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लड़कियां ही नहीं लड़के भी करा रहे हैं होने वाले लाइफ पार्टनर का लॉयल्टी टेस्ट, प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां भी सक्रिय

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Published : Oct 14, 2021, 10:17 PM IST

प्रदेश में एक नया ट्रैंड तेजी से बढ़ रहा है. यह है शादी से पहले अपने होने वाले या होने वाली लाइफ पार्टनर का कैरेक्टर का लॉयल्टी टेस्ट कराना. युवक युवतियां और उनके परिजन कैरेक्टर के लॉयल्टी टेस्ट के लिए डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद भी ले रहे हैं. राजधानी भोपाल में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं.

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लड़कियां ही नहीं लड़के भी करा रहे हैं होने वाले लाइफ पार्टनर का लॉयल्टी टेस्ट

भोपाल। इन दिनों प्रदेश में एक नया ट्रैंड तेजी से बढ़ रहा है. यह है शादी से पहले अपने होने वाले या होने वाली लाइफ पार्टनर का कैरेक्टर का लॉयल्टी टेस्ट कराना. युवक युवतियां और उनके परिजन कैरेक्टर के लॉयल्टी टेस्ट के लिए डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद भी ले रहे हैं. राजधानी भोपाल में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. जिसके लिए शहर में संचालित प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां एक निर्धारित फीस लेकर 15 दिन से 1 महीने लोगों को रिजल्ट भी दे रही हैं.

ऐसे किया जा रहा है लॉयल्टी टेस्ट

युवक-युवतियां या उनके परिजन शादी से पहले किए जाने वाले इस लॉयल्टी टेस्ट में खासी रुचि दिखा रहे हैं. इस तरह के लॉयल्टी टेस्ट में डिटेक्टिव एजेंसियों एक निर्धारित फीस लेकर 15 से दिन से 1 महीने के भीतर युवक-युवतियों को और उनके परिजनों को दूसरे परिवार, लड़की या लड़के से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कर देती हैं. इसमें प्रूफ के तौर पर फोटोग्राफ्ट, व्हाट्सअप चैट, काॅल डिटेल तक उपलब्ध कराई जाती है.

क्यों करा रहे हैं लाॅयल्टी टेस्ट
28 साल के साॅफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह (परिवर्तित नाम) की एक परिचित के माध्यम से होशंगाबाद की अर्चना सिंह (बदला हुआ नाम) से अरेंज मैरेज हुई. शादी के समय बताया गया कि अर्चना के एक बड़ी बहन और 4 साल का एक छोटा भाई भी है. लेकिन अर्चना के परिवारवालों और अर्चना की गतिविधियों को देखकर शादी के कुछ समय बाद संजय को शक हुआ कि जिस 4 साल के छोटे बच्चे को अर्चना का भाई बताया जा रहा है वह अर्चना का भाई नहीं, बल्कि उसका ही बेटा है. इसके बाद उसने पत्नी और बच्चे के सरकारी अस्पताल से जन्म प्रमाण पत्र खोजे, तो उसका शक यकीन में बदल गया और पूरी पड़ताल के बाद पता चला कि अर्चना की पहले भी एक शादी हो चुकी है. अपनी सच्चाई सामने आते ही अर्चना और उसके परिवार वालों ने पति के खिलाफ ही दहेद प्रताड़ना का मामला दर्ज करा दिया. जिससे काफी मुसीबतों के बाद ही उसे छुटकारा मिला. जिसके बाद संजय ने अर्चना और उसके परिवारवालों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया. यह इस तरह का यह इकलौता मामला नहीं है, ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि शादी के पहले जहां युवक- युवती और उनके परिजन अपने होने वाले पार्टनर के बैकग्राउंड को खंगाल रहे हैं, वहीं एक-दूसरे का लाॅयल्टी टेस्ट भी करा रहे हैं. इसके लिए वे डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद भी ले रहे हैं.

