भोपाल। सिविल सेवा परीक्षा में चयनित माध्यप्रदेश के आईएएस का सम्मान समारोह शनिवार को रविन्द्र भवन में अयोजित किया गया.इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चयनित आईएएस को सम्मानित किया, जिसमें करीब 27 आईएएस शामिल हुए. शिवराज ने कन्यापूजन के साथ इसकी शुरूआत की, जिसके बाद सीएम ने सफलता के मंत्र भी दिए. कार्यक्रम के दौरान सीएम ने प्रदेश की आईएएस लॉबी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि "आईएएस बनने के बाद ऐसा भाव नहीं आना चाहिए कि साला मैं तो साहब बन गया." Safalta Ke Mantra
IAS, IPS को CM की सीख: शिवराज ने कहा कि, "पहले बहुत कम बच्चे मध्य प्रदेश के सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होते थे, अब बदलाव हुआ है. मैं चाहता तो चयनित आईएएस को घर पर बुलाकर सम्मान कर सकता था, लेकिन सफलता के मंत्र पूरे मध्यप्रदेश के बेटे-बेटियों को मिलना चाहिए. इसलिए आज सार्वजनिक सम्मान किया है. आप अब चयनित हो गए हैं, लेकिन एक बात ध्यान रखना आप सिर्फ अपने घर और अपने आपके लिए नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश समाज और देश के लिए है. हमेशा बड़े लक्ष्य के लिए काम करना. कुछ अधिकारी काम को बोझ समझते हैं, सोचते हैं कभी मंत्री ने बुला लिया तो क्या होगा. लेकिन हमें पूरी इमानदारी और परिश्रम की पराकाष्ठा से काम करना है, यह मन में रहे कि ऐसा काम करके जाऊंगा कि दुनिया याद रखें. बेहतर से बेहतर काम करें."
शिवराज ने दिए सफलता के मूल मंत्र: सीएम शिवराज ने कहा कि, "अहंकार कभी नहीं होना चाहिए. यह मुख्यमंत्री, मंत्री ,सांसद ,विधायक आईएएस, आईपीएस जितनी भी सेवाएं हैं, ये जनता की सेवाएं हैं. जनता की सेवा के लिए हम काम करें, जब बड़े पद पर पहुंचते हैं तब अलग तरीके का भाव जन्म ले लेता है. एक IAS को लगता है, साला मैं तो साब बन गया, लेकिन ऐसा भाव नहीं आना चाहिए. विनम्रता नहीं भूलना, अहंकार नहीं आना और विनम्रता से काम करना, सभी को समान भाव से देखना, यही सफलता के मूल मंत्र है. हमें जनता के लिए फूल से ज्यादा कोमल होना चाहिए, और दुर्जनों के लिए वज्र से ज्यादा कठोर होना चाहिए. जरूरत पड़े तो बुलडेजर चला दो."
आत्म विश्वास हो तो हर परिस्थितियों से लड़ सकते हैं: प्रदेश के मुखिया ने कहा कि "सिविल सेवा के अलावा भी अन्य कई क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं. हम जैसा विचार करते हैं वैसे हो जाते है, यदि हम सोचेंगे कमजोर हैं, गरीब हैं, कैसे पढ़ेंगे,तो ऐसे ही हो जाओगे. अपनी रुचि का विषय चुनो और मेहनत करो, अब मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होगी, मुझसे ग्रामीण बच्चे बोलते थे कि अंग्रेजी परेशान करती है. हर एक में आत्म विश्वास पैदा होना चाहिए, तो वो हर परिस्थितियों से लड़ सकते हैं." कार्यक्रम के दौरान सिविल सर्विसेज में चयनित हुए विद्यार्थियों ने भी अपने सफलता के मंत्र बताए, वहीं उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए. वहीं इस दौरान बड़ी संख्या में अधिकारी और हायर एजुकेशन विभाग के लोग मौजूद रहे.