जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने के (Mp High Court News) मामले में हाईकोर्ट में जारी सुनवाई एक बार फिर टल गई. खास बात है कि यह पहली बार नहीं बल्कि सुनवाई 7 वीं (obc reservation hearing postponed) बार टली है. इस बार सरकार के सॉलिसिटर जनरल सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहे. सरकार के आग्रह पर मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को निर्धारित की गई है. हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित सभी 64 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की जा रही है. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू और जस्टिस डीडी बंसल की बेंच के सामने प्रदेश सरकार की तरफ से सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधित्व के संबंध में पेश की गयी रिपोर्ट रखने का आग्रह किया गया था,लेकिन हलफनामे के साथ इस दायर नहीं करने पर रिपोर्ट अस्वीकार कर दी है. बेंच ने ओबीसी आरक्षण पर अपने पूर्व के आदेश को बरकरार रखा है.
16 अगस्त मंगलवार को यह हुआ: याचिका पर मंगलवार को सुनवाई थी. इस दौरान सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई बढाने का आग्रह किया गया. सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल की अनुपस्थित का हवाला देते हुए सातवीं बार याचिका पर सुनवाई की तारीख बढाने का (obc reservation hearing postponed) आग्रह किया गया. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी नौकरी में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व 14 प्रतिशत से कम है. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद हलफनामा दायर नहीं करने के कारण रिपोर्ट स्वीकार करने से इंकार करते हुए अगली सुनवाई 22 अगस्त को निर्धारित की है.
HC ने स्टे ऑर्डर वापस लेने से किया था इनकार: प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को 27 फीसदी किए जाने को लेकर आशिता दुबे सहित अन्य की तरफ से इसके खिलाफ तथा पक्ष में लगभग 60 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं. हाईकोर्ट ने कई लंबित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने पर रोक लगा दी थी. जिसपर सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया था. हाईकोर्ट ने 1 सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे.
सरकार ने जारी किए आरक्षण 27 फीसदी करने के आदेश: प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता के 25 अगस्त 2021 को दिये अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20, पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति और शिक्षक भर्ती छोडकर अन्य विभागों में हुई भर्ती के लिए ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं. इस आदेश के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिकाओं में सवाल उठाते हुए कहा गया
- सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.
- प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
- सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से दायर जवाब में कहा गया था कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में ओबीसी वर्ग की संख्या लगभग 51 प्रतिशत है. इससे पहले सरकार की तरफ से ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंध में जारी अंतरिम रोक के आदेष को संशोधित करने के लिए आवेदन दायर किया था. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.