ETV Bharat / city

विरासत में मिली सियासत, कांग्रेस के बाद अब बीजेपी में सिंधिया, ऐसा है सियासी सफर - सिंधिया राजपरिवार

बीजेपी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज पहली बार भोपाल आयेंगे. जहां बीजेपी कार्यालय में उनका जोरदार स्वागत होगा. सिंधिया का बीजेपी में शामिल होना प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है.

jyotiraditya scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया
author img

By

Published : Mar 12, 2020, 3:00 PM IST

Updated : Mar 12, 2020, 3:33 PM IST

भोपाल। बीजेपी ज्वाइन करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की ये तस्वीरें देश के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई. क्योंकि सिंधिया को देश की राजनीति में लंबी रेस का घोड़ा माना जा रहा है. जो कांग्रेस छोड़ अब बीजेपी की राह पर चलेंगे. सिंधिया को सियासत विरासत में मिली है. ये परिवार भारतीय राजनीति के उन चुनिंदा परिवारों में से है, जिसके पास राजशाही विरासत तो है ही, लोकतंत्र में रसूख भी कायम है. चाहे पार्टी बीजेपी हो या फिर कांग्रेस.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी करियर

सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में थीं. तो उनके पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे. तो वहीं ज्योतिरादित्य की दो बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया की गिनती वर्तमान में बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया बड़ोदरा राजघराने की बेटी हैं. वे भले ही अब तक राजनीति में न आई हों. लेकिन सिंधिया के सियासी फैसलों में उनका अहम योगदान माना जाता है. अब तक कांग्रेस में रहकर अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी की छत्रछाया में इस सफर को आगे बढ़ाएंगे.

भारतीय राजनीति में 18 साल से स्थापित ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की मौत के बाद सियासत में आये थे. अब तक कांग्रेस के सबसे बड़े झंडाबरदारों में शामिल रहे सिंधिया अब बीजेपी की ज्योति बन गए हैं. जिसका प्रकाश बीजेपी को रोशन करेगा. सिंधिया कांग्रेस में अपनी उपेक्षा की बात कहते हुए बीजेपी में शामिल हुए. लेकिन अब तक के उनके सियासी करियर पर एक नजर डाली जाए तो कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है

ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी सफर

  • ज्योतिरादित्य 2002 में गुना लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए.
  • सिंधिया लगातार 4 बार से लोकसभा चुनाव जीते.
  • यूपीए-2 सरकार में वे ऊर्जा राज्य मंत्री रहे.
  • 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष रहे.
  • चौदहवीं लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रहे
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी सौंपी.
  • बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

यानि बीजेपी में आते ही उन्होंने अपनी राजनीतिक रसूख का एक उदाहरण देश की राजनीति में दे दिया. बड़े राजघराने से ताल्लुक रखने के बाद भी सिंधिया ने अपनी छवि एक सौम्य नेता के रूप में गढ़ी हो, लेकिन सिंधिया सियासत में सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं. 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सिंधिया मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार बनकर उभरे. लेकिन पार्टी ने उनकी जगह कमलनाथ को तरहीज दी. 2019 का लोकसभा चुनाव हारनें के बाद सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा भेजे जाने की बात सामने आई. जब सिंधिया यहां भी पिछड़ते दिखे, तो उन्होंने कांग्रेस से अपनी राह अलग करने में समझदारी समझी.

कहते हैं सियासत सफर ही ऐसा होता है, जिसकी मंजिल सिर्फ सत्ता होती है. प्रदेश में सत्ता होने के बाद भी जब सिंधिया को कुछ नसीब नहीं हुआ, तो अब वे कमलनाथ की सरकार गिराकर बीजेपी के साथ सत्ता की नाव में सवारी करने को तैयार हैं. सिंधिया आज जब भोपाल पहुंचेंगे तो कांग्रेस की जगह बीजेपी कार्यालय पहुंचेंगे जहां बीजेपी नेता पलग पावड़ें बिछाकर इंतजार उनका कर रहे हैं. पांच दशक पहले कांग्रेस से जनसंघ में शामिल होकर सिंधिया की दादी ने जो इतिहास बनाया था, अब उसी इतिहास को वक्त के साथ दोहराते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश और देश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं.

