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दतिया: हाई-वे पर रोजाना मर रहीं गायें, मूकदर्शक बना प्रशासन - Irregularity in cowshed

दतिया जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोजाना गायें मर रही हैं, जिसमें गौशाला की गायें भी शामिल हैं. कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

Cows dying daily on datia highway
दतिया हाईवे पर रोजाना मर रहीं गायें
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Published : Aug 20, 2020, 5:18 PM IST

दतिया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर अज्ञात वाहनों की चपेट में आने से गायों की रोजाना मौत हो रही है, सड़क पर गायें मरी पड़ी रहती हैं, कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन अपनी आंखों पर बंधी पट्टी नहीं खोलता है. ऐसा कहना है गौसेना के गौसेवक हरिओम शर्मा का. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के सोनागिरि तिराहे से चिरुला तक आये दिन वाहन गौवंश को रौंद कर निकल जाते हैं, जिनमें से 80% की मौके पर ही मौत हो जाती है. बाकी को यदि गौसेना उठाकर लाये और उपचार भी करे, तब भी अधिकतर गौवंश बच नहीं पाते. सरकारी पशु चिकित्सक कहीं भी उपचार के लिए नहीं जाते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि शासन से गौवंश के नाम पर फण्ड लेने वाली गौशालाओं में भी न तो इनको रखा जाता है और न ही इनको कोई सेवा दी जाती है. यहां तक की गौशालाओं की टैग लगी गायें भी बाहर घूमती हैं. इस मामले की कई बार शिकायत करने के बाद भी जानवरों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है.

उन्होंने मांग की है कि प्रशासन को चाहिए कि सभी गौशालाओं का औचक निरीक्षण दिन के समय और मध्यरात्रि में किया जाए. अनियमितता बरतने वाली गौशालाओं को तत्काल बन्द किया जाए या किसी अन्य संस्था को सौंप दिया जाए. इसके अलावा बाहर घूम रहे गौवंश को सरकारी अनुदान प्राप्त गौशालाओं में भेजा जाए, यदि उनके चारे की व्यवस्था में कुछ दिक्कत आती है तो गौसेना जन सहयोग से पूरा करने का प्रयास करेगी.

दतिया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर अज्ञात वाहनों की चपेट में आने से गायों की रोजाना मौत हो रही है, सड़क पर गायें मरी पड़ी रहती हैं, कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन अपनी आंखों पर बंधी पट्टी नहीं खोलता है. ऐसा कहना है गौसेना के गौसेवक हरिओम शर्मा का. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के सोनागिरि तिराहे से चिरुला तक आये दिन वाहन गौवंश को रौंद कर निकल जाते हैं, जिनमें से 80% की मौके पर ही मौत हो जाती है. बाकी को यदि गौसेना उठाकर लाये और उपचार भी करे, तब भी अधिकतर गौवंश बच नहीं पाते. सरकारी पशु चिकित्सक कहीं भी उपचार के लिए नहीं जाते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि शासन से गौवंश के नाम पर फण्ड लेने वाली गौशालाओं में भी न तो इनको रखा जाता है और न ही इनको कोई सेवा दी जाती है. यहां तक की गौशालाओं की टैग लगी गायें भी बाहर घूमती हैं. इस मामले की कई बार शिकायत करने के बाद भी जानवरों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है.

उन्होंने मांग की है कि प्रशासन को चाहिए कि सभी गौशालाओं का औचक निरीक्षण दिन के समय और मध्यरात्रि में किया जाए. अनियमितता बरतने वाली गौशालाओं को तत्काल बन्द किया जाए या किसी अन्य संस्था को सौंप दिया जाए. इसके अलावा बाहर घूम रहे गौवंश को सरकारी अनुदान प्राप्त गौशालाओं में भेजा जाए, यदि उनके चारे की व्यवस्था में कुछ दिक्कत आती है तो गौसेना जन सहयोग से पूरा करने का प्रयास करेगी.

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