ETV Bharat / bharat

MP Assembly Elections 2023: चुनावी साल में अंबेडकर की याद, दलितों पर दलों का ये कैसा दुलार

मध्यप्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव है. प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां दलित वर्ग को साधने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर पार्टियां अपने-अपने तरीके से जयंती को मना रहे हैं और तमाम वादे कर रहे हैं.

Dalit politics across state by all parties in mp
चुनावी साल में अंबेडकर की याद
author img

By

Published : Apr 14, 2023, 6:02 PM IST

भोपाल। चुनावी साल में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हर राजनीतिक दल की धूरी बन जाते है. महू में बाबा साहेब अंबेडकर की 132वीं जयंती का मौका और उनकी जन्मस्थली पर नेताओं का जमावड़ा. चुनावी साल में संविधान निर्माता की जन्मस्थली भी सियासत का मुद्दा बन गई. पूर्व सीएम कमलनाथ ने आरोप लगाया कि बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली पर भी शिवराज झूठ बोल रहे हैं. मुद्दा बाबा साहेब के पंचतीर्थ का उठाया और कमलनाथ ने आरोप लगाया. कमलनाथ ने कहा कि बाबा साहेब के नाम पर पंचतीर्थ बनाएंगे, लेकिन ये केवल घोषणा थी. चुनावी साल में कोई भी योजना गले की हड्डी ना बन जाए, लिहाजा सीएम शिवराज ने भी अंबेडकर की जन्मस्थली को तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने में जरा देर नहीं लगाई. पंच तीर्थ जो मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किए गए उनमें अंबेडकर स्मारक भी शुमार हैं. दूसरी तरफ तीसरी ताकत के तौर पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी महू पहुंचे. उधर कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए बुंदेलखंड के दौरे पर चल रहे दिग्विजय सिंह ने हटा में दलित समाज के लोगों के साथ भोजन किया.

अंबेडकर के रास्ते या अम्बेडकर ही रास्ता: असल में जो वोट बैंक एमपी में राजनीति की करवट बदल देने का माद्दा रखता है, वो दलित वोट बैंक को साधने अंबेडकर के रास्ते पर खुद को चलता हुआ दिखाना सियासी दलों की मजबूरी है. बाबा साहेब के रास्ते पर चलता हुआ दिखाकर ही सत्ता का रास्ता मिल सकता है. सीएम शिवराज अगर अवकाश के दिन भी तीर्थ दर्शन योजना में महू को शामिल किए जाने का आदेश निकाल रहे हैं. तो वो जानते हैं कि चुनावी साल में ये घोषणाएं कितना और क्या असर दिखाएंगे. कमलनाथ का महू पहुंचकर ये कहना कि शिवराज ने पंचतीर्थ बनाने को लेकर झूठी घोषणाएं की. ये भी दलितों को साधने सियासी दांव है. भीम आर्मी से लेकर समाजवादी पार्टी तक बाबा साहेब का अनुयायी बनकर उनके अनुयायियों तक ये बताने की कोशिश की बाबा साहेब के रास्ते पर तो केवल हम ही हैं.

chandrashekhar bhim army chief
चंद्रशेखर भीमा आर्मी चीफ

राजनीति की कुछ खबरें यहां पढ़ें

क्या तीसरे मोर्चे को ताकत देगा दलित वोट बैंक: मध्यप्रदेश की राजनीति अब तक दो दलीय राजनीति ही रही है. यहां तीसरे की गुंजाइश कभी बन नहीं पाई, लेकिन मना जा रहा है कि भीम आर्मी के साथ समाजवादी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र जयस राष्ट्रीय लोक दल सब एक मंच पर खड़े होकर एमपी की सियासत में तीसरे मोर्चे की तरह उभर सकते हैं.

35 सीटों और 15 फीसदी वोट बैंक दलित से दुलार क्यों: मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों मे से 35 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 40 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, प्रदेश में जहां पर माना जाता है कि दलित रिजर्व सीटें भले ना हों, लेकिन यहां वोटर डिसाइडिंग है. ट्राइबल के लिए जो सीटें रिजर्व हैं, उनकी संख्या 47 है. असल में ये जो 72 सीटें हैं, इन्ही का जनादेश तय करता है कि एमपी में राजनीति की दिशा क्या होगी. अब तक ये वोट बैंक बीजेपी कांग्रेस में बंटता रहा है. कुछ सीटों पर इस वोट ने सपा और बसपा को पैर जमाने जमीन भी दी, लेकिन इस बार तो भीम आर्मी दम दिखाते हुए इन 70 से ज्यादा सीटों पर तीसरी ताकत के तौर पर उभरने की तैयारी में है.

