नई दिल्ली : राकांपा सुप्रीमो शरद पवार की 'जमींदार' टिप्पणी के कुछ दिनों बाद, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने उन पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन पर भरोसा किया था, लेकिन उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप गलत लोग सत्ता में आए हैं और पूरा देश इसकी कीमत चुका रहा है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा, "जिन नेताओं को कांग्रेस की भूमि की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी जा रही थी, उन्हीं लोगों ने उसी जमीन पर डकैती की है और पूरा देश इसकी कीमत चुका रहा है. इससे सत्ता गलत लोगों के हाथ में चली गई है. लेकिन अब जनता ने कांग्रेस को चुनकर 2024 में उसे जिताने का फैसला किया है.
हाल ही में एक साक्षात्कार में, पवार ने कांग्रेस की तुलना उत्तर प्रदेश के पुराने जमींदारों से की थी, जो यह सोचते रहते हैं कि वे जमींदार हैं और शासन करने की शक्ति रखते हैं. इस बीच, पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71 वें जन्मदिन के अवसर पर उन्हें एक असफल पीएम बताकर हमला बोला.
उन्होंने कहा, हम निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहेंगे लेकिन यह भी सच है कि इस देश ने ऐसा असफल पीएम पहली बार देखा है. उनके जन्मदिन पर हम उनसे सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि उन्हें देश को प्रगतिशील बनाना चाहिए. उन्होंने 2014 में भारत की जनता को जो मार्ग और जो सपना दिखाया है, उसे पूरा किया जाना चाहिए.
पटोले को दिल्ली दौरा करना है जहां उन्हें राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करनी है. बैठकों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, हमने महाराष्ट्र में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए जारी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है. महाराष्ट्र से राज्यसभा की खाली सीट के लिए उम्मीदवार के चयन पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, पार्टी आलाकमान तय करेगा और निश्चित रूप से राज्यसभा की उस खाली सीट पर कांग्रेस का एक उम्मीदवार चुना जाएगा.
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महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख ने निलंबित मुंबई पुलिस अधिकारी अनिल वाज़े द्वारा प्रवर्तन निदेशालय को दिए गए बयान पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जहां उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने अपनी बहाली पर शरद पवार को मनाने के लिए 2 करोड़ रुपये की मांग की थी.
पटोले ने आरोप लगाया, सचिन वेजे का यह पूरा मामला केंद्र सरकार की महा-अघाड़ी सरकार को अस्थिर करने का एक प्रयास है. जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें तभी स्पष्ट किया जा सकता है जब इस मामले को अदालत में उठाया जाएगा.