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MP Congress Mission Vindhya: क्या विंध्य में कांग्रेस का सीन बदल पाएंगे राहुल गांधी, कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

MP Congress Focus on Vindhya: 8 अगस्त को कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी शहडोल जिले के ब्यौहारी दौरे पर आएंगे. राहुल गांधी के इस दौरे से कांग्रेस पूरे विंध्य क्षेत्र को साधना चाह रही है. राहुल गांधी के लिए भी इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए माहौल बनाना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की लोकप्रियता विंध्य क्षेत्र में बड़ी तेजी से घटी है. पढ़िए यह रिपोर्ट...

Congress mission vindhya
विंध्य क्षेत्र पर कांग्रेस की नजर
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Published : Jul 26, 2023, 8:15 AM IST

Updated : Jul 26, 2023, 1:34 PM IST

शहडोल। मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र इन दिनों सुर्खियों में है, वजह है यह क्षेत्र आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने में बड़ा रोल अदा करेगा. ऐसे में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही हैं. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल दौरे पर रहे, और अब 8 अगस्त को कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी शहडोल जिले के ब्यौहारी दौरे पर आएंगे. जहां एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. ऐसे में सवाल यही है कि अपने इस दौरे के साथ ही विंध्य में क्या कांग्रेस का सीन बदल पाएंगे राहुल गांधी, क्योंकि कांग्रेस के लिए भी विंध्य अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

Congress mission vindhya
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी तैयार

चुनाव में विंध्य का बड़ा रोल: मध्य प्रदेश में चुनावी साल में सियासी पारा गर्म होना शुरू हो चुका है. लगातार बारिश होने के बाद भले ही तापमान में गिरावट देखने को मिली, लेकिन मध्यप्रदेश में सियासी पारा दिन प्रतिदिन चढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी हो या फिर कांग्रेस सभी पार्टियां चुनावी बिसात बिछाना शुरू कर चुकी हैं. पार्टी के दिग्गज नेता प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं, विंध्य क्षेत्र में सभी पार्टियों की नजर है, विंध्य मध्यप्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा क्षेत्र है. इस क्षेत्र में राज्य की 30 विधानसभा सीटें आती हैं, और जब से विंध्य प्रदेश खत्म हुआ है और मध्य प्रदेश बना है तब से विंध्य राजनीति का बड़ा केंद्र बना हुआ है.

Congress mission vindhya
विंध्य क्षेत्र पर कांग्रेस की नजर

विंध्य के राजनैतिक नक्शे से गायब होती कांग्रेस: विंध्य क्षेत्र मध्य प्रदेश की राजनीति का अहम क्षेत्र माना जाता है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रदेश में अगर किसी भी पार्टी को सत्ता की चाबी हासिल करनी है, तो विंध्य में अपना दबदबा बनाना होगा. लेकिन पिछले 20 सालों से इस क्षेत्र में नजर डालें तो विंध्य के राजनैतिक नक्शे से कांग्रेस धीरे-धीरे गायब होती जा रही है, इसीलिए विंध्य कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन गया है.

एक दौर था जब विंध्य में कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन साल दर साल कांग्रेस किस तरह से विंध्य में कमजोर होता गया और बीजेपी के लिए विंध्य क्षेत्र कैसे उसका गढ़ बन गया इसे ऐसे समझा जा सकता है.

  1. - कांग्रेस की कमजोर कड़ी विन्ध्य में 20 साल में 4 चुनाव हुए. जिसमें 12 से अधितकम सीटें कांग्रेस पार्टी की नहीं आईं और पिछले 20 साल से कांग्रेस के लिए विंध्य एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
  2. - विंध्य में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 4 सीटें मिली थीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी को 18 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया था और सपा के 3 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
  3. - साल 2008 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की सीटों की संख्या और घट गई और यहां तो कांग्रेस का और भी खराब प्रदर्शन रहा. महज 2 सीट ही कांग्रेस विंध्य क्षेत्र में जीत सकी. 2008 में कांग्रेस को किस तरह से विंध्य में करारी हार मिली, इसे ऐसे समझ सकते हैं, इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 2 सीटें मिली थीं, लेकिन कांग्रेस से ज्यादा तो इस चुनाव में बसपा को सीटें मिल गई. बसपा के 3 प्रत्याशियों ने विंध्य में इस चुनाव में जीत हासिल की थी, और विंध्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी.
  4. - 2013 के विधानसभा चुनाव में विंध्य में हालांकि कांग्रेस ने वापसी करने की कोशिश की, 30 सीट में 12 सीट जीतने में कामयाब रही और बीजेपी ने 16 सीट जीतीं. पिछले 20 साल में इसी साल कांग्रेस ने इतनी सीट जीती थीं.
  5. - 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता की चाबी तो हासिल कर ली लेकिन विंध्य में यहां भी कांग्रेस की स्थिति और खराब रही. 2018 में 30 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को महज 6 सीटें ही मिली, जबकि बीजेपी ने 24 सीट में जीत हासिल की.

