भोपाल/श्योपुर (Agency, PTI)। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों के संरक्षण के लिए वन विभाग के अफसर 24 घंटे सक्रिय हैं. एक माह के अंदर दो चीतों की मौत ने वन विभाग के अफसरों को परेशान कर रखा है. वन्यजीव के प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) जेएस चौहान का कहना है कि नर चीता का पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सकों की प्रारंभिक जांच के अनुसार उसकी मौत हार्ट फेल से हुई है. उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम की पूरी रिपोर्ट का इंतजार है. चीता 'उदय', छह साल की उम्र का था. केएनपी में एक महीने से भी कम समय में मरने वाला ये दूसरा चीता था. इससे पहले मादा चीता, साशा, जिसकी उम्र साढ़े चार साल से अधिक थी, की 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी से मृत्यु हो गई थी.
मौत से एक दिन पहले स्वस्थ था चीता : दो दिन पहले एक आधिकारिक विज्ञप्ति में केएनपी के अधिकारियों ने बताया था कि चीता उदय को अपने बाड़े में सुस्त पाया देखा और एक करीबी निरीक्षण से पता चला कि वह लड़खड़ा रहा था. वहीं, शनिवार शाम को किए गए निरीक्षण के अनुसार, उदय स्वस्थ पाया गया था. रविवार की सुबह निरीक्षण के दौरान चिकित्सा दल ने पाया कि चीता बीमार था. एक उचित प्रक्रिया के बाद वन्यजीव पशु चिकित्सकों की सलाह पर चीता को शांत किया गया और उपचार किया गया. विज्ञप्ति में कहा गया था कि चीते का इलाज वन्यजीव चिकित्सकों की निगरानी में किया गया था और उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था, लेकिन शाम करीब चार बजे उसकी मौत हो गई.
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कूनो में अभी कुल 22 चीते : बता दें कि चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से पिछले साल सितंबर माह में 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था. इसके बाद 12 और चीते दूसरी किस्त में कूनो में लाए गए. इस प्रकार 20 नामीबियाई चीते कूनो में हैं. हाल ही में एक चीता ने 4 बच्चों को जन्म दिया तो इनकी संख्या कुल 24 हो गई, लेकिन 2 चीतों की मौत के बाद अब कूनो में कुल 22 चीते हैं. दो चीतों की मौत से भारत के चीता प्रोजेक्ट को झटका लगा है. बता दें कि भारत में चीतों की प्रजाति 70 साल पहले विलुप्त हो गई थी.