सागर। मध्य प्रदेश के बीना में स्थापित एक मात्र बीना रिफाइनरी देश का भारत पेट्रोलियम में मर्जर हो गया है. भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी है. यह मर्जर 1 जुलाई से अस्तित्व में आ गया है. इस समय बीपीसीएल की एक टीम बीना में मौजूद है जो मर्जर की प्रक्रिया में जुटी हुई है. मर्जर को लेकर बीपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस मर्जर से बीपीसीएल और बीना रिफाइनरी दोनों को फायदा होगा और ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे बदलाव में कंपनी अपने प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला कर पाएगी. दूसरी तरफ बीना रिफाइनरी के स्थाई कर्मचारी मर्जर को लेकर अपने भविष्य की आशंकाओं को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन भी शुरू कर दिया है.
मर्जर के बाद शुरू होंगे कई नए प्रोजेक्ट: जानकारों के मुताबिक इस मर्जर से बीना रिफाइनरी और भारत पेट्रोलियम दोनों मजबूत होंगे. एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे बीना रिफाइनरी के बिजनेस में खासी बढ़ोत्तरी होगी. जिस तरह बीपीसीएल ने मर्जर से पहले रिफाइनरी में कई नए प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया है उससे दोनों को काफी फायदा होगा और भविष्य में कंपनी की साख मजबूत होगी.
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कर्मचारियों में असमंजस, आंदोलन की दी चेतावनी:
बीपीसीएल द्वारा एक जुलाई से बीना रिफाइनरी गए मर्जर की घोषणा के साथ ही रिफाइनरी में सेवाएं दे रहे अस्थाई कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं. करीब 300 अस्थाई कर्मचारी रिफाइनरी से जुड़े हुए हैं जो अब आंदोलन का मन बना रहे हैं. मर्जर के एलान होने के साथ ही इन कर्मचारियों ने रिफाइनरी परिसर में प्रदर्शन भी किया था. कर्मचारियों को आशंका है कि इस मर्जर के उनका डिमोशन हो जाएगा या फिर उन्हें बाहर भी निकाला जा सकता है, हालांकि इस मामले में अभी तक रिफाइनरी ने कोई बयान जारी नहीं किया है.
जानकार बताते हैं फायदे का सौदा: वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार शशीकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बीना रिफाइनरी जब शुरू हुई थी,तब इसकी क्षमता कम से कम 12 मिलियन टन क्रूड को रिफाइन करने की योजना थी. लेकिन यह 6 मिलियन टन के साथ शुरू हो सकी थी. बाद में इसको 9 मिलियन टन करने की योजना थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वर्तमान में यह 7.8 मिलियन की क्षमता काम कर रही है. जिस तरह बीपीसीएल के सीएमडी ने मर्जर को लेकर आश्वासन दिया है कि कहा है कि उनके कुछ और प्रोजेक्ट हैं, जिसमें नवकरणीय ऊर्जा जैसे बड़े प्रोजेक्ट भी शामिल हैं जो रिफाइनरी में ही शुरू किए जाएंगे. इससे लगता है कि कंपनी बीना रिफाइनरी को मर्ज कर बीपीसीएल के स्रोतों का इस्तेमाल करेगी, जो फायदे का सौदा होगा, क्योंकि कोई बड़ा नेटवर्क किसी भी कंपनी के लिए उपयोगी होता है, तो छोटी कंपनी को ज्यादा फायदा होता है. आगे चलकर बीपीसीएल के नेटवर्क का उपयोग कर रिफाइनरी के उत्पादों को आसानी से बाजार में उतारा जा सकता है, जिससे कंपनी को फायदा होगा, यह फायदा भविष्य में शुरू किए जाने वाले के प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन पर निर्भर करेगा.