भोपाल। चुनावी साल में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हर राजनीतिक दल की धूरी बन जाते है. महू में बाबा साहेब अंबेडकर की 132वीं जयंती का मौका और उनकी जन्मस्थली पर नेताओं का जमावड़ा. चुनावी साल में संविधान निर्माता की जन्मस्थली भी सियासत का मुद्दा बन गई. पूर्व सीएम कमलनाथ ने आरोप लगाया कि बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली पर भी शिवराज झूठ बोल रहे हैं. मुद्दा बाबा साहेब के पंचतीर्थ का उठाया और कमलनाथ ने आरोप लगाया. कमलनाथ ने कहा कि बाबा साहेब के नाम पर पंचतीर्थ बनाएंगे, लेकिन ये केवल घोषणा थी. चुनावी साल में कोई भी योजना गले की हड्डी ना बन जाए, लिहाजा सीएम शिवराज ने भी अंबेडकर की जन्मस्थली को तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने में जरा देर नहीं लगाई. पंच तीर्थ जो मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किए गए उनमें अंबेडकर स्मारक भी शुमार हैं. दूसरी तरफ तीसरी ताकत के तौर पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी महू पहुंचे. उधर कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए बुंदेलखंड के दौरे पर चल रहे दिग्विजय सिंह ने हटा में दलित समाज के लोगों के साथ भोजन किया.

अंबेडकर के रास्ते या अम्बेडकर ही रास्ता: असल में जो वोट बैंक एमपी में राजनीति की करवट बदल देने का माद्दा रखता है, वो दलित वोट बैंक को साधने अंबेडकर के रास्ते पर खुद को चलता हुआ दिखाना सियासी दलों की मजबूरी है. बाबा साहेब के रास्ते पर चलता हुआ दिखाकर ही सत्ता का रास्ता मिल सकता है. सीएम शिवराज अगर अवकाश के दिन भी तीर्थ दर्शन योजना में महू को शामिल किए जाने का आदेश निकाल रहे हैं. तो वो जानते हैं कि चुनावी साल में ये घोषणाएं कितना और क्या असर दिखाएंगे. कमलनाथ का महू पहुंचकर ये कहना कि शिवराज ने पंचतीर्थ बनाने को लेकर झूठी घोषणाएं की. ये भी दलितों को साधने सियासी दांव है. भीम आर्मी से लेकर समाजवादी पार्टी तक बाबा साहेब का अनुयायी बनकर उनके अनुयायियों तक ये बताने की कोशिश की बाबा साहेब के रास्ते पर तो केवल हम ही हैं.

chandrashekhar bhim army chief
चंद्रशेखर भीमा आर्मी चीफ

राजनीति की कुछ खबरें यहां पढ़ें

क्या तीसरे मोर्चे को ताकत देगा दलित वोट बैंक: मध्यप्रदेश की राजनीति अब तक दो दलीय राजनीति ही रही है. यहां तीसरे की गुंजाइश कभी बन नहीं पाई, लेकिन मना जा रहा है कि भीम आर्मी के साथ समाजवादी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र जयस राष्ट्रीय लोक दल सब एक मंच पर खड़े होकर एमपी की सियासत में तीसरे मोर्चे की तरह उभर सकते हैं.

35 सीटों और 15 फीसदी वोट बैंक दलित से दुलार क्यों: मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों मे से 35 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 40 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, प्रदेश में जहां पर माना जाता है कि दलित रिजर्व सीटें भले ना हों, लेकिन यहां वोटर डिसाइडिंग है. ट्राइबल के लिए जो सीटें रिजर्व हैं, उनकी संख्या 47 है. असल में ये जो 72 सीटें हैं, इन्ही का जनादेश तय करता है कि एमपी में राजनीति की दिशा क्या होगी. अब तक ये वोट बैंक बीजेपी कांग्रेस में बंटता रहा है. कुछ सीटों पर इस वोट ने सपा और बसपा को पैर जमाने जमीन भी दी, लेकिन इस बार तो भीम आर्मी दम दिखाते हुए इन 70 से ज्यादा सीटों पर तीसरी ताकत के तौर पर उभरने की तैयारी में है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.