विंध्य में जीत क्यों जरूरी? विंध्य में किसी भी पार्टी के लिए अपना दबदबा बनाना कितना जरूरी है और क्यों प्रदेश में सरकार बनाने की चाबी यहीं से होकर जाती है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि, साल 2003 के विधानसभा चुनाव में 10 साल बाद भाजपा ने जब सत्ता हासिल की तो इसमें विंध्य का बड़ा योगदान था. विंध्य क्षेत्र में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था, और पार्टी ने 28 सीटों में से 18 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं कांग्रेस की बात करें तो यहां सिर्फ 4 सीटें मिली थी. साथ ही समाजवादी पार्टी के 3 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2003 से ही बीजेपी सत्ता में वापस आई, और फिर विंध्य को अपना गढ़ बना लिया. विंध्य में बीजेपी अब एक अभेद्य किला बनी हुई है, जो कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती हो गई है.

Congress mission vindhya
8 अगस्त को शहडोल आएंगे राहुल गांधी

कमलनाथ ने भी विंध्य को लेकर जताई थी चिंता: बता दें कि विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की हालत नाजुक है. साल दर साल कांग्रेस यहां और कमजोर होती जा रही है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी चिंता जताई थी और कुछ साल पहले मैहर में कमलनाथ ने कहा भी था कि अगर विंध्य में कांग्रेस कार्यकर्ता और मेहनत करते तो ज्यादा सीटें आती तो हमारी सरकार नहीं गिरती. उस समय यह मामला भी गरमा गया था और इस पर भी राजनीति शुरू हो गई थी. लेकिन कमलनाथ के बयान से समझा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए विंध्य क्षेत्र कितना अहम है और इसीलिए इस बार विंध्य क्षेत्र पर कांग्रेस भी अपनी पैनी नजर रखे हुए है. इसी के चलते राहुल गांधी शहडोल जिले के ब्यौहारी में बड़ी सभा करने जा रहे हैं.

कभी कांग्रेस का गढ़ था विंध्य: ऐसा नहीं है कि विंध्य में कभी कांग्रेस का दबदबा नहीं रहा. 2003 से पहले ऐसा भी दौर था जब विंध्य में कांग्रेस का दबदबा था. मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य कांग्रेस का किला था. अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता के गृह क्षेत्र में अब उनकी विरासत उनके पुत्र अजय सिंह राहुल संभालते हैं. सफेद शेर के नाम से विख्यात दिवंगत विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी उन्हें लोग 'सफेद शेर' के नाम से जानते थे. अर्जुन सिंह, श्रीनिवास तिवारी जैसे कांग्रेस के धाकड़ नेता अपने दौर में इसी अंचल का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. लेकिन ऐसे नेताओं के चले जाने के बाद और कांग्रेस की दिनोंदिन विंध्य क्षेत्र में घटती लोकप्रियता के बीच ऐसे नेताओं की कमी कांग्रेस को विन्ध्य क्षेत्र बहुत में खलती होगी. जैसे-जैसे समय बीतता गया मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे में विंध्य में बीजेपी का वर्चस्व तो बढ़ता गया, लेकिन कांग्रेस की लोकप्रियता उतनी ही तेजी से घटती भी गई जो कांग्रेस के लिए चिंता की बात है.

