हटा दिया है. (know complete maharashtra political drama) (Operation Lotus Maharashtra)

कमलनाथ का बड़ा खुलासा, उद्धव ठाकरे कोरोना पॉजिटिव, कैबिनेट मीटिंग के बाद लेंगे बड़ा फैसला!

पूरी प्लानिंग के साथ बगावत: मध्यप्रदेश की ही तरह ही पूरी प्लानिंग के साथ उद्धव सरकार को गिराने का प्लान तैयार किया गया है. जब एमपी में कमलनाथ सरकार बनी, तब कांग्रेस की खुद की 114 सीट थी. 7 अन्य विधायक और निर्दलियों का समर्थन भी सरकार को मिला हुआ था. बहुमत का आंकड़ा 116 था और सरकार को 121 विधायकों का समर्थन हासिल था. विपक्ष में बैठी BJP के पास 109 सीट थीं. 18 महीने चली कमलनाथ सरकार के 22 विधायक सिंधिया के समर्थन में बागी हो गए और कमलनाथ की सरकार गिर गई. यही सियासी समीकरण इस वक्त महाराष्ट्र में दिखाई दे रहे हैं. शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है. सूरत में शिंदे समर्थक 25 बागी विधायकों की मौजूदगी से शुरू हुआ सिलसिला 40 से ज्यादा विधायकों तक पहुंच चुका है. शिंदे समर्थक विधायक सूरत से गुवाहाटी उड़ चुके हैं और इस खेल के पीछे सक्रिय लोग अघाड़ी सरकार की फिल्म का दी एंड होने की राह तक रहे हैं.

शिंदे ने शिवसेना पर ही ठोक दिया दावा: सरकार पर आए सियासी संकट को टालने के लिए शिवसेना ने व्हिप जारी कर अपने विधायकों को शाम को सीएम हाउस पहुंचने को कहा है. नहीं पहुंचने पर कार्रवाई करने को कहा है. इसके कुछ ही देर बाद एकनाथ शिंदे के ट्वीट कर शिवसेना के व्हिप को अवैध बताया है. उन्होंने पूर्व व्हिप चीफ सुनील प्रभु को हटाकर भरत गोगावले को अपना चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया है. यानी शिंदे अब शिवसेना पर दावा ठोक रहे हैं. उन्होंने अपने समर्थक 34 विधायकों के नाम वाली चिट्ठी भी स्पीकर और राज्यपाल को सौंप दी है. शिंदे अपने साथ 46 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि गुवाहाटी में अभी 33 शिवसेना के विधायक और 2 निर्दलीय विधायक मौजूद हैं. शिवसेना के 2 और विधायक संजय राठोर और जोगेश कदम भी वहां पहुंचे हैं. इनके अलावा तीन और विधायक योगेश कदम, मंजूला गावित और गोपाल दल्वी के भी गुवाहाटी पहुंचने की अटकलें है. इन विधायकों के साथ महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी हैं. इस तरह से शिंदे समर्थक बागी विधायकों की संख्या 40 के करीब मानी जा रही है.

यह है महाराष्ट्र विधानसभा का समीकरण

कुल सीट- 288 बहुमत- 144

महाविकास अघाड़ी- शिवसेना 56, एनसीपी 53, कांग्रेस 44 कुल 153

एनडीए- भाजपा 106, आरएसपी 01, जेएसएस 01, निर्दलीय 05 कुल 113,

अन्य - 2 एआईएमआईएम, निर्दलीय- 19, खाली -01

भोपाल। ऑपरेशन लोटस के जरिए चुनाव हार कर भी बीजेपी कई राज्यों में अपनी सरकार बना चुकी है. ऐसे में महाराष्ट्र के ताजा सियासी संकट को देखकर यही कहा जा रहा है कि पार्टी का यह आजमाया हुआ यहां भी पूरी प्लानिंग के साथ फिट किया गया है. इससे पहले महाराष्ट्र के ही पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में बीजेपी कांग्रेस की 18 महीने पुरानी सरकार को गिराकर सत्ता में वापसी कर चुकी है. मध्यप्रदेश में सिंधिया बागी हुए थे, महाराष्ट्र में शिंदे ने खुली बगावत कर दी है. महाराष्ट्र में जारी पॉलिटिकल ड्रामा किस तरफ जाएगा यह भी लगभग तय माना जा रहा है. महाराष्ट्र के 40 बागी विधायक गुवाहाटी के होटल में हैं. शिवसेना अपने विधायकों को व्हिप जारी कर बैठक में शामिल होने का फरमान जारी कर रही है. देखा जाए तो यहां सबकुछ मध्यप्रदेश की तर्ज पर बीजेपी की तैयार की हुई स्क्रिप्ट के मुताबिक ही नजर आता है. देखें रिपोर्ट.

