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चाईबासा बस स्टैंड की बदहाली से लोग परेशान, जल्द बनेगा अत्याधुनिक मॉडल बस स्टैंड

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Published : Jan 30, 2020, 5:58 PM IST

सरकार को सालाना 18 लाख के राजस्व देने वाली चाईबासा बस स्टैंड की बदहाली के चलते एक तरफ जहां बस मालिकों को कई परेशानियों से प्रतिदिन दो-चार होना पड़ रहा है. वहीं, बसों की संख्या 100 से बढ़कर लगभग 120 हो जाने के कारण पार्किंग की समस्या भी उत्पन्न हो गई है. जिसके चलते सड़क जाम की स्थिति बनी रहती है. इतना ही नहीं इस बस स्टैंड में यात्रियों के लिए बैठने की भी उचित व्यवस्था भी नहीं है.

People upset due to the chaibasa bus stand plight
चाईबासा बस स्टैंड की बदहाली

चाईबासा: झारखंड सरकार की नगर विकास विभाग को सालाना 18 लाख की राजस्व प्रदान करने वाली चाईबासा बस स्टैंड के अंदर यात्रियों के लिए बनाई गई भवन की पूरी तरह से जर्जर स्थिति में है. बस स्टैंड की छत गिरने लगी है. यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बसों का इंतजार करते हैं.

देखें पूरी खबर

शुरू नहीं किया गया है काम
लोग बताते हैं कि वर्षों से हम लोग सुनते आ रहे हैं कि नए बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा. बस स्टैंड की नापी भी हो चुकी है, उसके बावजूद अब तक कोई काम शुरू नहीं किया गया है और बस स्टैंड में यात्रियों के लिए बने शेड की खस्ताहाल आदि दंश झेलना पड़ रहा है. दरअसल, जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है. आलम यह है कि चाईबासा बस स्टैंड में बने शेड की छत कब किसके सिर गिर जाए ये कहना मुश्किल है.

शहर के चाईबासा स्थित बस स्टैंड से दिन भर टाटानगर, किरीबुरू, मंझगांव, सोनुआ, गोइलकेरा, मनोहरपुर, रांची और ओडिसा के विभिन्न स्थानों के लिए बसें चलती हैं. इतना ही नहीं यहां से सर्वाधिक निजी बसों का ही परिचालन होता है, लेकिन इनमें जाने वाले यात्रियों को पहले कोई परेशानी का सामना करना पड़ता है.

ये भी देखें- पूर्वी सिंहभूम जिला में नक्सली सक्रिय, 8 हजार वेतन पर युवाओं को कर रहे हैं शामिल

मौत के साए में यात्री करते हैं बस का इंतजार
चाईबासा बस स्टैंड में यात्रियों को मौत के साए में बस का इंतजार कर रहा पड़ता है. यात्रियों के लिए बनाई गई यात्री सैड की स्थिति काफी भयावह है. यात्री शेड में आराम करने से बेहतर यात्री सुविधा के अभाव में खुले आसमान के नीचे ही बसों का इंतेजार करना ही बेहतर समझते हैं.

चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है, टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस और एसोसिएशन को सौंपी गई है. बस ओनर एसोसिएशन प्रत्येक बस से प्रतिदिन 40 रुपए मेंटेनेंस के नाम पर वसूली की जाती है. जिसके बदले केवल बस स्टैंड की आधी साफ-सफाई की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती हैं.

ये भी देखें- दिल्ली की नौकरी छोड़ गांव पहुंचा असरार, आज बहुतों को दे रहा रोजगार

विवाद के बाद निर्णय
नगर परिषद टेंडर के बाद बस स्टैंड को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है. जिसका खामियाजा अमूमन यात्री को ही भुगतना पड़ता है. वहीं, नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी अभय कुमार की मानें तो जिला प्रशासन नए बस स्टैंड निर्माण को लेकर सीकुर साई में लगभग 4 एकड़ जमीन चिन्हित कर चुकी थी, लेकिन विवाद उत्पन्न होने के कारण पुराने बस स्टैंड को ही तोड़ कर निजी और सरकारी बस स्टैंड मिलाकर पारा मोल कांसेप्ट लिमिटेड नामक एजेंसी बस स्टैंड का डीपीआर तैयार कर रही है. जिसके बाद चाईबासा में अत्याधुनिक मॉडल बस स्टैंड बनाया जाएगा. चाईबासा में बनने वाली मॉडल बस स्टैंड में सिनेमा हॉल दुकान यात्रियों के लिए रुकने की उचित व्यवस्था के साथ-साथ अत्याधुनिक से लैस होगा चाईबासा बस स्टैंड.

चाईबासा: झारखंड सरकार की नगर विकास विभाग को सालाना 18 लाख की राजस्व प्रदान करने वाली चाईबासा बस स्टैंड के अंदर यात्रियों के लिए बनाई गई भवन की पूरी तरह से जर्जर स्थिति में है. बस स्टैंड की छत गिरने लगी है. यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बसों का इंतजार करते हैं.

देखें पूरी खबर

शुरू नहीं किया गया है काम
लोग बताते हैं कि वर्षों से हम लोग सुनते आ रहे हैं कि नए बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा. बस स्टैंड की नापी भी हो चुकी है, उसके बावजूद अब तक कोई काम शुरू नहीं किया गया है और बस स्टैंड में यात्रियों के लिए बने शेड की खस्ताहाल आदि दंश झेलना पड़ रहा है. दरअसल, जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है. आलम यह है कि चाईबासा बस स्टैंड में बने शेड की छत कब किसके सिर गिर जाए ये कहना मुश्किल है.

