जबलपुर : मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर ने पुलिस आरक्षक भर्ती 2016-17 में ओबीसी के लिए आरक्षित (पुरुष) 1090 पदों में से 889 पदों पर नियुक्ति नहीं दिए जाने के मामले को गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को भर्ती संबंधी रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए हैं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से ये दलीलें
जबलपुर के हलके भाई लोधी, संदीप साहू, विनोद वर्मा, साहिल पटेल, शुभम पटेल, रामराज पटेल की ओर से दायर मामले में कहा गया कि गृह विभाग ने आरक्षक संवर्ग 2016 की भर्ती हेतु 14,283 पदों की संयुक्त परीक्षा का विज्ञापन जारी किया था. इसमें से अनारक्षित वर्ग के 8432, एससी के 1917, एसटी के 2521 और ओबीसी के लिए 1411 (पुरुष एवं महिला) पद विज्ञापित किए गए थे. इस भर्ती में जिला बल तथा विशेष सशस्त्र बल के रिक्त पदों का विवरण नहीं दिया गया और न ही जिला स्तर पर आरक्षण रोस्टर लागू किए जाने का उल्लेख किया गया.
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ओबीसी कैंडीडेट के साथ भेदभाव का आरोप
याचिका में बताया गया कि भर्ती में ओबीसी वर्ग सहित आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थियों की मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में कन्वर्ट करके उनकी चॉइस को नजरअंदाज कर प्रदेश की समस्त बटालियन में पोस्टिंग दे दी गई, जबकि उनसे कम अंक वालों को जिला पुलिस बल, विशेष शाखा, आपराधिक शाखा आदि में पोस्टिंग कर दी गई. आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों की मेरिट को डी-मेरिट की तरह ट्रीट किया गया. याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उन्हें अपनी च्वाइस की वरीयता में जिला पुलिस बल में पदस्थपना दी जाए. याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने डीजीपी को भर्ती संबंधी रिकार्ड पेश करने का आदेश दिया है.