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शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर नहीं, कर्ज निर्भर प्रदेश बना दिया : कमलनाथ

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि दो साल में शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश पर 92 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज लादा है और वर्ष 2023 में ये कर्ज 3.25 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा. उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार के पास कोई वित्तीय नीति नहीं है. (Kamal Nath attacks Shivraj govt on economic front )

Kamal Naths attack on Shivraj government
कमलनाथ का शिवराज सरकार पर हमला
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Published : Mar 19, 2022, 6:26 PM IST

Updated : Mar 19, 2022, 7:41 PM IST

भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश दिन पर दिन कर्ज के दलदल में डूबता चला जा रहा है. प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है. राज्य की जनता ने आशा की थी कि विधानसभा के बजट सत्र में सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई रोडमेप प्रस्तुत करेगी, लेकिन बजट सत्र समाप्त होने के बाद यह स्पष्ट है कि शिवराज सरकार 'यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा, घृतं पिबेत्' के सिद्धांत पर चल रही है अर्थात जब तक जियो सुख से जियो और उधार लेकर घी पियो. पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कर्ज के बढ़े बोझ के संबंध में कहा कि शिवराज सरकार ने प्रदेश को आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि कर्ज निर्भर प्रदेश बना दिया है.

कमलनाथ ने छह बिंदुओं पर किया कर्ज के आंकड़ों का विश्लेषण :

  • प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के समय वर्ष 2020 की स्थिति में लगभग एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये का ऋण राज्य सरकार पर था, जो कि वर्ष 2021 की स्थिति में 2.33 लाख करोड़ एवं वर्ष 2022 की स्थिति में 2.73 लाख करोड़ हो चुका है. सरकार के अनुसार वर्ष 2023 की स्थिति में मध्यप्रदेश पर कुल ऋण 3.25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.
  • मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 में 52,413 करोड़ रुपये एवं वर्ष 2021-22 में 40,082 करोड़ रुपये का शुद्ध ऋण लिया है. इसका आशय है कि मध्य प्रदेश सरकार विगत दो वर्षों से हर महीने लगभग 3 हजार 9 सौ करोड़ रुपये का ऋण ले रही है. सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में 51,829 करोड़ रुपये का ऋण लेगी. वर्ष 2022-23 में सरकार हर महीने लगभग 4 हजार 3 सौ करोड़ रुपये ऋण लेगी.
  • मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो ऋण लिये जाते हैं उस पर प्रतिवर्ष उसे ब्याज का भुगतान करना होता है. वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर 11,045 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया गया था. 2020-21 में सरकार द्वारा 15,917 करोड़ रुपये एवं 2021-22 में 20,040 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान में सरकार ने खर्च किये हैं. सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22,166 करोड़ रुपये केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी.
  • आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में सरकार ने जो ऋण लिया था उसकी 50 प्रतिशत राशि अर्थात बीस हजार करोड़ रुपये केवल ब्याज के भुगतान में व्यय हुई और वर्ष 2022-23 में ब्याज भुगतान की राशि बढ़कर बाईस हजार करोड़ रुपये हो जाएगी. पिछले छह वर्षों में (वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक के) मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 83 हजार करोड़ रुपये की राशि केवल ब्याज के भुगतान में व्यय की है.
  • वर्ष 2020 में सरकार परिवर्तन के बाद नयी सरकार ने गत दो वर्षों में 92 हजार 500 करोड़ रुपये के ऋण लिये और 36 हजार करोड़ रुपये की राशि केवल ब्याज में खर्च की है. इस वर्ष यह सरकार लगभग 52 हजार करोड़ रुपये का ऋण लेगी और 22 हजार करोड़ रुपये ब्याज चुकाने में खर्च करेगी.

शिवराज सरकार के पास कोई वित्तीय नीति नहीं
कमलनाथ ने कहा कि कर्ज का यह विश्लेषण स्पष्ट बताता है कि शिवराज सरकार के पास कोई वित्तीय नीति नहीं है. कर्ज लेकर वे मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को चौपट करते जा रहे हैं. सीएम और मंत्री सादगी का परिचय दें, कमलनाथ ने कहा कि मप्र की जनता की मेहनत की कमाई को कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च किया जा रहा है. कर्ज की इस राशि का उपयोग जनता को रोजगार देने के बजाय सरकारी आयोजनों और पार्टी की फिजूलखर्ची में किया जा रहा है. इस समय आवश्यकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रीगण सादगी का परिचय दें और खजाने पर कम से कम बोझ डालें.

