आगर मालवा। भारत सरकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने प्रदेश में बीटी बैंगन परीक्षण को अनुमति दे दी है, जिसका विरोध करते हुए भारतीय किसान संघ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के नामएक ज्ञापन अधीक्षक भू अभिलेख राजेश सरवटे को सौंपा.
किसान संघ ने बीटी बैंगन के परीक्षण का किया विरोध ज्ञापन में बताया गया कि पर्यावरण प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य, उत्पादकता, बाजार एकाधिकार आदि जैसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन्हें जीएम फसलों के ऐसे परीक्षणों की अनुमति देने से पहले जानने एवं विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जो कि अभी भी लंबित हैंं. दशकों से लगभग सभी हितधारकों की आपत्तियों का अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है. इसके अलावा अधिकांश प्रतिष्ठित संस्थानों में संसदीय स्थाई समिति माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तकनीकी विशेषज्ञ समिति, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के विचार, कुछ कृषि प्रधान राज्यों के संबंधित अधिकारी आदि ने अपनी आशंका व्यक्त की है, यहां तक कि कई राज्यों ने पहले ही जीएम खाद्य फसलों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
किसान संघ का कहना है कि बीटी कपास प्रौद्योगिकी की दैनिक विफलता और जड़ी बूटी सहिष्णु कपास की अवैध कटाई के कारण जीएसी का निर्णय न केवल बेतुका और निराधार दिखता है, बल्कि कुछ उल्टे मकसद से भरा हुआ है.जिसके चलते भारतीय किसान संघ इस परीक्षण पर रोक लगाने की मांग की है.
क्या है जीएम तकनीक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जीएम वो तकनीक है जिसमें जंतुओं एवं पादपों (पौधे, जानवर, सुक्ष्मजीवियों) के डीएनए को अप्राकृतिक तरीके से बदला जाता है.