शादियों का सीजन करीब आते ही बढ़ी डिमांड
भोपाल में एक प्राइवेट डिटेक्टिव लिमिटेड कंपनी चलाने वाले अभिमन्यु पांडे बताते हैं कि पिछले कुछ समय में शादी के पहले प्री मैट्रीमोनियल वैरीफिकेशन, प्री मैरीटिल इंवेस्टीगेशन, बैकग्राउंड वैरीफिकेशन और लाॅयल्टी टेस्ट तक कराए जाने की डिमांड बढी है. इस बार भी शादी का सीजन नजदीक आने के साथ ही इस तरह के कई कस्टमर आने शुरू हो गए हैं. कई युवक-युवती तो अपने पार्टनर का लाॅयल्टी टेस्ट तक कराते हैं, जिसमें देखा जाता है कि वे ऑनलाइन किसी युवक-युवती से मिलने वाले ऑफर पर किस तरह रिएक्ट करते हैं और उनका कैरेक्टर कैसा है.

एक अन्य डिटेक्टिव एजेंसी के संचालक नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि ऐसे कई मामले में उनकी तरफ से मेल या फीमेल मेंबर ही संबंधित युवक या युवती से मिलने तक के लिए भेज दिए जाते हैं. इस दौरान युवक-युवती की हरकतों को प्रूफ के तौर पर कैमरे में कैद कर लिया जाता है. इसी तरह युवक-युवती के पुराने अफेयर्स, उनके और उनके परिवार के बैकग्राउंड या किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में इनवॉल्व होने का पता लगाने तक की डिमांड होती है. प्राइवेट डिटेक्टिव बताते हैं कि ऐसे मामलों में एजेंकियां 15 दिन से लेकर एक माह के भीतर इंवेस्टीगेशन कर डाॅक्युमेंट, फोटोग्राफ,वीडियोज, काॅल रिकाॅडिंग को प्रूफ के तौर पर अपने ग्राहकों को सौंप देते हैं. आपको बता दें कि राजधानी भोपाल में दो दर्जन से ज्यादा प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां ऑपरेट कर रही हैं. इसके अलावा दूसरे राज्यों की कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों ने भी शहर में अपने ऑफिस खोले हुए हैं.

समाज से कट रहे हैं लोग, इसलिए आ रही है ऐसी नौबत
महिलाओं से जुड़े सामाजिक विषयों पर काम करने वाली समाजशास्त्री और महू विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला कहती हैं कि शादी के पहले डिटेक्टिव एजेंसियों से एक दूसरे का बैकगा्रउंड पता करने की नौबत इसलिए आ रही है, क्योंकि लोग अपने आसपास और समाज से कट रहे हैं. कई बार जॉब के चलते युवत-युवतियां दूसरे शहरों में बस जाते हैं और ऐसे में जब शादी संबंध होता है, तो दोनों ही परिवार एक दूसरे के बैकग्राउंड से पूरी तरह अंजान होते हैं. जिस वजह से भविष्य में रिश्ते में दरार आने की एक संभावना बनी रहती है, जबकि पुराने समय में शादी संबंध के पहले रिश्तेदारों की वजह से एक-दूसरे परिवार का पूरा इतिहास एक-दूसरे को पता होता था. हालांकि समाजशास्त्री आशा शुक्ला इस बात की भी आशंका जाहिर करती हैं कि विवाह दो अनजान लोगों और परिवारों के बीच जुड़ने वाला ऐसा संबंध होता है जिसकी नींव विश्वास पर टिकी होती है, कई बार शादी के बाद अनावश्यक जासूसी कराने का पता चलने से भी संबंधों में दरार आ जाती है.

