Water Criciss: यहां जानवर और इंसान पीते हैं एक घाट का पानी, लाने के लिए जाना पड़ता है दो किलोमीटर दूर - Jharkhand news
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खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू का पड़ोसी टोला बारगी आजादी के 76 सालों बाद भी गंदा पानी पीने को मजबूर है. इस गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं. बिजली और मोबाइल टावर तो दूर, पूरा इलाका पेयजल के लिए जूझता रहता है. 500 की आबादी वाले इस गांव में 65 मकान हैं. ये पूरा गांव पहाड़ से रिसने वाले झरने से अपनी प्यास बुझाता है. इसी पानी से ये नहाते हैं, बर्तन धोते हैं, जानवरों को पिलाते हैं और खुद पीते भी हैं. अड़की प्रखंड मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर बसा बारगी गांव के पास ही उलिहातू है. जो भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली है. उलिहातू को राष्ट्रीय धरोहर की पहचान जरूर मिल गई है, लेकिन आसपास के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. गांव के लोगों के पास मोबाइल तो है लेकिन चार्ज करने के लिए अड़की या उसके बगल किसी गांव में जाना पड़ता है. गांव में चपानल तो है लेकिन उसमें पानी नहीं है. पानी के लिए गांव के लोग काफी मशक्कत करते हैं. पानी के लिए घर से करीब दो किलोमीटर दूर जाने के लिए बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे एक साथ निकलते हैं. पहाड़ों से रिसने वाला पानी गंदा जरूर है, लेकिन इन ग्रामीणों के लिए यही जिंदगी है. ग्रामीण बताते है कि पानी गंदा है और उस पानी को पीने से बीमार भी हो जाते हैं. कई बार अधिकारियों को गांव की समस्या के बारे में जानकारी दी गई, लेकिन कोई किसी ने कोई सूध आज तक नहीं ली है. गर्मी के शुरुआती दिनों से ही जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या शुरू हो जाती है. नतीजतन गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.