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दमोह में देसी फ्रिज की बढ़ी डिमांड, बाहर से आने वाले मटके बने लोगों की पसंद

दमोह शहर में स्थानीय मटकों से ज्यादा दूसरे जिलों से बनकर आने वाले मटकों की डिमांड ज्यादा है. स्थानीय मटका कारीगरों का कहना है कि दमोह में मिट्टी की समस्या के चलते भी मटकों के निर्माण में कमी आई है.

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Published : Apr 3, 2019, 3:33 PM IST

मटके बने लोगों की पसंद

दमोह। बढ़ती गर्मी से राहत पाने के लिए लोग ठंडे पानी का सहारा ले रहे हैं. मटके का पानी ठंडा और मीठा होता है, इसलिए कई लोग फ्रिज के बदले मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. दमोह का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. यहां लोगों को भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ रही है. यही कारण है कि दमोह में स्थानीय मटकों के साथ-साथ बाहरी मटकों की डिमांड भी बढ़ रही है.

कई लोग आज भी फ्रिज के पानी के बजाए देसी फ्रिज यानि मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. हालांकि इस बार दमोह में स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए मटकों से ज्यादा डिमांड बाहर के जिलों से आए मटकों की है. स्थानीय मटका कारीगरों का कहना है कि दमोह में मिट्टी की समस्या के चलते भी मटकों के निर्माण में कमी आई है.

मटके बने लोगों की पसंद

इधर लोगों का कहना है कि दूसरे जिलों से आने वाले मटके ज्यादा मजबूत हैं और उसमें पानी भी ज्यादा ठंडा रहता है. लोगों का मानना है कि स्थानीय निर्मित मटके और बाहर से आए मजबूत क्वॉलिटी के मटके लगभग एक ही दाम में मिलते हैं. दोनों की ही कीमत 80 से लेकर 100 रुपए तक है. जिसके चलते लोग बाहरी मटकों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं.

भले ही दमोह के लोग स्थानीय मटकों के स्थान पर बाहरी मटकों को खरीदना पसंद कर रहे हों, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आज के जमाने में भी लोग पानी को ठंडा करने के लिए देसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मटका कारीगरों के लिए राहत की बात है.

दमोह। बढ़ती गर्मी से राहत पाने के लिए लोग ठंडे पानी का सहारा ले रहे हैं. मटके का पानी ठंडा और मीठा होता है, इसलिए कई लोग फ्रिज के बदले मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. दमोह का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. यहां लोगों को भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ रही है. यही कारण है कि दमोह में स्थानीय मटकों के साथ-साथ बाहरी मटकों की डिमांड भी बढ़ रही है.

कई लोग आज भी फ्रिज के पानी के बजाए देसी फ्रिज यानि मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. हालांकि इस बार दमोह में स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए मटकों से ज्यादा डिमांड बाहर के जिलों से आए मटकों की है. स्थानीय मटका कारीगरों का कहना है कि दमोह में मिट्टी की समस्या के चलते भी मटकों के निर्माण में कमी आई है.

मटके बने लोगों की पसंद

इधर लोगों का कहना है कि दूसरे जिलों से आने वाले मटके ज्यादा मजबूत हैं और उसमें पानी भी ज्यादा ठंडा रहता है. लोगों का मानना है कि स्थानीय निर्मित मटके और बाहर से आए मजबूत क्वॉलिटी के मटके लगभग एक ही दाम में मिलते हैं. दोनों की ही कीमत 80 से लेकर 100 रुपए तक है. जिसके चलते लोग बाहरी मटकों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं.

भले ही दमोह के लोग स्थानीय मटकों के स्थान पर बाहरी मटकों को खरीदना पसंद कर रहे हों, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आज के जमाने में भी लोग पानी को ठंडा करने के लिए देसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मटका कारीगरों के लिए राहत की बात है.

Intro:स्थानीय मटको की अपेक्षा बाहर से आए मटको की ज्यादा है दमोह में डिमांड 40 के पार 12 पहुंचने से दमोह में बढ़ गई मटको की डिमांड सड़क के किनारे बड़ी संख्या में बिक रहे मटके खरीदी करने आ रहे दमोह के लोग Anchor. दमोह में 40 के पार पहुंचे पारे से लोगों को जहां भीषण गर्मी का दौर झेलना पड़ रहा है, वहीं इस गर्मी से राहत दिलाने वाले ठंडे पानी की जुगत में लोग जुट गए हैं. यही कारण है कि दमोह में स्थानीय मटको के साथ बाहरी मटको की डिमांड बढ़ गई है. देसी फ्रिज की मान्यता प्राप्त स्थानीय रूप से बनने वाले मटके लोगों की आज भी पसंद बने हुए हैं. लेकिन दमोह में स्थानीय मटको से ज्यादा बाहर से बनकर आए मटके ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं.


Body:Vo. देसी फ्रिज यानी मटके 40 के पार पहुंचे दमोह के तापमान में एकदम से ठंडे पानी की डिमांड बढ़ा दी है कई लोग फ्रिज के पानी का उपयोग नहीं करते तो ऐसे में पुराने मटके ही लोगों की पसंद आज भी बने हुए हैं यही कारण है कि यह देसी फ्रिज आज भी लोगों के घरों की शोभा बढ़ाता है दमोह शहर में स्थानीय निर्मित किए गए मटको से ज्यादा अन्य जिलों से बनकर आने वाले मटको की डिमांड ज्यादा होती है स्थानीय मटके बनाने वाले लोग जहां संघर्ष में मटको का निर्माण करते हैं तो उनका कहना है कि मिट्टी की समस्या के चलते भी अब मटको के निर्माण में कमी आई है वहीं दूसरे जिलों से आने वाले मटको की मजबूती ज्यादा होने तथा ज्यादा ठंडा पानी करने के कारण इनकी डिमांड दमोह शहर में ज्यादा है. बाइट झल्लू प्रजापति बाइट हल्कई कुम्हार Vo. दमोह के लोग भी बाहर से आए मजबूत मटका को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं. लोगों का मानना है कि स्थानीय निर्मित मटके एवं बाहर से आए मजबूत एवं क्वालिटी वाले मटके लगभग एक ही रेट में मिलते हैं 80 से लेकर 1:30 ₹100 तक जहां स्थानीय मटको का मूल्य है तो वही बाहर से आए चिकनी और मजबूत मटके भी इसी कीमत में बाजार में मिल रहे हैं ऐसे हालात में भी बाहरी मटको को ज्यादा तरजीह देते हैं बाइट - जेपी नेमा स्थानीय निवासी


Conclusion:Vo. भले ही दमोह के लोग स्थानीय मटको के स्थान पर बाहरी मटको को ज्यादा तरजीह देते हो, लेकिन एक बात काबिले गौर है कि इस नए जमाने में आज भी पानी को ठंडा करने के लिए देसी तकनीक का इस्तेमाल अभी भी किया जा रहा है, और यह एक वर्ग विशेष के लोगों की आय का जरिया भी बना हुआ है. आशीष कुमार जैन ईटीवी भारत दमोह
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