ये भी पढ़ें - Tamil Nadu Budget: सरकारी स्कूलों में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए हर महीने 1-1 हजार रुपये सहायता

भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश दिन पर दिन कर्ज के दलदल में डूबता चला जा रहा है. प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है. राज्य की जनता ने आशा की थी कि विधानसभा के बजट सत्र में सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई रोडमेप प्रस्तुत करेगी, लेकिन बजट सत्र समाप्त होने के बाद यह स्पष्ट है कि शिवराज सरकार 'यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा, घृतं पिबेत्' के सिद्धांत पर चल रही है अर्थात जब तक जियो सुख से जियो और उधार लेकर घी पियो. पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कर्ज के बढ़े बोझ के संबंध में कहा कि शिवराज सरकार ने प्रदेश को आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि कर्ज निर्भर प्रदेश बना दिया है.

कमलनाथ ने छह बिंदुओं पर किया कर्ज के आंकड़ों का विश्लेषण :

  • प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के समय वर्ष 2020 की स्थिति में लगभग एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये का ऋण राज्य सरकार पर था, जो कि वर्ष 2021 की स्थिति में 2.33 लाख करोड़ एवं वर्ष 2022 की स्थिति में 2.73 लाख करोड़ हो चुका है. सरकार के अनुसार वर्ष 2023 की स्थिति में मध्यप्रदेश पर कुल ऋण 3.25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.
  • मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 में 52,413 करोड़ रुपये एवं वर्ष 2021-22 में 40,082 करोड़ रुपये का शुद्ध ऋण लिया है. इसका आशय है कि मध्य प्रदेश सरकार विगत दो वर्षों से हर महीने लगभग 3 हजार 9 सौ करोड़ रुपये का ऋण ले रही है. सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में 51,829 करोड़ रुपये का ऋण लेगी. वर्ष 2022-23 में सरकार हर महीने लगभग 4 हजार 3 सौ करोड़ रुपये ऋण लेगी.
  • मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो ऋण लिये जाते हैं उस पर प्रतिवर्ष उसे ब्याज का भुगतान करना होता है. वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर 11,045 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया गया था. 2020-21 में सरकार द्वारा 15,917 करोड़ रुपये एवं 2021-22 में 20,040 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान में सरकार ने खर्च किये हैं. सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22,166 करोड़ रुपये केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी.
  • आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में सरकार ने जो ऋण लिया था उसकी 50 प्रतिशत राशि अर्थात बीस हजार करोड़ रुपये केवल ब्याज के भुगतान में व्यय हुई और वर्ष 2022-23 में ब्याज भुगतान की राशि बढ़कर बाईस हजार करोड़ रुपये हो जाएगी. पिछले छह वर्षों में (वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक के) मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 83 हजार करोड़ रुपये की राशि केवल ब्याज के भुगतान में व्यय की है.
  • वर्ष 2020 में सरकार परिवर्तन के बाद नयी सरकार ने गत दो वर्षों में 92 हजार 500 करोड़ रुपये के ऋण लिये और 36 हजार करोड़ रुपये की राशि केवल ब्याज में खर्च की है. इस वर्ष यह सरकार लगभग 52 हजार करोड़ रुपये का ऋण लेगी और 22 हजार करोड़ रुपये ब्याज चुकाने में खर्च करेगी.

शिवराज सरकार के पास कोई वित्तीय नीति नहीं
कमलनाथ ने कहा कि कर्ज का यह विश्लेषण स्पष्ट बताता है कि शिवराज सरकार के पास कोई वित्तीय नीति नहीं है. कर्ज लेकर वे मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को चौपट करते जा रहे हैं. सीएम और मंत्री सादगी का परिचय दें, कमलनाथ ने कहा कि मप्र की जनता की मेहनत की कमाई को कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च किया जा रहा है. कर्ज की इस राशि का उपयोग जनता को रोजगार देने के बजाय सरकारी आयोजनों और पार्टी की फिजूलखर्ची में किया जा रहा है. इस समय आवश्यकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रीगण सादगी का परिचय दें और खजाने पर कम से कम बोझ डालें.

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Last Updated : Mar 19, 2022, 7:41 PM IST
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