भोपाल। 'वाम वर्सेस आवाम', संघ की विचारधारा से जुड़े लेखक अप्रतिम राने ने यह Vam Vs Awam किताब लिखी है. किताब के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसका कंटेंट कैसा होगा. यह तय माना जा book content disputed रहा है कि 2024 के आम चुनाव के पहले सियासी उबाल लाने का पूरा मसाला इस किताब में मौजूद है. सोमवार को किताब का विमोचन भी कर दिया गया है. इस किताब का कंटेट नए विवाद की वजह बन सकता है. किताब के जरिए एक खास विचारधारा Apratim Rane को टारगेट किया गया है और खुलासा करने के अंदाज़ में यह बताया गया है कि कैसे भगवा आतंकवाद, असहिष्णुता, सीएए, जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच नैरेटिव सैट करने की कोशिश की गई. किताब के कंटेंट को लेकर वामपंथी संगठनों ने भी पलटवार किया है.
क्या है वाम वर्सेस आवाम: 50 पन्नो की ये किताब इस अंदाज़ में लिखी गई है कि जनता तक उसकी पहुंच भी बनें, और पाठक के लिए किताब में दिए गए तथ्यों को पढ़ना और समझना आसान रहे. किताब में लेखक अपनी बात रखते हुए लिखते हैं कि जब देश की एक ख्याति प्राप्त यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में देश विरोधी नारे लगाए तो जानने की इच्छा हुई कि ये नस्ल कौन सी है. लेखक ने किताब में इन बातों को लेकर अपने तर्क रखे हैं. किताब के लेखक अप्रतिम राने कहते हैं कि उनकी किताब वाम वर्सेस आवाम में देश में जो षडयंत्र वामपंथ कर रहा है उसे बताने की कोशिश की गई है.
किताब में क्या क्या है: किताब के कुछ अंश सामने आए हैं. जिनमें वामपंथ की विचारधारा को लेकर सवाल उठाए गए हैं. किताब में लिखा है- वामपंथ के समर्थन से चल रही कांग्रेस की सरकार ने कहा था कि राम काल्पनिक पात्र और रामसेतु विकास में बाधक है.- यूपीए सरकार के दौरान देश में हुई आतंकवादी घटनाओं को हिंदू धर्म से जोड़ा गया.पाखंडी साधु संतों को जानबूझकर हाईलाईट किया गया ताकि साधु संतों की एक स्थाई छवि बनाई जा सके. - 2015 में जानबूझकर असुरक्षा के वातावरण का माहौल बनाया गया. कुछ साहित्यकारों ने पुरस्कार लौटा दिए. बड़े सेलिब्रिटीज ने भी कई बयान दिए और दुनिया में इनटॉलरेंस को लेकर ये संदेश दिया गया कि भारत अब रहने के लिए सुरक्षित नहीं है. - माहौल बनाया गया कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) मुसलमानों को देश से बाहर करने की साजिश है.- नारीवाद के नाम पर स्त्रियों को वामपंथ ने यह बताया कि किस तरह से बचपन से उनका शोषण हुआ है.
किताब में एक भी तर्कपूर्ण बात नहीं: वरिष्ठ वामपंथी नेता बादल सरोज किताब के कंटेंट को लेकर सवाल उठाते हैं. वे कहते हैं 'इस किताब में कुछ भी तथ्यपूर्ण नहीं है. एक ही तरीके की बात बार बार कही गई है. उन्होंने कहा कि हम अंध विश्वास के खिलाफ अंध श्रृध्दा के खिलाफ लड़े हैं. बादल सरोज कहते हैं कि कुरीतियां कभी भी भारतीय समाज की प्रतिष्ठा नहीं रहीं, इससे बाहर निकलकर ही भारतीय समाज का विकास हो सकता है. वाम वर्सेस आवाम को लेकर सरोज कहते हैं कि हैरानी होती है कि ये कैसी किताब छाप दी है जिसमें एक भी तर्कपूर्ण बात नहीं है. भारतीय इतिहास का जितने सुसंगत तरीके से अध्ययन वामपंथियों ने किया और किसी ने किया. इतिहास हमेशा सबक लेने के लिए होता है. ये जिस इतिहास की बात कर रहे हैं वो भारत का इतिहास नहीं है. बादल आगे जोड़ते हैं, इस देश में संस्कृति के क्षेत्र में, साहित्य के क्षेत्र में ,विज्ञान दर्शन के क्षेत्र में जो कुछ भी सकारात्मक है वह अपने अपने समय के वामपंथियों ने दिया है. वामपंथी वो, जो सूरज की तरफ देखकर उठते हैं अमावस की आराधना नहीं करते. पर ये बात ये लोग नहीं समझेंगे.'
'मैंने अपनी बात कह दी जहां तक पहुंचे': वाम वर्सेस आवाम के लेखक अप्रतिम राने कहते हैं मैने बैतूल के वनवासी इलाकों में देखा कि कैसे बड़े योजनाबद्ध तरीके से एक नैरेटिव सेट किया जा रहा है. मैने उसे समझने की कोशिश की. फिर देखा देश की ही यूनिवर्सिटी में देश विरोधी नारे भी लगाए जा रहे हैं. ये सब देखा तो लगा कि इस साजिश को समझना पडेगा. मैने जो जानकारी जुटाई उसे किताब की शक्ल में सामने लाया गया है. जिसमें इस बात का खुलासा है. किताब के जरिए देश का माहौल बिगाड़ने की जो साजिश की गई उसकी हकीकत जनता के सामने लाई गई है. मैंने अपनी बात कह दी है जहां तक पहुंचे. राने ने कहा कि किताब को लेकर अलग अलग शहरों में कार्यक्रम आयोजित करने के प्रस्ताव आ रहे हैं. मुझे लगता है कि इसके जरिए सही अर्थों में किताब का मकसद पूरा होगा.