भोपाल। शांति का टापू कहां जाने वाला मध्य प्रदेश लंबे अरसे से महिला अपराधों के मामले में अव्वल बना हुआ है. जहां बेटियां सुरक्षित नहीं है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में ऐसा ही एक चौकाने वाला आंकड़ा फिर सामने आया है. जिसमे बताया गया है कि मध्यप्रदेश में हर दिन औसतन 16 लड़कियों का अपहरण हो जाता है. जिनमें 94 फ़ीसदी लड़कियों की उम्र 12 से 18 साल के बीच है.
बच्चों के अधिकारों को लेकर पिछले कई सालों से काम कर रही संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू के एक विश्लेषण में भी पता चला है कि, नाबालिक लड़कियों के अपहरण के मामले में पिछले 4 सालों में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
मध्य प्रदेश में साल 2014 से 2018 के बीच दर्ज किए गए अपहरण के मामलों पर नजर डालें तो--
- 2014 में 4 हजार 546 लड़कियों के अपहरण के मामले दर्ज हुए
- साल 2015 में 3 हजार 590 लड़कियों का अपहरण हुआ
- साल 2016 में 4 हजार 91 लड़कियों का अपहरण हुआ
- साल 2017 में 5 हजार 245 लड़कियों का अपहरण हुआ
- साल 2018 में लड़कियों के अपहरण के यह आंकड़े बढ़कर 5 हजार 767 पर पहुंच गए
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कुल अगवा की गई लड़कियों में से 94% लड़कियां 12 से 16 साल और 16 से 18 वर्ष की थी. 12 से 16 साल की लड़कियों के अपहरण के मामलों की बात करे तो
- साल 2018 में 12 से 16 वर्ष की 2 हजार 219 लड़कियों को अपहरण हुआ
- साल 2019 यह आंकड़ा बढ़कर 3 हजार 214 पहुंच गया
इन आंकड़ों पर जब सियासतदानों से बात की गई तो वे हर बार की तरह एक-दूसरे पर आरोप लगाते ही नजर आए. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार लड़कियों को अपहरण के मामलों में गंभीर नहीं है. तो वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रबि दुबे कहते है कि मामला गंभीर है. लेकिन कमलनाथ सरकार बनने के बाद इन मामलों में कमी आई है.
लड़कियों के अपहरण के मामले में नेता भले ही एक दूसरे पर आरोप लगाए. लेकिन लड़कियों के लिए काम करने वाली इंटरनेशनल संस्था क्राई की रीज़नल डायरेक्टर सोहा मोइत्रा कहती है हमे सरकारों के साथ मिलकर करने की जरुरत है कि ताकि अपहरण के इन मामलों पर रोक लगाई जा सके.
देश में लड़कियों को समर्थन और नए अवसर देने के लिए हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. लेकिन जो आंकड़े सामने आते है उनसे तो यही कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में लड़कियों के गुम होने की वारदात एक आम बात बन चुकी है. जहां किसी की लड़की कभी भी रहस्मयठंग से लापता हो जाती है, तो कईयों को अपनी लापता लाडो की तलाश आज भी है. ऐसे में जरुरत है कि हवा हवाई बाते और दावे न करते हुए बेटियों को बचाने की दिशा में काम किया जाए.