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क्या विंध्य में कांग्रेस का सीन बदल पाएंगे राहुल? राहुल गांधी 8 अगस्त को शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में एक विशाल जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं. अपने सबसे बड़े नेता के इस दौरे से कांग्रेस को भी इस क्षेत्र में बड़ी उम्मीदें होगी, क्योंकि एक बात तो साफ है कि जिस ब्यौहारी में राहुल गांधी की जनसभा कराई जा रही है उससे कांग्रेस पूरे विंध्य क्षेत्र को साधना चाह रही है. जिसकी तैयारी भी विंध्य क्षेत्र के नेता बड़ी तेजी से करना शुरू कर चुके हैं. लेकिन राहुल गांधी के लिए भी इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए माहौल बनाना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की लोकप्रियता विंध्य क्षेत्र में बड़ी तेजी से घटी है. साल 2018 के चुनाव में जब कांग्रेस सत्ता में आने में कामयाब हुई थी तो विंध्य में कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका भी लगा था. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस के बड़े नेता 6 बार जीतने वाले अजय सिंह राहुल अपने ही घर में चुनाव हार गए थे. चुरहट विधानसभा से अजय सिंह राहुल को बीजेपी के शारदेन्दु तिवारी ने 71,909 वोट से हराया था. विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता का ये सबसे बड़ा प्रमाण है कि उनके बड़े नेता दिग्गज कद्दावर नेता भी अपने क्षेत्र को बचाने में कामयाब नहीं हो रहे हैं.

सत्ता में लौटना है तो विन्ध्य में जीतना होगा: कर्नाटक में जब कांग्रेस की सरकार आई तो राहुल गांधी ने कहा था कि मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस 150 सीट जीतने में कामयाब होगी. कमलनाथ भी लगातार दावे कर रहे हैं कि इस बार कांग्रेस की सत्ता में वापसी होने जा रही है. कांग्रेस के कई और नेता भी जगह-जगह यह दावे कर रहे हैं, और उन्हें उम्मीदें भी बहुत हैं. लेकिन सवाल यही है कि कांग्रेस को अगर सत्ता की चाबी हासिल करना है, तो उसे विंध्य जैसे क्षेत्रों में अपनी स्थिति सुधारनी होगी, जो कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. ये बात कमलनाथ भी जानते हैं की विंध्य में कमजोर होना उनकी पार्टी के सत्ता में वापसी के सपनों को कितना बड़ा झटका दे सकता है, इसीलिए कांग्रेस इस बार प्रदेश में अपने सबसे बड़े नेता की पहली जनसभा विंध्य से ही कराने जा रही है.

शहडोल। मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र इन दिनों सुर्खियों में है, वजह है यह क्षेत्र आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने में बड़ा रोल अदा करेगा. ऐसे में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही हैं. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल दौरे पर रहे, और अब 8 अगस्त को कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी शहडोल जिले के ब्यौहारी दौरे पर आएंगे. जहां एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. ऐसे में सवाल यही है कि अपने इस दौरे के साथ ही विंध्य में क्या कांग्रेस का सीन बदल पाएंगे राहुल गांधी, क्योंकि कांग्रेस के लिए भी विंध्य अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

Congress mission vindhya
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी तैयार

चुनाव में विंध्य का बड़ा रोल: मध्य प्रदेश में चुनावी साल में सियासी पारा गर्म होना शुरू हो चुका है. लगातार बारिश होने के बाद भले ही तापमान में गिरावट देखने को मिली, लेकिन मध्यप्रदेश में सियासी पारा दिन प्रतिदिन चढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी हो या फिर कांग्रेस सभी पार्टियां चुनावी बिसात बिछाना शुरू कर चुकी हैं. पार्टी के दिग्गज नेता प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं, विंध्य क्षेत्र में सभी पार्टियों की नजर है, विंध्य मध्यप्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा क्षेत्र है. इस क्षेत्र में राज्य की 30 विधानसभा सीटें आती हैं, और जब से विंध्य प्रदेश खत्म हुआ है और मध्य प्रदेश बना है तब से विंध्य राजनीति का बड़ा केंद्र बना हुआ है.

