सूरत: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल कॉरिडोर (भगवान शिव) मंदिर परिसर में रविवार को आई आंधी से ऋषियों और देवताओं की कई विशाल मूर्तियां टूट गई थी, जिसके बाद मूर्तियों का निर्माण करने वाली सूरत की एमपी बाबरिया इंजीनियर्स एंड सिविल कांट्रेक्टर कंपनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. वहीं, अब सूरत की कंपनी का कहना है कि ये सभी मूर्तियां आंधी के कारण खंडित हुई हैं, इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. कंपनी के कारीगर मूर्तियों की मरम्मत करने पहुंचे हैं.
बीते रविवार को आई थी आंधी
आपको बता दें कि रविवार को मध्य प्रदेश के कई शहरों में आंधी आई थी. आंधी में महाकाल लोक में सप्त ऋषियों की स्थापित छह मूर्तियाँ गिर कर क्षतिग्रस्त हो गई थीं. इसके बाद से इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे, जिसके बाद अब सूरत की कंपनी की ओर से प्रतिक्रिया आई है.
साल 2006 में रजिस्टर हुई थी कंपनी
महाकाल कॉरिडोर कुल 856 करोड़ का है. कुल 351 करोड़ रुपये की लागत से पहला चरण पूरा किया गया था. इसके निर्माण का काम सूरत की एमपी बाबरिया कंपनी को दिया गया था. एमपी बाबरिया का मुख्यालय सूरत के नाना वराछा इलाके में सीमादा सहजानंद कॉम्प्लेक्स में है. यह कंपनी वर्ष 2006 में पंजीकृत हुई थी और डबल ए श्रेणी विशेष श्रेणी के संपर्क बनाने के लिए जानी जाती है.
मूर्तियों की मरम्मत करने पहुंचे कारीगर
कॉरिडोर तैयार करने वाली इस कंपनी में उड़ीसा गुजरात राजस्थान के कारीगर शामिल हुए थे. अब जब ये मूर्तियां टूट गईं तो सूरत से कारीगर इनकी मरम्मत करने पहुंचे है.
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कंपनी के मालिक मनोज बाबरिया ने ईटीवी भारत को बताया कि उज्जैन में आए तूफान की वजह से सप्तऋषि की सात में से छह प्रतिमाएं गिर गई हैं, जिसे हमने ज्यादातर मूर्ति फिर से लग गई है. सूरत से कारीगर भेजे हैं. हमारे द्वारा तैयार की गई मूर्तियां भूकंप मुक्त हैं, जब तूफान की स्थिति होती है, तब कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ये मूर्तियां हल्के वजन के एफआरपी से बनी हैं. अधिकांश प्रतिमाओं की स्थापना गुरुवार को की गई है. भ्रष्टाचार का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि मूर्तियां लगाने से पहले ही दिल्ली से टीम ने निरीक्षण किया था.