भोपाल। मध्यप्रदेश में 3 मार्च से शुरु हुआ 'सत्ता का सियासी संग्राम' 20 मार्च को खत्म हो गया. कमलनाथ ने इस्तीफा दिया और 15 महीने पहले बनी कांग्रेस की सरकार गिर गई. बीजेपी ने जिस ऑपरेशन लोटस की शुरुआत की, वो उस में कामयाब हो गई. लेकिन बीजेपी की इस रणनीति में प्रदेश के नेता जितने एक्टिव रहे, उससे कही ज्यादा पर्दे के पीछे बीजेपी आलाकमान एक्टिव था. जिसका नतीजा ये हुआ कि, आज मध्य प्रदेश में फिर बीजेपी की सरकार बनने जा रही है, जिसकी कमान शिवराज सिंह चौहान संभालने जा रहे हैं.
कमलनाथ सरकार को गिराने की स्क्रिप्ट दिल्ली में लिखी गई थी, प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा से लेकर गोपाल भार्गव तक, सभी नेता उसी रणनीति पर काम कर रहे थे. जिसके दिशा निर्देश दिल्ली से अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दे रहे थे. ये वो कुछ अहम निर्णय रहे, जो दिल्ली में बैठे बीजेपी दिग्गजों ने लिए और प्रदेश में बीजेपी सरकार की वापसी का रास्ता साफ हुआ.
बीजेपी आलाकमान के अहम निर्देश
कांग्रेस विधायकों की बगावत की स्क्रिप्ट बीजेपी आलाकमान ने लिखी
कमलनाथ सरकार गिराने कर्नाटक फार्मूला दिल्ली आलाकमान ने दिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में लाने में अहम योगदान
कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार को सौंपी बागी विधायकों की जिम्मेदारी
पर्दे के पीछे से अमित शाह और जेपी नड्डा ने हर पहलू पर रखी नजर
22 विधायकों की बगावत से लेकर सिंधिया के बीजेपी में आने तक की हर रणनीति बीजेपी के दिल्ली दरबार में ही बनी. राजनीतिक जानकारों की माने तो, बीजेपी ने पहले से ही कांग्रेस में नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर नजर जमाई और उनको बीजेपी में लाने की जिम्मेदारी जफर इस्लाम को सौंपी. आखिरकार सिंधिया की नाराजगी का फायदा बीजेपी को हुआ और वो अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए, नतीजा ये हुआ कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई.
बीजेपी का दिल्ली दरबार मध्य प्रदेश के सियासी संग्राम पर हर वक्त एक्टिव रहा. गृहमंत्री अमित शाह पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पीएम मोदी से मिले फिर सिंधिया का इस्तीफा हुआ. इधर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बेंगलुरु पहुंचकर सिंधिया समर्थक बागी विधायकों से मुलाकात कर उन्हें कुछ इस तरह समझाया कि, जब तक कमलनाथ सरकार नहीं गिर गई तब तक बागी घर नहीं लौटे. बीजेपी की इस रणनीति के आगे कांग्रेस आलाकमान भी पूरी तरह से फेल नजर आया. तो प्रदेश की राजनीति के मंझे हुए धुरंधर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी सरकार नहीं बचा पाए. बीजेपी ने कर्नाटक फॉर्मूला अपनाकर 17 दिन में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरा दी.