बैतूल। विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर लगभग आधा दर्जन के गांव के आदिवासियों ने 1930 के सत्याग्रह स्थल बंजारीढाल में समाधी स्थल पर इकट्ठा होकर आजादी के आन्दोलन में शहीद हुए अपने पूर्वजों को याद किया. इस दौरान उन्होंने जंगल फिर से हरा-भरा करने की शपथ ली. अंग्रेज काल के जंगल सत्याग्रह स्थल पर 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया.
![World tribal day will be celebrated at the site of the jungle satyagraha of the British era](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08:47:56:1596899876_mp-bet-ghoradongri-01-adiwasi-diwas-raw-mp10017_08082020204409_0808f_1596899649_129.jpg)
राजेन्द्र गढ़वाल ने बताया कि श्रमिक आदिवासी संगठन एवं समाजवादी जन परिषद के बैनर तले हुए इस कार्यक्रम में समाधी स्थल की मिट्टी हाथ में लेकर ये शपथ ली कि वो अपने पुरखों के अधूरे काम को पूरा करेंगे. वो जंगल को फिर से पहला जैसा करेंगे और उस पर अपना हक़ नहीं छोड़ेंगे. इस अवसर उन्होंने आम, जाम, जामुन के 50 पौधों का भी वितरण किया.समाधी स्थल पर 1930 के सत्याग्रह के शहीदों और उसके नेता सरदार गंजन सिंह कोरकू को भी याद किया गया. इस कार्यक्रम में बंजारीढाल, खापा, छिमडी, कुसमेरी, सिलपटी, शाहपुर आदि गांव के आदिवासियों ने भाग लिया.
ज्ञात हो कि जब आजादी के आन्दोलन में 1930 में गांधीजी ने अंग्रेजों के कानून के खिलाफ नमक सत्याग्रह कर दांडी यात्रा की थी, तब जिले के आदिवासीयों ने अंग्रेजो के जंगल में चराई और लकड़ी लाने पर रोक और टैक्स लगाने की नीति के खिलाफ आन्दोलन किया था. बंजारीढाल में इसके लिए हजारों की संख्या में आदिवासी इकट्ठा हुए थे, इस आन्दोलन में अंग्रेजो की गोली से एक आदिवासी मारा गया था और कई घायल हुए थे. विश्व आदिवासी दिवस उसी स्थल पर मनाया जाएगा.