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राजधानी के 18 फीसदी लोगों को पता नहीं चला कि वह भी कोरोना संक्रमित हुए - Dr DK Pal

राजधानी भोपाल में स्वाथ्य विभाग द्वारा किया गया सीरो सर्वे में पता चला है कि शहर के 18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी (Antibody) विकसित हुई है, यानि इन लोगों को कोरोना हुआ लेकिन पता नहीं चला.

Antibodies in 18 Percent of the population
18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी
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Published : Oct 26, 2020, 2:02 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में एंटीबॉडी की जांच के लिए सितंबर महीने में करीब 10 दिन तक सीरो सर्वे किया गया. सीरो सर्वे में शहर के साढे़ सात हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए थे, जिसकी जांच कर यह पता लगाया जाना था कि कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होकर ठीक भी हो गया हो और उन्हें पता नहीं चला, साथ ही कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनमें अपने आप ही कोरोनावायरस एंटीबॉडी बनी है.

Antibodies in 18 Percent of the population
18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी

यह सर्वे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कर रहा था. गांधी मेडिकल कॉलेज के पीएसएम डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. डीके पाल की निगरानी में यह सर्वे कराया गया.

18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडीज

इस बारे में डॉ. डीके पाल ने बताया कि सर्वे में 18.2 फीसदी भोपाल की आबादी में एंटीबॉडीज पायी गई है. शहर के करीब 7,976 लोगों के ब्लड के सैंपल लिए गए थे, जिसका इलाज टेस्ट के जरिये परिणाम निकाला गया.

पुराने शहर के ज्यादा लोगों में बनी एंटीबॉडी

डॉ. डीके पाल ने बताया कि नए शहर की तुलना में पुराने शहर के ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी बन गई है. शहर के इस्लामपुरा वार्ड की 55 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी पाई गई. बागमुंशी हुसैन का वार्ड में 46 फीसदी लोगों में और जहांगीराबाद जो कि एक समय में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन गया था, यहां पर करीब एक तिहाई जनसंख्या में एंटीबॉडी विकसित हो गई है. शहर के इंद्रपुरी वार्ड में 0 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी बनी है.

डॉ. पाल ने बताया कि इस सर्वे में पाया कि कम घनत्व वाले क्षेत्रों में लोगों में कम एंटीबॉडी बनी है, वहीं ज्यादा घनत्व और घने क्षेत्रों में लोगों में ज्यादा एंटीबॉडी बनी है.

पढ़ेंः सात दिन की बच्ची में पाया गया कोरोना एंटीबॉडी

बता दें कि 7 सितंबर से 19 सितंबर तक शहर के 85 वार्डों में यह सर्वे किया गया था. इस सर्वे को कराने का उद्देश्य कोरोना वायरस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नई रणनीति बनाना था. इसके साथ ही हर्ड इम्युनिटी को लेकर हम कितने आगे बढ़े हैं इसका भी पता लगाना था.

क्या है एंटीबॉडी ?

एंटीबॉडी उन व्यक्तियों के शरीर में पाए जाते हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुके हैं. सर्वे के मुताबिक स्वस्थ हो चुके इन लोगों को कभी पता ही नहीं लगा कि वह कोरोना संक्रमित भी हुए थे.

दिल्ली में 29.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी

20 अगस्त को दिल्ली में किए गए दूसरे सीरो सर्वे के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. इस सर्वे में पता लगा है कि 29.1 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनके शरीर में कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी हैं. पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार लगभग छह फीसदी ज्यादा लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज पाई गई हैं. दिल्ली की आबादी लगभग दो करोड़ है. दिल्ली में यह सर्वे एक अगस्त से सात अगस्त के बीच किया गया. इस दौरान दिल्ली के सभी 11 जिलों से लोगों के सैंपल लिए गए.

हर्ड इम्युनिटी

अगस्त माह में हुए सीरो सर्वे के मुताबिक दिल्ली में जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई, उनमें सबसे बड़ी संख्या 18 साल तक के बच्चों की है. 34 प्रतिशत से अधिक बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई है. हालांकि यह अभी भी हर्ड इम्यूनिटी के लेवल तक नहीं पहुंचा है, इसलिए जो लोग बचे हैं, उनको संक्रमण का खतरा बना हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब 50 से 70 प्रतिशत लोग संक्रमित होकर ठीक हो जाते हैं तो सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी हर्ड इम्युनिटी बनती है.

