भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव में महापौर पद की 16 में से 5 सीटें जीतकर कांग्रेस के उत्साह को राष्ट्रपति चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग ने ठंडा कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीवाद द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मध्यप्रदेश कांग्रेस के 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. आगामी विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के निकट तक पहुंचाने में आदिवासी क्षेत्रों से जीतकर आने वाले करीब 50 आदिवासी विधायकों ने अहम भूमिका निभाई थी. राजनीतिक के जानकारों के मुताबिक क्रॉस वोटिंग से साफ संकेत है कि, बीजेपी का यह टेस्ट था जिसमें वह पास हुई. चुनाव के पहले कांग्रेस से कोई पाला बदल ले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
चुनाव में कांग्रेस के 19 विधायकों ने किया दगा: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के पक्ष में मध्यप्रदेश से 146 वोट पड़े. अब जरा कांग्रेस और बीजेपी के वोटों का गणित भी समझ लें.
विधानसभा में बीजेपी के 127 विधायक हैं. इसके अलावा बसपा के 2, सपा का 1 और दो निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल और राणा विक्रम सिंह शामिल हैं. कांग्रेस के एक विधायक सचिन बिरला पहले ही खुलकर चुनाव में समर्थन का ऐलान कर चुके थे. इस तरह बीजेपी की तरफ से 133 वोट पड़ने थे.
कांग्रेस की तरफ से 96 कांग्रेस विधायक और 2 निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह शेरा और केदार चिड़ाभाई डाबर ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया था.
जबकि यशवंत सिन्हा को सिर्फ 79 वोट ही मिले. इस तरह 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी.
बीजेपी ने कहा कांग्रेस विधायकों ने अंतरात्मा की आवास सुनी: क्रॉस वोटिंग को लेकर बीजेपी उत्साहित है. चुनाव के पहले ही यह उजागर हो गया था कि, बीजेपी करीब 18 कांग्रेस विधायकों से क्रॉस वोटिंग करा सकती है. इसके बाद कमलनाथ सक्रिय हुए और सभी विधायकों से उन्होंने चर्चा की. कांग्रेस के दो विधायकों उमंग सिंघार ने खुलकर 1 करोड़ के ऑफर का आरोप लगाया. इसके बाद भी क्रॉस वोटिंग रूक नहीं सकी. इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रदेश में दलों की सीमाओं से उठकर बीजेपी के अलावा कई विधायक मित्रों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर द्रोपदी मुर्मू को वोट दिया. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, कमलनाथ का उनके विधायकों ने साथ छोड़ा तो सत्ता चली गई. दोबारा छोड़ा तो साख चली गई और अब क्रॉस वोटिंग से तो नाक भी चली गई. क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस नेता चिंतित हैं, हालांकि कांग्रेस नेता पलटवार करते हुए सवाल कर रहे हैं कि बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा कटनी, जबलपुर और मुरैना की जनता को भी अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने के लिए धन्यवाद नहीं देंगे.
राजनीतिक विश्लेषक बोले, कांग्रेस के लिए चिंता का विषय: राजनीतिक विशेषक के मुताबिक, 'विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस द्वारा क्रॉस वोटिंग करना कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. कांग्रेस दो साल पहले ही बड़ी टूट का शिकार हुई है. बीजेपी द्वारा क्रॉस वोटिंग की तैयारियों के पहले से उजागर होने के बाद भी कांग्रेस इसे टाल नहीं सकी. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रदेश की आदिवासी बहुल 84 सीटों में से सिर्फ 34 ही मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 50 सीटें मिली, जो सरकार बनाने में बड़ी मददगार साबित हुईं. बीजेपी का पूरा फोकस अब इन सीटों पर हैं, ऐसे में कांग्रेस के आदिवासी विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करना कांग्रेस की 2023 की राह मुश्किल कर देगी.
क्रॉस वोटिंग पर भरत सिंह कुशवाहा का बयान: नगरी निकाय चुनाव में ग्वालियर चंबल-अंचल में बीजेपी को मिली हार को लेकर शिवराज सरकार के मंत्री भारत सिंह कुशवाहा का कहना है कि, ग्वालियर चंबल अंचल को छोड़कर बीजेपी ने हर जगह साख बनाई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, ग्वालियर में कुछ कमी जरूर हुई है इसको लेकर हम मंथन कर रहे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस के द्वारा गुटबाजी के बयान को लेकर उन्होंने कहा कि, ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है. यहां खुद कांग्रेस नेतृत्व विहीन है और यही कारण है कि राष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग का मतलब होना यह साबित कर रहा है कि कांग्रेस के नेता बीजेपी की विचारधारा और निर्णय को स्वीकार कर रहे हैं. तो इसका मतलब हर कोई समझ सकता है.
सिंधिया के बाद नेतृत्व विहीन हुई कांग्रेस: ग्वालियर निकाय चुनाव में बीजेपी के तमाम बड़े दिग्गज, जैसे- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर सहित कई बड़े नेता अपने वार्ड को नहीं जिता पाए. इसको लेकर मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि, माननीय नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने वार्ड या शहर तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश भर के नेता हैं. ऐसे में उनका वार्ड हारना उनकी प्रतिष्ठा से नहीं देखना चाहिए, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में जो गलती हुई है उनको ठीक किया जाएगा. कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में जीतने के सपने देख रही है तो बस सपने देखना बंद कर दे, क्योंकि सिंधिया के आने के बाद कांग्रेस यह पूरी तरह नेतृत्व विहीन हो चुकी है.