नए जमाने के युवा अपने भविष्य की बेहतरी के लिए कई ख्बाव सजाते हैं. जिसमें अच्छी जॉब, अच्छी लाइफ स्टाइल और एक बेहतर लाइफ पार्टनर का होना वे बेहद जरूरी मानते हैं. जिस तरह से उनके आसपास और समाज में चीजें घट रही हैं उसपर उनका ध्यान जाता है और फोकस भी होता है यही वजह है कि सुखद भविष्य की तलाश में युवक-युवतियां लॉयल्टी टेस्ट जैसे साधनों को बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं.

भोपाल। इन दिनों प्रदेश में एक नया ट्रैंड तेजी से बढ़ रहा है. यह है शादी से पहले अपने होने वाले या होने वाली लाइफ पार्टनर का कैरेक्टर का लॉयल्टी टेस्ट कराना. युवक युवतियां और उनके परिजन कैरेक्टर के लॉयल्टी टेस्ट के लिए डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद भी ले रहे हैं. राजधानी भोपाल में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. जिसके लिए शहर में संचालित प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां एक निर्धारित फीस लेकर 15 दिन से 1 महीने लोगों को रिजल्ट भी दे रही हैं.

ऐसे किया जा रहा है लॉयल्टी टेस्ट

युवक-युवतियां या उनके परिजन शादी से पहले किए जाने वाले इस लॉयल्टी टेस्ट में खासी रुचि दिखा रहे हैं. इस तरह के लॉयल्टी टेस्ट में डिटेक्टिव एजेंसियों एक निर्धारित फीस लेकर 15 से दिन से 1 महीने के भीतर युवक-युवतियों को और उनके परिजनों को दूसरे परिवार, लड़की या लड़के से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कर देती हैं. इसमें प्रूफ के तौर पर फोटोग्राफ्ट, व्हाट्सअप चैट, काॅल डिटेल तक उपलब्ध कराई जाती है.

क्यों करा रहे हैं लाॅयल्टी टेस्ट
28 साल के साॅफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह (परिवर्तित नाम) की एक परिचित के माध्यम से होशंगाबाद की अर्चना सिंह (बदला हुआ नाम) से अरेंज मैरेज हुई. शादी के समय बताया गया कि अर्चना के एक बड़ी बहन और 4 साल का एक छोटा भाई भी है. लेकिन अर्चना के परिवारवालों और अर्चना की गतिविधियों को देखकर शादी के कुछ समय बाद संजय को शक हुआ कि जिस 4 साल के छोटे बच्चे को अर्चना का भाई बताया जा रहा है वह अर्चना का भाई नहीं, बल्कि उसका ही बेटा है. इसके बाद उसने पत्नी और बच्चे के सरकारी अस्पताल से जन्म प्रमाण पत्र खोजे, तो उसका शक यकीन में बदल गया और पूरी पड़ताल के बाद पता चला कि अर्चना की पहले भी एक शादी हो चुकी है. अपनी सच्चाई सामने आते ही अर्चना और उसके परिवार वालों ने पति के खिलाफ ही दहेद प्रताड़ना का मामला दर्ज करा दिया. जिससे काफी मुसीबतों के बाद ही उसे छुटकारा मिला. जिसके बाद संजय ने अर्चना और उसके परिवारवालों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया. यह इस तरह का यह इकलौता मामला नहीं है, ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि शादी के पहले जहां युवक- युवती और उनके परिजन अपने होने वाले पार्टनर के बैकग्राउंड को खंगाल रहे हैं, वहीं एक-दूसरे का लाॅयल्टी टेस्ट भी करा रहे हैं. इसके लिए वे डिटेक्टिव एजेंसियों की मदद भी ले रहे हैं.