Congress mission vindhya
विंध्य क्षेत्र पर कांग्रेस की नजर

विंध्य के राजनैतिक नक्शे से गायब होती कांग्रेस: विंध्य क्षेत्र मध्य प्रदेश की राजनीति का अहम क्षेत्र माना जाता है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रदेश में अगर किसी भी पार्टी को सत्ता की चाबी हासिल करनी है, तो विंध्य में अपना दबदबा बनाना होगा. लेकिन पिछले 20 सालों से इस क्षेत्र में नजर डालें तो विंध्य के राजनैतिक नक्शे से कांग्रेस धीरे-धीरे गायब होती जा रही है, इसीलिए विंध्य कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन गया है.

एक दौर था जब विंध्य में कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन साल दर साल कांग्रेस किस तरह से विंध्य में कमजोर होता गया और बीजेपी के लिए विंध्य क्षेत्र कैसे उसका गढ़ बन गया इसे ऐसे समझा जा सकता है.

  1. - कांग्रेस की कमजोर कड़ी विन्ध्य में 20 साल में 4 चुनाव हुए. जिसमें 12 से अधितकम सीटें कांग्रेस पार्टी की नहीं आईं और पिछले 20 साल से कांग्रेस के लिए विंध्य एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
  2. - विंध्य में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 4 सीटें मिली थीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी को 18 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया था और सपा के 3 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
  3. - साल 2008 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की सीटों की संख्या और घट गई और यहां तो कांग्रेस का और भी खराब प्रदर्शन रहा. महज 2 सीट ही कांग्रेस विंध्य क्षेत्र में जीत सकी. 2008 में कांग्रेस को किस तरह से विंध्य में करारी हार मिली, इसे ऐसे समझ सकते हैं, इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 2 सीटें मिली थीं, लेकिन कांग्रेस से ज्यादा तो इस चुनाव में बसपा को सीटें मिल गई. बसपा के 3 प्रत्याशियों ने विंध्य में इस चुनाव में जीत हासिल की थी, और विंध्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी.
  4. - 2013 के विधानसभा चुनाव में विंध्य में हालांकि कांग्रेस ने वापसी करने की कोशिश की, 30 सीट में 12 सीट जीतने में कामयाब रही और बीजेपी ने 16 सीट जीतीं. पिछले 20 साल में इसी साल कांग्रेस ने इतनी सीट जीती थीं.
  5. - 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता की चाबी तो हासिल कर ली लेकिन विंध्य में यहां भी कांग्रेस की स्थिति और खराब रही. 2018 में 30 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को महज 6 सीटें ही मिली, जबकि बीजेपी ने 24 सीट में जीत हासिल की.

विंध्य में जीत क्यों जरूरी? विंध्य में किसी भी पार्टी के लिए अपना दबदबा बनाना कितना जरूरी है और क्यों प्रदेश में सरकार बनाने की चाबी यहीं से होकर जाती है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि, साल 2003 के विधानसभा चुनाव में 10 साल बाद भाजपा ने जब सत्ता हासिल की तो इसमें विंध्य का बड़ा योगदान था. विंध्य क्षेत्र में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था, और पार्टी ने 28 सीटों में से 18 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं कांग्रेस की बात करें तो यहां सिर्फ 4 सीटें मिली थी. साथ ही समाजवादी पार्टी के 3 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2003 से ही बीजेपी सत्ता में वापस आई, और फिर विंध्य को अपना गढ़ बना लिया. विंध्य में बीजेपी अब एक अभेद्य किला बनी हुई है, जो कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती हो गई है.

Congress mission vindhya
8 अगस्त को शहडोल आएंगे राहुल गांधी

कमलनाथ ने भी विंध्य को लेकर जताई थी चिंता: बता दें कि विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की हालत नाजुक है. साल दर साल कांग्रेस यहां और कमजोर होती जा रही है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी चिंता जताई थी और कुछ साल पहले मैहर में कमलनाथ ने कहा भी था कि अगर विंध्य में कांग्रेस कार्यकर्ता और मेहनत करते तो ज्यादा सीटें आती तो हमारी सरकार नहीं गिरती. उस समय यह मामला भी गरमा गया था और इस पर भी राजनीति शुरू हो गई थी. लेकिन कमलनाथ के बयान से समझा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए विंध्य क्षेत्र कितना अहम है और इसीलिए इस बार विंध्य क्षेत्र पर कांग्रेस भी अपनी पैनी नजर रखे हुए है. इसी के चलते राहुल गांधी शहडोल जिले के ब्यौहारी में बड़ी सभा करने जा रहे हैं.

