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मलेरिया और डेंगू के लार्वा को नियंत्रित करने के लिए छिंदवाड़ा में बनाया गया है हेचरी सेंटर

छिंदवाड़ा जिले में मलेरिया और डेंगू के संक्रमण को रोकने के लिए हेचरी सेंटर बनाया गया है. सेंटर में 50 हजार गमबुशिया और गप्पी मछलियों का पालन प्रतिवर्ष किया जाएगा.

संक्रमण को रोकने के लिए बनाया गया हेचरी सेंटर
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Published : May 4, 2019, 7:29 PM IST

छिंदवाड़ा। गर्मी के आते ही जिले में मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है. मलेरिया और डेंगू का लारवा रुके हुए पानी में पनपते हैं. ग्रामीण इलाके में जहां पानी रुका हुआ होता है, वहां पर मलेरिया और डेंगू का लार्वा अधिक मात्रा में मिलते हैं, जिसके कारण मलेरिया और डेंगू के कारण लोगों की मौत हो जाती है.

संक्रमण को रोकने के लिए बनाया गया हेचरी सेंटर


जिले में मलेरिया और डेंगू के अधिक मामले ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलते हैं. ग्रामीण क्षेत्र जैसे हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव और आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया के व्यक्ति का प्रभाव अधिक होता है. इन्हें कम करने के लिए हैचरी सेंटर बनाया गया, जो पंडरी कला में स्थित है. यहां प्रतिवर्ष गमबुशिया और गप्पी मछली का उत्पादन किया जाएगा. इस मछली से स्थाई व अस्थाई तालाब व जल स्त्रोतों में छोड़ा जाएगा. यह मछलियां मुख्य रूप से डेंगू और मलेरिया के लार्वा का भक्षण करती है.


मादा एनाफिलीज मच्छर से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है. इसके फैलने को रोकने के लिए इन का प्रजनन जल स्त्रोत में होता है. यह मछलियां जल स्त्रोत में मलेरिया और डेंगू के अंडों को खाती है. इस सेंटर में लगभग 50 हजार मछलियों का संचयन प्रतिवर्ष किया जाएगा, जो बाद में मलेरिया और डेंगू के लार्वा मिलने वाले जल स्त्रोतों में छोड़ा जाएगा.

छिंदवाड़ा। गर्मी के आते ही जिले में मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है. मलेरिया और डेंगू का लारवा रुके हुए पानी में पनपते हैं. ग्रामीण इलाके में जहां पानी रुका हुआ होता है, वहां पर मलेरिया और डेंगू का लार्वा अधिक मात्रा में मिलते हैं, जिसके कारण मलेरिया और डेंगू के कारण लोगों की मौत हो जाती है.

संक्रमण को रोकने के लिए बनाया गया हेचरी सेंटर


जिले में मलेरिया और डेंगू के अधिक मामले ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलते हैं. ग्रामीण क्षेत्र जैसे हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव और आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया के व्यक्ति का प्रभाव अधिक होता है. इन्हें कम करने के लिए हैचरी सेंटर बनाया गया, जो पंडरी कला में स्थित है. यहां प्रतिवर्ष गमबुशिया और गप्पी मछली का उत्पादन किया जाएगा. इस मछली से स्थाई व अस्थाई तालाब व जल स्त्रोतों में छोड़ा जाएगा. यह मछलियां मुख्य रूप से डेंगू और मलेरिया के लार्वा का भक्षण करती है.


मादा एनाफिलीज मच्छर से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है. इसके फैलने को रोकने के लिए इन का प्रजनन जल स्त्रोत में होता है. यह मछलियां जल स्त्रोत में मलेरिया और डेंगू के अंडों को खाती है. इस सेंटर में लगभग 50 हजार मछलियों का संचयन प्रतिवर्ष किया जाएगा, जो बाद में मलेरिया और डेंगू के लार्वा मिलने वाले जल स्त्रोतों में छोड़ा जाएगा.

Intro:गर्मी के आते ही जिले में मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है मलेरिया और डेंगू का लारवा रुका हुआ पानी और अधिकतर ग्रामीण एरिया में जहां पानी रुका हुआ होता है वहां पर मलेरिया और डेंगू के लावा अधिक मात्रा में मिलते हैं जिसके कारण मलेरिया और डेंगू के कारण लोगों की मौत हो जाती है
हैचरी सेंटर छिंदवाड़ा के पिंडरई कला में खोला गया जहां प्रतिवर्ष 50 हजार gambusiya और गप्पी मछलियों का पालन किया जाएगा


Body:छिंदवाड़ा जिले में मलेरिया और डेंगू के अधिक मामले छिंदवाड़ा जिले में देखने को मिलते हैं जो ग्रामीण क्षेत्र जैसे हर्रई तामिया जुन्नारदेव आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया के व्यक्ति का प्रभाव अधिक होता है इन्हें कम करने के लिए हैचरी सेंटर बनाया गया जो पंडरी कला में स्थित है प्रतिवर्ष gambusiya और गप्पी मछली का उत्पादन किया जाएगा इस मछली से स्थाई व अस्थाई तालाब व जल स्त्रोतों में छोड़ा जाएगा यह मछलियां मुख्य रूप से डेंगू और मलेरिया के लार्वा का भक्षण करती है
मादा एनाफिलीज मच्छर से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है इसके फैलने को रोकने के लिए इन का प्रजनन जल स्त्रोत में होता है यह मछलियां जल स्त्रोत में मलेरिया और डेंगू के अंडों को खाती है इस hd सेंटर में लगभग 50 हजार मछलियों का संचयन प्रतिवर्ष किया जाएगा जो बाद में जहां मलेरिया और डेंगू के लावा ,अधिक पाये जाते हैं वहां के जल स्त्रोत ओ में इन मछलियों का संचायन किया जाएगा या प्रक्रिया अगस्त सितंबर अक्टूबर के माह में होती है

बाईट 01 - देवेन्द्र भालेकर ,जिला मलेरिया अधिकारी


Conclusion: छिंदवाड़ा जिले में मले छिंदवाड़ा जिले में मलेरिया और डेंगू के संक्रमण को रोकने के लिए हेचरी सेंटर बनाया गया सेंटर में 50 हजार मछलियों का पालन प्रतिवर्ष किया जाएगा
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