जबलपुर। कोरोना काल के बीच साढ़े पांच माह बाद सड़कों पर बसों को दौड़ाने के लिए बस ऑपरेटर और सरकार के बीच बात बनी तो अब बसों ने सड़कों पर चलने से पहले जवाब दे दिया. करीब साढे 5 माह से बस अड्डे पर खड़ी बसें मरम्मत की राह देख रही हैं. यही कारण है कि अभी भी बसों का संचालन पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है. लिहाजा यात्री अभी भी परेशान हो रहे हैं.
शुरुआती दौर में करीब 12 रूटों पर बसों को संचालित किया जा रहा है. इसमें डिंडोरी, कटनी, दमोह, छतरपुर, सागर, अमरकंटक, मंडला और छिंदवाड़ा के लिए बसें चल रही हैं. ग्रामीणों के लिए शहपुरा, चरगवां, कुंडम और सिहोरा रोड पर बसों को चलाया जा रहा है. हालांकि अभी इन तमाम रूटों पर फिलहाल 11 बसें ही संचालित की जा रही हैं.
पहले तो संचालन के लिए बस ऑपरेटर राज्य सरकार से लड़ाई लड़ रहे थे. जब राज्य सरकार से समझौता हुआ तो अब उन्हें यात्री नहीं मिल पा रहे हैं. बसों की मरम्मत करवाने का जिम्मा भी बस ऑपरेटरों के सामने आ गया है. आलम यह है कि एक बस से महज 10 से 12 यात्री ही सफर कर रहे हैं. कुछ बसों में तो ना के बराबर यात्री मिल रहे हैं. कम यात्रियों की वजह से बस संचालकों का डीजल खर्च भी नहीं निकल रहा है.
जबलपुर स्थित आईएसबीटी से मध्य प्रदेश और अन्य सीमावर्ती राज्यों के लिए करीब 700 बसों को संचालित किया जाता है. करीब साढ़े 5 माह से बस अड्डे पर खड़ी बसें अब मरम्मत मांग रही हैं. यही कारण है कि बहुत सी रूट पर बसें नहीं संचालित हो पा रही हैं, जिससे यात्री काफी परेशान हो रहे हैं.