दमोह। बढ़ती गर्मी से राहत पाने के लिए लोग ठंडे पानी का सहारा ले रहे हैं. मटके का पानी ठंडा और मीठा होता है, इसलिए कई लोग फ्रिज के बदले मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. दमोह का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. यहां लोगों को भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ रही है. यही कारण है कि दमोह में स्थानीय मटकों के साथ-साथ बाहरी मटकों की डिमांड भी बढ़ रही है.
कई लोग आज भी फ्रिज के पानी के बजाए देसी फ्रिज यानि मिट्टी के मटके का पानी पीना पसंद करते हैं. हालांकि इस बार दमोह में स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए मटकों से ज्यादा डिमांड बाहर के जिलों से आए मटकों की है. स्थानीय मटका कारीगरों का कहना है कि दमोह में मिट्टी की समस्या के चलते भी मटकों के निर्माण में कमी आई है.
इधर लोगों का कहना है कि दूसरे जिलों से आने वाले मटके ज्यादा मजबूत हैं और उसमें पानी भी ज्यादा ठंडा रहता है. लोगों का मानना है कि स्थानीय निर्मित मटके और बाहर से आए मजबूत क्वॉलिटी के मटके लगभग एक ही दाम में मिलते हैं. दोनों की ही कीमत 80 से लेकर 100 रुपए तक है. जिसके चलते लोग बाहरी मटकों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं.
भले ही दमोह के लोग स्थानीय मटकों के स्थान पर बाहरी मटकों को खरीदना पसंद कर रहे हों, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आज के जमाने में भी लोग पानी को ठंडा करने के लिए देसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मटका कारीगरों के लिए राहत की बात है.