दमोह। मध्यप्रदेश की दमोह संसदीय सीट पर 6 मई को देश के पांचवें चरण और प्रदेश के दूसरे चरण में मतदान होगा. इस सीट से बीजेपी ने एक बार फिर कद्दावर नेता प्रहलाद सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है. प्रहलाद सिंह पटेल मध्यप्रदेश के साथ पूरे देश की राजनीति में एक कद्दावर नेता माने जाते हैं. इससे पहले वे भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद पर रहे हैं.
बता दें कि इस हाईप्रोफाइल सीट से कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं पिछली बार लोकसभा चुनाव में प्रहलाद पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 2 लाख 22 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी थी.
प्रहलाद सिंह पटेल का सियासी सफर
प्रहलाद सिंह पटेल मूलतः नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 28 जून 1960 को हुआ था. प्रहलाद सिंह पटेल ने बीएससी, एलएलबी, एमए दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की है. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले प्रहलाद पटेल वर्तमान में जबलपुर के शक्ति नगर के स्थायी निवासी हैं. वे साल 1982 में बीजेपी के युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बनाए गए. साल 1985 में एक महीने तक पदयात्रा कर जनचेतना रैली निकाली. 1986 से 1990 तक बीजेपी के युवा मोर्चा विंग के सचिव रहे. इसी समय युवा मोर्चा मध्यप्रदेश के जनरल सेक्रेटरी के रूप में राजनीति में सक्रियता दर्ज कराते रहे.
2014 में दमोह संसदीय क्षेत्र से बने सांसद
प्रहलाद सिंह पटेल पहली बार 1989 में 9वीं लोकसभा के लिए सिवनी संसदीय सीट से निर्वाचित हुए. सन 1990 में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति स्थाई समिति के सलाहकार नियुक्त किए गए. सन् 1996 में एक बार फिर सिवनी से सांसद के रूप में निर्वाचित किए गए. सन 1998 में नेहरू युवा केंद्र संगठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा महानिदेशक भी बनाए गए. साल 1999 में बालाघाट से एक बार फिर लोकसभा से चुनाव जीतकर सांसद बने. साल 2003 के लोकसभा चुनाव के बाद कोयला मंत्रालय में राज्य मंत्री पद की शपथ ली. साल 2014 में दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के बाद सांसद बने. 2015 में मणिपुर चुनाव के पहले वहां के प्रभारी बनाए गए.
प्रहलाद पटेल का यह है संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने का सफर
प्रहलाद सिंह पटेल अभी तक कुल 7 बार चुनाव लड़े हैं, जिनमें से चार बार उन्होंने जीत हासिल की है. सांसद प्रहलाद पटेल चार बार सिवनी संसदीय सीट से चुनाव लड़े हैं, जहां से दो बार साल 1989 और 1996 में चुनाव जीते और दो बार साल 1991 और 1998 में चुनाव हार गए थे. इसके बाद साल 1999 में बालाघाट से चुनाव लड़ने के बाद वहां से सांसद चुने गए. 2004 में छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने के दौरान वे चुनाव हार गए. साल 2008 में प्रहलाद पटेल ने कोई चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद 2014 में वे दमोह संसदीय सीट से चुनाव लड़कर सांसद बने. वहीं साल 2019 के चुनाव में एक बार फिर इसी सीट से बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस जहां प्रहलाद पटेल को बाहरी प्रत्याशी बताकर प्रताप सिंह को चुनने की अपील कर रही है, वहीं प्रहलाद पटेल का कहना है कि साल 2014 में चुनाव जीतने के बाद वे दमोह के ही हो गए, बाहरी नहीं रहे. वहीं दमोह संसदीय सीट पर महागठबंधन से बसपा के प्रत्याशी के रूप में बुंदेली लोकगीत गायक जितेंद्र खरे जित्तू भी चुनावी मैदान में हैं.