भोपाल। राजनीति में शुचिता के दावे करने वाले दलों की पोल एडीआर ने अपनी रिपोर्ट के जरिए खोली है. एडीआर ने देशभर के 4 हजार विधायकों के आपराधिक बैकग्राउंड, संपत्ति, साक्षरता का विश्लेषण किया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से एडीआर की रिपोर्ट में जिक्र है कि एमपी के 41 फीसदी माननीय दागी हैं. 21 फीसदी माननीय तो ऐसे भी हैं जिन पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं.
अमित शाह के हाथ कमान: मध्यप्रदेश में 4 महीने बाद चुनाव होने हैं. एमपी की चुनावी कमान अमित शाह ने खुद संभाल रखी है, बीजेपी का स्लोगन" पार्टी विथ डिफरेंस "का है , लेकिन क्या इस बार के चुनावों में बीजेपी दागियों को टिकट देगी या फिर दूसरी पार्टियों को तरह जीत के सब कुछ करेगी की तर्ज पर दागियों को मैदान में उतारेगी.
माननीयों में कितने दाग हैं, ये ए .डी .आर संस्था बताती है. माननीयों के चरित्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं. एडीआर की रिपोर्ट बता रही है कि मध्यप्रदेश के 41 फीसदी माननीयों यानि 230 विधायकों में से 94 विधायकों पर क्रिमिनल केस रजिस्टर्ड हैं. जबकि 21 फीसदी ऐसे भी माननीय हैं जिन पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं. दरअसल एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की रिपोर्ट के मुताबिक एक विधायक के विरुद्ध हत्या और 6 के विरुद्ध हत्या के प्रयास के मामले हैं.
BJP के दागी विधायक: मुलताई से कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे के विरुद्ध दो, रामपुर बघेलान से भाजपा विधायक विक्रम सिंह के विरुद्ध एक, नरसिंहपुर से भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल के विरुद्ध तीन, हरदा से भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री कमल पटेल के विरुद्ध दो, तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार के विरुद्ध चार, भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के विरुद्ध एक और सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह के विरुद्ध 11 केस रजिस्टर्ड हैं..
एमपी के टॉप 10 रईश विधायक: एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अरबपति विधायकों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है. एमपी में 6 विधायकों की संपत्ति सौ करोड़ के पार है.
टिकट देने से पहले BJP का दावा: हालांकि जब माननीयों से ये सवाल पूछा जाता है तो ज्यादातर का कहना है कि हमको अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है बल्कि ज्यादातर केस राजनीति से प्रेरित होते हैं. अपराधों के इन आंकड़ों का खुद माननीयों का कहना है कि दो साल से ज्यादा की सजा हो चुकी है तो हम चुनाव लड़ ही नहीं सकते. बीजेपी नेता और वकील दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि बीजेपी सुचिता का पालन करती है , हम टिकट देने के पहले प्रत्याशी का पूरा बैकग्राउंड पता करते हैं.
कांग्रेस का दावा: कांग्रेस प्रवक्ता और वकील जेपी धनोपिया का कहना है की हमारी पार्टी भी कैंडिडेट चयन के पहले स्क्रुटनी करती है, लेकिन ज्यादातर केसेस छोटे मोटे होते हैं और वे भी राजनीति प्रेरित होते हैं लेकिन हत्या, लूट, बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों में यदि कोर्ट ने 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाई है, तो उसका फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है, वो चुनाव के लिए अपने आप अयोग्य घोषित हो जाता है.
कहां तक पढ़े विधायक महोदय: एडीआर ने न सिर्फ दागी और मालदार विधायकों का विश्लेषण किया है बल्कि...एडीआर ने विधायकों की साक्षरता को भी अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है. मध्यप्रदेश में पांचवीं से कम पढ़े-लिखे 6, 12वीं तक 66 और स्नातक कर चुके 94 विधायक हैं. जबकि पोस्ट ग्रेजुएट विधायकों की संख्या 64 है