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ncpcr children rehabilitation : राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, सुझाव लागू करें, अगले महीने सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने बेघर बच्चों के पुनर्वास पर राज्यों को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सुझावों और रिहैबिलिटेशन पॉलिसी को लागू करें. सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर के सुझावों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए महीने में एक बार आवधिक समीक्षा करने का निर्देश भी दिया. अदालत 4 सप्ताह के बाद मामले पर फिर से सुनवाई करेगी.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Feb 21, 2022, 7:40 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कोरोना महामारी से प्रभावित हुए बच्चों के पुनर्वास पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों निर्देश जारी किए. बता दें कि न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ महामारी के बाद से सड़कों पर रह रहे बच्चों के संबंध में स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.

सोमवार को शीर्ष अदालत ने कहा, बच्चों का वित्तपोषण, स्कूलों की व्यवस्था, जैसी चीजें व्यापक योजना का हिस्सा होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोरोना महामारी से प्रभावित बच्चों का पुनर्वास अस्थायी रूप से नहीं किया जा सकता. ऐसा होने पर बच्चे दोबारा बेघर होकर सड़कों पर आ जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बच्चों के पुनर्वास के लिए एनसीपीसीआर द्वारा दिए गए सुझावों को लागू करने का कहा. बता दें कि पुनर्वास ऐसे बच्चों का किया जाना है, जिनके माता-पिता या अभिभावक कोरोना महामारी के दौरान नहीं रहे. ऐसे बच्चे बेघर होकर सड़कों पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें- सड़कों बसर कर रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए कदम उठाने के निर्देश

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को ऐसे बच्चों की पहचान करने, बाल स्वराज पोर्टल पर विवरण डालने और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल और दीर्घकालिक- दोनों उपाय करने के निर्देश दिए थे. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया गया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने पुनर्वास की कोई नीति नहीं बनाई है. राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनसीपीसीआर ने राज्यों से सलाह मशविरा करने के बाद कुछ सुझाव दिए हैं. इस पर न्यायालय ने सुझावों को लागू करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, यदि किसी राज्य को कोई आपत्ति है तो उनका समाधान किया जा सकता है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कोरोना महामारी से प्रभावित हुए बच्चों के पुनर्वास पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों निर्देश जारी किए. बता दें कि न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ महामारी के बाद से सड़कों पर रह रहे बच्चों के संबंध में स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.

सोमवार को शीर्ष अदालत ने कहा, बच्चों का वित्तपोषण, स्कूलों की व्यवस्था, जैसी चीजें व्यापक योजना का हिस्सा होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोरोना महामारी से प्रभावित बच्चों का पुनर्वास अस्थायी रूप से नहीं किया जा सकता. ऐसा होने पर बच्चे दोबारा बेघर होकर सड़कों पर आ जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बच्चों के पुनर्वास के लिए एनसीपीसीआर द्वारा दिए गए सुझावों को लागू करने का कहा. बता दें कि पुनर्वास ऐसे बच्चों का किया जाना है, जिनके माता-पिता या अभिभावक कोरोना महामारी के दौरान नहीं रहे. ऐसे बच्चे बेघर होकर सड़कों पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को ऐसे बच्चों की पहचान करने, बाल स्वराज पोर्टल पर विवरण डालने और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल और दीर्घकालिक- दोनों उपाय करने के निर्देश दिए थे. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया गया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने पुनर्वास की कोई नीति नहीं बनाई है. राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनसीपीसीआर ने राज्यों से सलाह मशविरा करने के बाद कुछ सुझाव दिए हैं. इस पर न्यायालय ने सुझावों को लागू करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, यदि किसी राज्य को कोई आपत्ति है तो उनका समाधान किया जा सकता है.

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