भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुए आठ दिन गुजर गए हैं, लेकिन मंत्रियों को विभाग का बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है. इसको लेकर सरकार विभागों के जल्द वितरण की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस बीजेपी को घेरने में लगी हुई है.
राज्य में मुख्यमंत्री के अलावा 33 मंत्री हैं, इनमें 25 कैबिनेट हैं और आठ राज्य मंत्री हैं. 28 मंत्रियों को दो जुलाई को शपथ दिलाई गई थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्द ही विभागों का वितरण कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं हो सका है.
'दो बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं'
मंत्रियों के शपथ लेने के आठ दिन बाद भी विभागों का वितरण न होने पर पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी ने कहा 'शिवराज सरकार में विभाग बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है. मलाईदार विभागों को लेकर दो बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं और दोनों ही अपने को टाइगर कहते हैं.' उन्होंने कहा 'ऐसे में तो शिवराज सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि, वर्तमान में प्रदेश में लोकतंत्र का नहीं बल्कि अफसरशाही का राज हो गया है.'
सिंधिया खेमे की मांगें डाल रही अड़चने
मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में जिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी, उनमें से 12 मंत्री वे भी थे जो पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे. जिसके चलते सिंधिया खेमा मंत्रियों को महत्वपूर्ण पद दिए जाने और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार देने की मांग कर रहा है.
दिल्ली में भी नहीं निकला समाधान
सिंधिया खेमे की मांग का मसला भाजपा में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इस मसले को लेकर दो दिन तक दिल्ली में रहे. जहां उन्होंने तमाम केंद्रीय नेताओं से मेल-मुलाकात की और विभागों से संबंधित सूची उन्हें सौंप दी. वहीं दिल्ली से लौटने के बाद भोपाल पहुंचे शिवराज ने जल्द ही विभाग के वितरण की बात कही थी. इस बात को तीन से चार दिन गुजर गए हैं, लेकिन अब तक विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है.
क्या कहती है सरकार
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मुख्यमंत्री में ही सारे विभाग निहित होते हैं. राज्य सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है, 'एक-दो दिन में विभागों का वितरण कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हम पांच मंत्री गांव गरीब और किसान के लिए काम कर रहे है.'
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई और उसके बाद अब विभाग वितरण में वक्त लग रहा है, इससे यह संदेश तो जा ही रहा है कि पार्टी के भीतर कुछ ठीक नहीं है. इससे राज्य में पार्टी के निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं, वहीं विरोधी दल कांग्रेस के हाथ में विभाग वितरण का एक और मुद्दा आ रहा है.