शादियों का सीजन करीब आते ही बढ़ी डिमांड
भोपाल में एक प्राइवेट डिटेक्टिव लिमिटेड कंपनी चलाने वाले अभिमन्यु पांडे बताते हैं कि पिछले कुछ समय में शादी के पहले प्री मैट्रीमोनियल वैरीफिकेशन, प्री मैरीटिल इंवेस्टीगेशन, बैकग्राउंड वैरीफिकेशन और लाॅयल्टी टेस्ट तक कराए जाने की डिमांड बढी है. इस बार भी शादी का सीजन नजदीक आने के साथ ही इस तरह के कई कस्टमर आने शुरू हो गए हैं. कई युवक-युवती तो अपने पार्टनर का लाॅयल्टी टेस्ट तक कराते हैं, जिसमें देखा जाता है कि वे ऑनलाइन किसी युवक-युवती से मिलने वाले ऑफर पर किस तरह रिएक्ट करते हैं और उनका कैरेक्टर कैसा है.

एक अन्य डिटेक्टिव एजेंसी के संचालक नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि ऐसे कई मामले में उनकी तरफ से मेल या फीमेल मेंबर ही संबंधित युवक या युवती से मिलने तक के लिए भेज दिए जाते हैं. इस दौरान युवक-युवती की हरकतों को प्रूफ के तौर पर कैमरे में कैद कर लिया जाता है. इसी तरह युवक-युवती के पुराने अफेयर्स, उनके और उनके परिवार के बैकग्राउंड या किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में इनवॉल्व होने का पता लगाने तक की डिमांड होती है. प्राइवेट डिटेक्टिव बताते हैं कि ऐसे मामलों में एजेंकियां 15 दिन से लेकर एक माह के भीतर इंवेस्टीगेशन कर डाॅक्युमेंट, फोटोग्राफ,वीडियोज, काॅल रिकाॅडिंग को प्रूफ के तौर पर अपने ग्राहकों को सौंप देते हैं. आपको बता दें कि राजधानी भोपाल में दो दर्जन से ज्यादा प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां ऑपरेट कर रही हैं. इसके अलावा दूसरे राज्यों की कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों ने भी शहर में अपने ऑफिस खोले हुए हैं.

समाज से कट रहे हैं लोग, इसलिए आ रही है ऐसी नौबत
महिलाओं से जुड़े सामाजिक विषयों पर काम करने वाली समाजशास्त्री और महू विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला कहती हैं कि शादी के पहले डिटेक्टिव एजेंसियों से एक दूसरे का बैकगा्रउंड पता करने की नौबत इसलिए आ रही है, क्योंकि लोग अपने आसपास और समाज से कट रहे हैं. कई बार जॉब के चलते युवत-युवतियां दूसरे शहरों में बस जाते हैं और ऐसे में जब शादी संबंध होता है, तो दोनों ही परिवार एक दूसरे के बैकग्राउंड से पूरी तरह अंजान होते हैं. जिस वजह से भविष्य में रिश्ते में दरार आने की एक संभावना बनी रहती है, जबकि पुराने समय में शादी संबंध के पहले रिश्तेदारों की वजह से एक-दूसरे परिवार का पूरा इतिहास एक-दूसरे को पता होता था. हालांकि समाजशास्त्री आशा शुक्ला इस बात की भी आशंका जाहिर करती हैं कि विवाह दो अनजान लोगों और परिवारों के बीच जुड़ने वाला ऐसा संबंध होता है जिसकी नींव विश्वास पर टिकी होती है, कई बार शादी के बाद अनावश्यक जासूसी कराने का पता चलने से भी संबंधों में दरार आ जाती है.

नए जमाने के युवा अपने भविष्य की बेहतरी के लिए कई ख्बाव सजाते हैं. जिसमें अच्छी जॉब, अच्छी लाइफ स्टाइल और एक बेहतर लाइफ पार्टनर का होना वे बेहद जरूरी मानते हैं. जिस तरह से उनके आसपास और समाज में चीजें घट रही हैं उसपर उनका ध्यान जाता है और फोकस भी होता है यही वजह है कि सुखद भविष्य की तलाश में युवक-युवतियां लॉयल्टी टेस्ट जैसे साधनों को बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं.

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