उधर सिंधिया, इधर शिंदे: MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों को साथ लेकर बागी हुए. वे पार्टी में असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी नेतृत्व उनकी अनदेखी कर रहा था. खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ उन्हें चुनौती दे चुके थे कि वे सड़क पर उतर आएं. यही कहानी महाराष्ट्र में दोहराई जा रही है. शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे की अघाड़ी सरकार में असहज महसूस कर रहे थे. सीएम उन्हें मिलने का समय नहीं देते, उनके प्रोजेक्ट की फाइल रोक देते. शिवसेना विधायकों को विकास के लिए फंड मुहैया नहीं कराया जा रहा. शिंदे इन विधायकों की आवाज बने. एमएसी चुनाव में एकनाथ शिंदे ने अघाड़ी सरकार को अपने समर्थक विधायकों के जरिए क्रॉस वोटिंग कराकर और बीजेपी के राज्यसभा में तीसरे उम्मीदवार की जीत आसान करा कर अपनी नाराजगी जता दी थी. इससे पहले कि उद्धव शिंदे के खिलाफ कोई एक्शन ले पाते वे अपने समर्थक विधायकों को लेकर सूरत पहुंच चुके थे. अघाड़ी सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी. ठीक इसी तरह 2 साल पहले मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने किया था. हालांकि मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस 2 स्टेप्स में चलाना पड़ा क्योंकि पहली बार कांग्रेस ने गुरूग्राम के होटल में पहुंचे अपने सभी विधायकों की वापसी करवा ली थी, लेकिन सिंधिया बगावत कर देंगे ऐसा कमलनाथ और पार्टी नेतृत्व को कोई अंदेशा नहीं था.

बीजेपी उठा रही गुटबाजी का फायदा: मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ, दिग्विजय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुटों में बंटी हुई थी. इसी तरह महाराष्ट्र में तीन दलों शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी की महाअघाड़ी सरकार है. जिसमें गुटबाजी चरम पर है और बीजेपी के लिए सत्ता परिवर्तन कराने का यह आसान साधन बनती है. बागी होने का संकेत देते हुए सिंधिया ने पहले अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस लीडर हाटकर कॉमन मैन लिख दिया था. ठीक इसी तरह उद्धव सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बायो से शिवसेना हटा दिया है. (know complete maharashtra political drama) (Operation Lotus Maharashtra)

कमलनाथ का बड़ा खुलासा, उद्धव ठाकरे कोरोना पॉजिटिव, कैबिनेट मीटिंग के बाद लेंगे बड़ा फैसला!

पूरी प्लानिंग के साथ बगावत: मध्यप्रदेश की ही तरह ही पूरी प्लानिंग के साथ उद्धव सरकार को गिराने का प्लान तैयार किया गया है. जब एमपी में कमलनाथ सरकार बनी, तब कांग्रेस की खुद की 114 सीट थी. 7 अन्य विधायक और निर्दलियों का समर्थन भी सरकार को मिला हुआ था. बहुमत का आंकड़ा 116 था और सरकार को 121 विधायकों का समर्थन हासिल था. विपक्ष में बैठी BJP के पास 109 सीट थीं. 18 महीने चली कमलनाथ सरकार के 22 विधायक सिंधिया के समर्थन में बागी हो गए और कमलनाथ की सरकार गिर गई. यही सियासी समीकरण इस वक्त महाराष्ट्र में दिखाई दे रहे हैं. शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है. सूरत में शिंदे समर्थक 25 बागी विधायकों की मौजूदगी से शुरू हुआ सिलसिला 40 से ज्यादा विधायकों तक पहुंच चुका है. शिंदे समर्थक विधायक सूरत से गुवाहाटी उड़ चुके हैं और इस खेल के पीछे सक्रिय लोग अघाड़ी सरकार की फिल्म का दी एंड होने की राह तक रहे हैं.

शिंदे ने शिवसेना पर ही ठोक दिया दावा: सरकार पर आए सियासी संकट को टालने के लिए शिवसेना ने व्हिप जारी कर अपने विधायकों को शाम को सीएम हाउस पहुंचने को कहा है. नहीं पहुंचने पर कार्रवाई करने को कहा है. इसके कुछ ही देर बाद एकनाथ शिंदे के ट्वीट कर शिवसेना के व्हिप को अवैध बताया है. उन्होंने पूर्व व्हिप चीफ सुनील प्रभु को हटाकर भरत गोगावले को अपना चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया है. यानी शिंदे अब शिवसेना पर दावा ठोक रहे हैं. उन्होंने अपने समर्थक 34 विधायकों के नाम वाली चिट्ठी भी स्पीकर और राज्यपाल को सौंप दी है. शिंदे अपने साथ 46 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि गुवाहाटी में अभी 33 शिवसेना के विधायक और 2 निर्दलीय विधायक मौजूद हैं. शिवसेना के 2 और विधायक संजय राठोर और जोगेश कदम भी वहां पहुंचे हैं. इनके अलावा तीन और विधायक योगेश कदम, मंजूला गावित और गोपाल दल्वी के भी गुवाहाटी पहुंचने की अटकलें है. इन विधायकों के साथ महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी हैं. इस तरह से शिंदे समर्थक बागी विधायकों की संख्या 40 के करीब मानी जा रही है.

यह है महाराष्ट्र विधानसभा का समीकरण

कुल सीट- 288 बहुमत- 144

महाविकास अघाड़ी- शिवसेना 56, एनसीपी 53, कांग्रेस 44 कुल 153

एनडीए- भाजपा 106, आरएसपी 01, जेएसएस 01, निर्दलीय 05 कुल 113,

अन्य - 2 एआईएमआईएम, निर्दलीय- 19, खाली -01

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