भोपाल। बीजेपी ज्वाइन करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की ये तस्वीरें देश के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई. क्योंकि सिंधिया को देश की राजनीति में लंबी रेस का घोड़ा माना जा रहा है. जो कांग्रेस छोड़ अब बीजेपी की राह पर चलेंगे. सिंधिया को सियासत विरासत में मिली है. ये परिवार भारतीय राजनीति के उन चुनिंदा परिवारों में से है, जिसके पास राजशाही विरासत तो है ही, लोकतंत्र में रसूख भी कायम है. चाहे पार्टी बीजेपी हो या फिर कांग्रेस.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी करियर

सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में थीं. तो उनके पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे. तो वहीं ज्योतिरादित्य की दो बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया की गिनती वर्तमान में बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया बड़ोदरा राजघराने की बेटी हैं. वे भले ही अब तक राजनीति में न आई हों. लेकिन सिंधिया के सियासी फैसलों में उनका अहम योगदान माना जाता है. अब तक कांग्रेस में रहकर अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी की छत्रछाया में इस सफर को आगे बढ़ाएंगे.

भारतीय राजनीति में 18 साल से स्थापित ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की मौत के बाद सियासत में आये थे. अब तक कांग्रेस के सबसे बड़े झंडाबरदारों में शामिल रहे सिंधिया अब बीजेपी की ज्योति बन गए हैं. जिसका प्रकाश बीजेपी को रोशन करेगा. सिंधिया कांग्रेस में अपनी उपेक्षा की बात कहते हुए बीजेपी में शामिल हुए. लेकिन अब तक के उनके सियासी करियर पर एक नजर डाली जाए तो कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है

ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी सफर

  • ज्योतिरादित्य 2002 में गुना लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए.
  • सिंधिया लगातार 4 बार से लोकसभा चुनाव जीते.
  • यूपीए-2 सरकार में वे ऊर्जा राज्य मंत्री रहे.
  • 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष रहे.
  • चौदहवीं लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रहे
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी सौंपी.
  • बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

यानि बीजेपी में आते ही उन्होंने अपनी राजनीतिक रसूख का एक उदाहरण देश की राजनीति में दे दिया. बड़े राजघराने से ताल्लुक रखने के बाद भी सिंधिया ने अपनी छवि एक सौम्य नेता के रूप में गढ़ी हो, लेकिन सिंधिया सियासत में सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं. 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सिंधिया मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार बनकर उभरे. लेकिन पार्टी ने उनकी जगह कमलनाथ को तरहीज दी. 2019 का लोकसभा चुनाव हारनें के बाद सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा भेजे जाने की बात सामने आई. जब सिंधिया यहां भी पिछड़ते दिखे, तो उन्होंने कांग्रेस से अपनी राह अलग करने में समझदारी समझी.

कहते हैं सियासत सफर ही ऐसा होता है, जिसकी मंजिल सिर्फ सत्ता होती है. प्रदेश में सत्ता होने के बाद भी जब सिंधिया को कुछ नसीब नहीं हुआ, तो अब वे कमलनाथ की सरकार गिराकर बीजेपी के साथ सत्ता की नाव में सवारी करने को तैयार हैं. सिंधिया आज जब भोपाल पहुंचेंगे तो कांग्रेस की जगह बीजेपी कार्यालय पहुंचेंगे जहां बीजेपी नेता पलग पावड़ें बिछाकर इंतजार उनका कर रहे हैं. पांच दशक पहले कांग्रेस से जनसंघ में शामिल होकर सिंधिया की दादी ने जो इतिहास बनाया था, अब उसी इतिहास को वक्त के साथ दोहराते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश और देश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं.

Last Updated : Mar 12, 2020, 3:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.