भोपाल। राजधानी भोपाल में एंटीबॉडी की जांच के लिए सितंबर महीने में करीब 10 दिन तक सीरो सर्वे किया गया. सीरो सर्वे में शहर के साढे़ सात हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए थे, जिसकी जांच कर यह पता लगाया जाना था कि कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होकर ठीक भी हो गया हो और उन्हें पता नहीं चला, साथ ही कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनमें अपने आप ही कोरोनावायरस एंटीबॉडी बनी है.

Antibodies in 18 Percent of the population
18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी

यह सर्वे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कर रहा था. गांधी मेडिकल कॉलेज के पीएसएम डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. डीके पाल की निगरानी में यह सर्वे कराया गया.

18 फीसदी आबादी में एंटीबॉडीज

इस बारे में डॉ. डीके पाल ने बताया कि सर्वे में 18.2 फीसदी भोपाल की आबादी में एंटीबॉडीज पायी गई है. शहर के करीब 7,976 लोगों के ब्लड के सैंपल लिए गए थे, जिसका इलाज टेस्ट के जरिये परिणाम निकाला गया.

पुराने शहर के ज्यादा लोगों में बनी एंटीबॉडी

डॉ. डीके पाल ने बताया कि नए शहर की तुलना में पुराने शहर के ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी बन गई है. शहर के इस्लामपुरा वार्ड की 55 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी पाई गई. बागमुंशी हुसैन का वार्ड में 46 फीसदी लोगों में और जहांगीराबाद जो कि एक समय में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन गया था, यहां पर करीब एक तिहाई जनसंख्या में एंटीबॉडी विकसित हो गई है. शहर के इंद्रपुरी वार्ड में 0 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी बनी है.

डॉ. पाल ने बताया कि इस सर्वे में पाया कि कम घनत्व वाले क्षेत्रों में लोगों में कम एंटीबॉडी बनी है, वहीं ज्यादा घनत्व और घने क्षेत्रों में लोगों में ज्यादा एंटीबॉडी बनी है.

पढ़ेंः सात दिन की बच्ची में पाया गया कोरोना एंटीबॉडी

बता दें कि 7 सितंबर से 19 सितंबर तक शहर के 85 वार्डों में यह सर्वे किया गया था. इस सर्वे को कराने का उद्देश्य कोरोना वायरस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नई रणनीति बनाना था. इसके साथ ही हर्ड इम्युनिटी को लेकर हम कितने आगे बढ़े हैं इसका भी पता लगाना था.

क्या है एंटीबॉडी ?

एंटीबॉडी उन व्यक्तियों के शरीर में पाए जाते हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुके हैं. सर्वे के मुताबिक स्वस्थ हो चुके इन लोगों को कभी पता ही नहीं लगा कि वह कोरोना संक्रमित भी हुए थे.

दिल्ली में 29.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी

20 अगस्त को दिल्ली में किए गए दूसरे सीरो सर्वे के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. इस सर्वे में पता लगा है कि 29.1 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनके शरीर में कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी हैं. पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार लगभग छह फीसदी ज्यादा लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज पाई गई हैं. दिल्ली की आबादी लगभग दो करोड़ है. दिल्ली में यह सर्वे एक अगस्त से सात अगस्त के बीच किया गया. इस दौरान दिल्ली के सभी 11 जिलों से लोगों के सैंपल लिए गए.

हर्ड इम्युनिटी

अगस्त माह में हुए सीरो सर्वे के मुताबिक दिल्ली में जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई, उनमें सबसे बड़ी संख्या 18 साल तक के बच्चों की है. 34 प्रतिशत से अधिक बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई है. हालांकि यह अभी भी हर्ड इम्यूनिटी के लेवल तक नहीं पहुंचा है, इसलिए जो लोग बचे हैं, उनको संक्रमण का खतरा बना हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब 50 से 70 प्रतिशत लोग संक्रमित होकर ठीक हो जाते हैं तो सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी हर्ड इम्युनिटी बनती है.

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