ETV Bharat / briefs

महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं दिव्यांग निर्मला जैन, नेत्रहीन होने के बावजूद बनीं शिक्षिका

शिक्षिका निर्मला जैन ने उन तमाम महिलाओं के लिए एक मिसला पेश की है जो किसी न किसी परिस्थियों का अपने भविष्य के आड़े आने देती है.

दिव्यांग निर्मला जैन
author img

By

Published : Mar 8, 2019, 1:22 PM IST

खरगोन। हौसले बुलंद हो तो मंजिल दूर नहीं होती... इसी कहावत को चरितार्थ किया हैं प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ निर्मला जैन ने, बचपन में आंखें गंवाने के बावजूद हौसले के बल पर आज उन्होंने अपने आपको एक ऐसे मुकाम पर खड़ा किया जो तमाम महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं.

जिला मुख्यलय में स्थित प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ शिक्षिका निर्मला जैन साल 1999 में पदस्थ हुई थीं. जब से अनवरत बच्चों को शिक्षित कर रही हैं. दिव्यांग निर्मला जैन ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि जब वो कक्षा 6ठीं में थी. तब किसी वजह से उनकी आंखें चली गई थी. लेकिन निर्मला जैन ने हिम्मत नहीं हारी, अपनी किस्मत को कोसने की बजाय उन्होंने आगे बढ़ने की सोची.

नेत्रहीन शिक्षिका निर्मला जैन,खरगोन
inspiration-for-women

आंखें गंवाने के बावजूद उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की साथ में कम्यूटर का कोर्स भी किया. इतना ही नहीं साल 1999 में शिक्षिका बन कर बच्चों को शिक्षित करने लगी. उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि, उनके नौ भाई हैं और सभी नेत्रहीन हैं लेकिन नेत्रहीन होने के बावजूद सभी सेल्फ डिपेंड हैं.

inspiration-for-women

उनकी सह-शिक्षिका का कहना है कि निर्मला जी एक दिव्यांग हैं और उनकी अपने कार्य प्रति सजगता से आम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए, उधर छात्रों का कहना है कि जैन मैडम अच्छा और सरल शब्दों में पढ़ाती हैं, जो आसानी से समझ में भी आ जाता है.

खरगोन। हौसले बुलंद हो तो मंजिल दूर नहीं होती... इसी कहावत को चरितार्थ किया हैं प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ निर्मला जैन ने, बचपन में आंखें गंवाने के बावजूद हौसले के बल पर आज उन्होंने अपने आपको एक ऐसे मुकाम पर खड़ा किया जो तमाम महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं.

जिला मुख्यलय में स्थित प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ शिक्षिका निर्मला जैन साल 1999 में पदस्थ हुई थीं. जब से अनवरत बच्चों को शिक्षित कर रही हैं. दिव्यांग निर्मला जैन ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि जब वो कक्षा 6ठीं में थी. तब किसी वजह से उनकी आंखें चली गई थी. लेकिन निर्मला जैन ने हिम्मत नहीं हारी, अपनी किस्मत को कोसने की बजाय उन्होंने आगे बढ़ने की सोची.

नेत्रहीन शिक्षिका निर्मला जैन,खरगोन
inspiration-for-women

आंखें गंवाने के बावजूद उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की साथ में कम्यूटर का कोर्स भी किया. इतना ही नहीं साल 1999 में शिक्षिका बन कर बच्चों को शिक्षित करने लगी. उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि, उनके नौ भाई हैं और सभी नेत्रहीन हैं लेकिन नेत्रहीन होने के बावजूद सभी सेल्फ डिपेंड हैं.

inspiration-for-women

उनकी सह-शिक्षिका का कहना है कि निर्मला जी एक दिव्यांग हैं और उनकी अपने कार्य प्रति सजगता से आम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए, उधर छात्रों का कहना है कि जैन मैडम अच्छा और सरल शब्दों में पढ़ाती हैं, जो आसानी से समझ में भी आ जाता है.

Intro:एंकर
हौसले बुलंद हो तो मंजिल दूर नही होती। इसी कहावत को चरितार्थ किया है। प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ निर्मला जैन ने अपने को आत्मनिर्भर बनाने में अपनी दिवयांगता को आड़े नही आने दिया।


Body:खरगोन जिला मुख्यलय पर स्थित प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 22 में पदस्थ शिक्षिका निर्मला जैन वर्ष 1999 में पदस्थ हुई थी। जब से अनवरत बच्चों को शिक्षित कर रही है। निर्मला जैन ने बताया कि जब कक्षा 6ठी में थी। तब किसी वजह से आंखे चली गई। उसके बाद में बीए की पढ़ाई पूरी कर कम्प्यूटर कोर्स कर 1999 में नॉकरी लगी तब से मैं पढा रही है। उनका कहना है कि हमारे परिवार में 9 भाई है। और सभी नेत्रहीन है और सभी सेल्फ डिपेंड है। महिला दिवस पर
बाइट- निर्मला जैन दिव्यांग
वीओ
वही सह शिक्षिका ने बताया कि निर्मला जी एक दिव्यांग है और उनकी अपने कार्य प्रति सजगता से आम लोगों को प्रेरणा लेन चाहिए।
byte मंजू जायसवाल श शिक्षिका
वही छात्र ने बताया कि जैन मेडम अच्छा सरल शब्दों में पढ़ाते है। जिससे अच्छा समझ मे आता है।
बाइट- छात्र


Conclusion:खरगोन जिले के प्राथमिक विद्यालय क्रमांक22 में वर्ष 1999 से पदस्थ निर्मला जैन कक्षा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.