भोपाल। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी वापस ले ली है. अभिषेक ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुये कहा है कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और आडवाणी के वंशवाद को लेकर दिये बयान के बाद मैं अपनी दावेदारी वापस लेता हूं.
लगातार परिवारवाद के आरोपों के बाद अभिषेक भार्गव ने आखिर अपनी दावेदारी वापस ले ली है. अभिषेक भार्गव का नाम बुंदेलखंड की तीन लोकसभा सीट सागर, दमोह और खजुराहो से केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया है, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली है. अभिषेक का कहना है कि वे परिवारवाद का कलंक लेकर राजनीति नहीं करना चाहते.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर अभिषेक भार्गव ने अपनी दावेदारी वापस लेने की घोषणा की है उन्होंने अनपी पोस्ट में लिखा-
'आदरणीय मोदी जी और आडवाणी जी के वंशवाद के विरूद्ध दिए गए बयान के बाद स्वयं में अपराधबोध महसूस कर रहा हूं. इतने बड़े संकल्प को लेकर पार्टी राष्ट्रहित में एक युद्ध लड़ रही है और सिर्फ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उस संकल्प की सिद्धि के रास्ते मे रुकावट बनू यह भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते मेरा स्वाभिमान मुझे इजाजत नहीं देता.'
'बुंदेलखंड की तीनों सीटों दमोह, सागर, खजुराहो से विचारार्थ मेरा नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेज गया है. मुझे इस लायक समझने के लिए सभी पार्टी के वरिष्ठजनों का में हृदय से कोटि कोटि आभार व्यक्त करता हूं परंतु आज पुनः जैसा कि मैंने कुछ दिन पूर्व ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि परिवारवाद का कलंक लेकर में राजनीति नहीं करना चाहता हूं. अतः वंशवाद और परिवारवाद के खिलाफ राष्ट्रहित और पार्टीहित में लोकसभा की दावेदारी से में स्वयं को पृथक करते हुए अपनी दावेदारी वापस लेता हूं. मेरे स्थान पर पार्टी के किसी अन्य समर्पित कर्मठ कार्यकर्ता के नाम पर पार्टी विचार करे यही निवेदन है.'
वहीं इस मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी ने कहा है कि ये अभिषेक भार्गव का निजी फैसला है. किसी भी राजनैतिक पार्टी में टिकट मांगने का अधिकार सभी को है. उन्होंने कहा कि इसका फैसला बीजेपी को करना था और वे ये मानते हैं कि कोई भी पार्टी अपने उम्मीदवार का फैसला बहुत सोच-समझकर करती है.