सागर। जिले के जैसीनगर विकासखंड के पडरई गांव के विशालकाय बरगद के पेड़ में भीषण आग लग जाने से हडकंप मच गया है. दरअसल यह पेड़ बुंदेलखंड इलाके में आस्था का केंद्र है और करीब 200 साल पुराना होने के साथ-साथ 2 एकड से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है, यहां पहुंचकर लोग पूजा अर्चना करते हैं और मनोकामना मांगते हैं. लोगों की आस्था के केंद्र बरगद के पेड़ में रविवार देर रात अचानक आग लग गई, लोगों को जैसे ही आगजनी की जानकारी मिली, तो लोग रात से ही आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विशालकाय पेड़ होने के कारण आग बुझ नहीं रही थी. बाद में आग लगने के करीब 9 घंटे बाद आग पर जैसे-तैसे काबू पाया गया.
विशालकाय बरगद की आग से सनसनी: दरअसल सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के पडरई गांव में किसान ऋषिराज ठाकुर के खेत में एक विशालकाय बरगद का पेड़ है. बताते हैं कि ये पेड़ किसान के पूर्वजों ने लगाया था और करीब 200 साल पुराना है. पूर्वजों के प्रकृति प्रेम और आस्था के चलते नई पीढी भी बरगद की देखभाल करती है और 2 एकड़ जमीन में उपज ना होने पर भी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाती है, लेकिन रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात इस विशालकाय बरगद के पेड़ में अचानक आग लग गई. आग की लपटें उठने पर ग्रामीण खेत पर पहुंचे और देखा कि उनकी आस्था का केंद्र बरगद का पेड़ जल रहा है, तो लोगों ने बरगद के पेड़ की आग बुझाने के लिए यहां-वहां से पानी लाकर प्रयास तेज किए, लेकिन तेज हवा के कारण आग बढ़ती गई और बेकाबू हो गई. ग्रामीणों ने इसकी सूचना जैसीनगर पुलिस और सागर नगर निगम के लिए दी, इसके बाद सूचना पर सागर नगर निगम की फायर ब्रिगेड पहुंची और आग बुझाने का प्रयास किया. आखिरकार 9 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.
जैसे-तैसे बुझ सकी आग: पुलिस और सागर नगर निगम में सूचना भेजे जाने पर सागर नगर निगम की फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का प्रयास शुरू किया, लेकिन बरगद के पेड़ की विशालता और आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम ना होने के कारण फायर ब्रिगेड नाकाम नजर आई. फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने के लिए 5 फेरे लगाए फिर जैसे-तैसे आग बुझ सकी, लेकिन जब तक आग पर काबू पाया गया, विशालकाय बरगद का आधे से ज्यादा हिस्सा जलकर खाक हो चुका था.
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क्या खासियत है विशालकाय बरगद के पेड़ की: सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के पड़रई गांव में बरगद का विशाल पेड़ आकर्षण का केंद्र हुआ करता था. इसका दायरा 20-25 फीट नहीं, बल्कि 2 एकड़ से ज्यादा जमीन में फैल चुका है और बरगद का पेड़ करीब 200 साल पुराना है. गांव के किसान ऋषिरज सिंह ठाकुर के खेत में यह विशाल बरगद का पेड़ मौजूद है, दरअसल उनके पूर्वज प्रकृति से काफी प्रेम करते थे और पौधे लगाना उनका शौक ही नहीं, एक तरह से जीवन का लक्ष्य बन गया था. पूर्वजों का प्रकृति प्रेम बरगद के विशालकाय वृक्ष के रूप में आज भी मौजूद है, पूर्वजों के लगाए विशाल वटवृक्ष को परिवार की तीसरी पीढ़ी संभालने की जिम्मेदारी निभा रही हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी पेड़ को सहेजने का सिलसिला चला आ रहा है, जब से ये पेड़ लगाया गया है इसको काटने या छांटने का काम नहीं किया, बल्कि सहेजने का काम किया है. परिवार के जिस व्यक्ति के हक में यह पेड़ है, वह पूर्वजों के आदर और प्रकृति में आस्था को लेकर इस पेड़ को सहेजने का काम करता है. पेड़ के दायरा बढ़ जाने के कारण करीब ढाई एकड़ जमीन पर खेती भी नहीं कर पाते हैं, लेकिन पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.