कभी कांग्रेस का गढ़ था विंध्य: ऐसा नहीं है कि विंध्य में कभी कांग्रेस का दबदबा नहीं रहा. 2003 से पहले ऐसा भी दौर था जब विंध्य में कांग्रेस का दबदबा था. मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य कांग्रेस का किला था. अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता के गृह क्षेत्र में अब उनकी विरासत उनके पुत्र अजय सिंह राहुल संभालते हैं. सफेद शेर के नाम से विख्यात दिवंगत विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी उन्हें लोग 'सफेद शेर' के नाम से जानते थे. अर्जुन सिंह, श्रीनिवास तिवारी जैसे कांग्रेस के धाकड़ नेता अपने दौर में इसी अंचल का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. लेकिन ऐसे नेताओं के चले जाने के बाद और कांग्रेस की दिनोंदिन विंध्य क्षेत्र में घटती लोकप्रियता के बीच ऐसे नेताओं की कमी कांग्रेस को विन्ध्य क्षेत्र बहुत में खलती होगी. जैसे-जैसे समय बीतता गया मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे में विंध्य में बीजेपी का वर्चस्व तो बढ़ता गया, लेकिन कांग्रेस की लोकप्रियता उतनी ही तेजी से घटती भी गई जो कांग्रेस के लिए चिंता की बात है.

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क्या विंध्य में कांग्रेस का सीन बदल पाएंगे राहुल? राहुल गांधी 8 अगस्त को शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में एक विशाल जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं. अपने सबसे बड़े नेता के इस दौरे से कांग्रेस को भी इस क्षेत्र में बड़ी उम्मीदें होगी, क्योंकि एक बात तो साफ है कि जिस ब्यौहारी में राहुल गांधी की जनसभा कराई जा रही है उससे कांग्रेस पूरे विंध्य क्षेत्र को साधना चाह रही है. जिसकी तैयारी भी विंध्य क्षेत्र के नेता बड़ी तेजी से करना शुरू कर चुके हैं. लेकिन राहुल गांधी के लिए भी इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए माहौल बनाना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की लोकप्रियता विंध्य क्षेत्र में बड़ी तेजी से घटी है. साल 2018 के चुनाव में जब कांग्रेस सत्ता में आने में कामयाब हुई थी तो विंध्य में कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका भी लगा था. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस के बड़े नेता 6 बार जीतने वाले अजय सिंह राहुल अपने ही घर में चुनाव हार गए थे. चुरहट विधानसभा से अजय सिंह राहुल को बीजेपी के शारदेन्दु तिवारी ने 71,909 वोट से हराया था. विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता का ये सबसे बड़ा प्रमाण है कि उनके बड़े नेता दिग्गज कद्दावर नेता भी अपने क्षेत्र को बचाने में कामयाब नहीं हो रहे हैं.

सत्ता में लौटना है तो विन्ध्य में जीतना होगा: कर्नाटक में जब कांग्रेस की सरकार आई तो राहुल गांधी ने कहा था कि मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस 150 सीट जीतने में कामयाब होगी. कमलनाथ भी लगातार दावे कर रहे हैं कि इस बार कांग्रेस की सत्ता में वापसी होने जा रही है. कांग्रेस के कई और नेता भी जगह-जगह यह दावे कर रहे हैं, और उन्हें उम्मीदें भी बहुत हैं. लेकिन सवाल यही है कि कांग्रेस को अगर सत्ता की चाबी हासिल करना है, तो उसे विंध्य जैसे क्षेत्रों में अपनी स्थिति सुधारनी होगी, जो कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. ये बात कमलनाथ भी जानते हैं की विंध्य में कमजोर होना उनकी पार्टी के सत्ता में वापसी के सपनों को कितना बड़ा झटका दे सकता है, इसीलिए कांग्रेस इस बार प्रदेश में अपने सबसे बड़े नेता की पहली जनसभा विंध्य से ही कराने जा रही है.

Last Updated : Jul 26, 2023, 1:34 PM IST
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