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#etv dharma: सुहागिनों को सौभाग्यवती रखेगा करवा चौथ का व्रत - करवा चौथ 2021

इस साल 24 अक्टूबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों के लिए व्रत रखेंगी. इस साल यानी 2021 में एक शुभ और विशिष्ट संयोग करवा चौथ व्रत के दिन निर्मित हो रहा है. पंचांग के मुताबिक, इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा.

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Published : Oct 18, 2021, 11:50 AM IST

नई दिल्ली : सुहागिन महिलाओं का त्योहार करवा चौथ (karwa chauth) इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत महत्व है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से महिलाएं इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहती हैं. यानी जल तक ग्रहण नहीं करतीं. ये हिन्दू कैलेण्डर के कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम में चंद्रमा को देखकर ही व्रत खोला जाता है.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ये व्रत खासतौर से उत्तर भारत जैसे-पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार में ही किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश और शिव-पार्वतीजी के साथ करवा माता की पूजा की जाती है. करवा चौथ व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इसका कारण ये है कि इस दिन रात को चंद्रमा दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत की तरह ही करवा चौथ व्रत करने से भी पति को लंबी आयु प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है. साथ ही व्रत करने वाली महिलाओं का अखंड सौभाग्य भी बना रहता है.

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करवा चौथ पर बन रहा विशिष्ट संयोग

अनीष व्यास बताते हैं कि इस साल यानी 2021 में एक शुभ और विशिष्ट संयोग करवा चौथ व्रत के दिन निर्मित हो रहा है. पंचांग के मुताबिक, इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा. मान्यता के अनुसार, इस नक्षत्र में व्रत रखना अति शुभ माना जाता है.

चंद्र दर्शन का समय

मान्यता ये भी है कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. इस बार करवा चौथ को यानी रविवार 24 अक्टूबर को चांद रात 08:07 मिनट पर निकलेगा. ऐसे में इसी समय व्रती महिलाओं को चंद्र दर्शन हो सकता है. चंद्र दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत खोलेंगी.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

  • करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर 2021
  • चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर 2021 को सुबह 03:01 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2021 को सुबह 05:43 मिनट पर
  • करवा चौथ व्रत पूजा शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 05:43 मिनट से 06:59 मिनट तक रहेगा

करवा चौथ का महत्व

माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है. इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती है और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है. इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है. इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है.

ये भी पढ़ें- #etv dharma: ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा, प्रसन्न होकर बरसायेंगी कृपा

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करवा चौथ व्रत की विधि

इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार, सरगी आदि ग्रहण करें. स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें. शाम को तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवाचौथ की कथा पढ़ें. चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें. टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें. मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे रख दें. एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें. चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें. सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें. श्रृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें. अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें. इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें. अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. पूजन की गई श्रंगार की सामग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें.

ये भी पढ़ें- Positive Bharat Podcast: श्रीकृष्ण की भगवत् गीता में है शांति, धैर्य की शिक्षा

नई दिल्ली : सुहागिन महिलाओं का त्योहार करवा चौथ (karwa chauth) इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत महत्व है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से महिलाएं इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहती हैं. यानी जल तक ग्रहण नहीं करतीं. ये हिन्दू कैलेण्डर के कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम में चंद्रमा को देखकर ही व्रत खोला जाता है.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ये व्रत खासतौर से उत्तर भारत जैसे-पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार में ही किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश और शिव-पार्वतीजी के साथ करवा माता की पूजा की जाती है. करवा चौथ व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इसका कारण ये है कि इस दिन रात को चंद्रमा दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत की तरह ही करवा चौथ व्रत करने से भी पति को लंबी आयु प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है. साथ ही व्रत करने वाली महिलाओं का अखंड सौभाग्य भी बना रहता है.

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करवा चौथ पर बन रहा विशिष्ट संयोग

अनीष व्यास बताते हैं कि इस साल यानी 2021 में एक शुभ और विशिष्ट संयोग करवा चौथ व्रत के दिन निर्मित हो रहा है. पंचांग के मुताबिक, इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा. मान्यता के अनुसार, इस नक्षत्र में व्रत रखना अति शुभ माना जाता है.

चंद्र दर्शन का समय

मान्यता ये भी है कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. इस बार करवा चौथ को यानी रविवार 24 अक्टूबर को चांद रात 08:07 मिनट पर निकलेगा. ऐसे में इसी समय व्रती महिलाओं को चंद्र दर्शन हो सकता है. चंद्र दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत खोलेंगी.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

  • करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर 2021
  • चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर 2021 को सुबह 03:01 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2021 को सुबह 05:43 मिनट पर
  • करवा चौथ व्रत पूजा शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 05:43 मिनट से 06:59 मिनट तक रहेगा

करवा चौथ का महत्व

माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है. इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती है और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है. इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है. इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है.

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करवा चौथ व्रत की विधि

इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार, सरगी आदि ग्रहण करें. स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें. शाम को तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवाचौथ की कथा पढ़ें. चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें. टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें. मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे रख दें. एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें. चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें. सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें. श्रृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें. अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें. इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें. अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. पूजन की गई श्रंगार की सामग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें.

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