शहर के चाईबासा स्थित बस स्टैंड से दिन भर टाटानगर, किरीबुरू, मंझगांव, सोनुआ, गोइलकेरा, मनोहरपुर, रांची और ओडिसा के विभिन्न स्थानों के लिए बसें चलती हैं. इतना ही नहीं यहां से सर्वाधिक निजी बसों का ही परिचालन होता है, लेकिन इनमें जाने वाले यात्रियों को पहले कोई परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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मौत के साए में यात्री करते हैं बस का इंतजार
चाईबासा बस स्टैंड में यात्रियों को मौत के साए में बस का इंतजार कर रहा पड़ता है. यात्रियों के लिए बनाई गई यात्री सैड की स्थिति काफी भयावह है. यात्री शेड में आराम करने से बेहतर यात्री सुविधा के अभाव में खुले आसमान के नीचे ही बसों का इंतेजार करना ही बेहतर समझते हैं.

चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है, टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस और एसोसिएशन को सौंपी गई है. बस ओनर एसोसिएशन प्रत्येक बस से प्रतिदिन 40 रुपए मेंटेनेंस के नाम पर वसूली की जाती है. जिसके बदले केवल बस स्टैंड की आधी साफ-सफाई की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती हैं.

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विवाद के बाद निर्णय
नगर परिषद टेंडर के बाद बस स्टैंड को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है. जिसका खामियाजा अमूमन यात्री को ही भुगतना पड़ता है. वहीं, नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी अभय कुमार की मानें तो जिला प्रशासन नए बस स्टैंड निर्माण को लेकर सीकुर साई में लगभग 4 एकड़ जमीन चिन्हित कर चुकी थी, लेकिन विवाद उत्पन्न होने के कारण पुराने बस स्टैंड को ही तोड़ कर निजी और सरकारी बस स्टैंड मिलाकर पारा मोल कांसेप्ट लिमिटेड नामक एजेंसी बस स्टैंड का डीपीआर तैयार कर रही है. जिसके बाद चाईबासा में अत्याधुनिक मॉडल बस स्टैंड बनाया जाएगा. चाईबासा में बनने वाली मॉडल बस स्टैंड में सिनेमा हॉल दुकान यात्रियों के लिए रुकने की उचित व्यवस्था के साथ-साथ अत्याधुनिक से लैस होगा चाईबासा बस स्टैंड.

Intro:चाईबासा। सरकार को सालाना 18 लाख के राजस्व देने वाली चाईबासा बस स्टैंड की बदहाली के चलते एक तरफ जहां बस मालिकों को कई परेशानियों से प्रतिदिन दो-चार होना पड़ रहा है। वहीं बसों की संख्या 100 से बढ़कर लगभग 120 हो जाने के कारण पार्किंग की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। जिसके चलते सड़क जाम की स्थिति बनी रहती है। इतना ही नहीं इस बस स्टैंड में यात्रियों के लिए बैठने की भी उचित व्यवस्था भी नहीं है और ना ही पेयजल की व्यवस्था दी गई। लेकिन पेयजल की व्यवस्था को लेकर एक संस्था के द्वारा पनशाला भी है परंतु रखरखाव के अभाव में उसकी हालत भी खराब हो चुकी है।

Body:झारखंड सरकार की नगर विकास विभाग को सालाना 18 लाख की राजस्व प्रदान करने वाली चाईबासा बस स्टैंड के अंदर यात्रियों के लिए बनाई गई भवन की पूरी तरह से जर्जर स्थिति में आ गई है बस स्टैंड की छत गिरने लगी है। यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बसों का इंतजार करते हैं।
लोग बताते हैं कि वर्षों से हम लोग सुनते रहे हैं कि नए बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। बस स्टैंड की नापी भी हो चुकी है उसके बावजूद अब तक कोई काम शुरू नही किया गया है। और बस स्टैंड में यात्रियों के लिए बने शेड की खस्ताहाल आदि दंश झेलना पड़ रहा है। दरअसल जिले के सबसे बड़े बस स्टैंड में यात्रियों किस विधा खुद पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। आलम यह है कि चाईबासा बस स्टैंड में बने शेड की छत कब किसके सिर गिर जाए ये कहना मुश्किल है।

शहर के चाईबासा स्थित बस स्टैंड से दिन भर टाटानगर, किरीबुरू, मंझगांव, सोनुआ, गोइलकेरा, मनोहरपुर, रांची व ओड़िसा के विभिन्न स्थानों के लिए बसें चलती हैं। इतना ही नहीं यहां से सर्वाधिक निजी बसों का ही परिचालन होता है लेकिन इनमें जाने वाले यात्रियों को पहले कोई परेशानी का सामना करना पड़ता है।

मौत के साए में यात्री करते हैं बस का इंतजार-
चाईबासा बस स्टैंड में यात्रियों को मौत के साए में बस का इंतजार कर रहा पड़ता है यात्रियों के लिए बनाई गई यात्री सैड की स्थिति काफी भयावह है। यात्री शेड में में आराम करने से बेहतर यात्री सुविधा के अभाव में खुले आसमान के नीचे ही बसों का इंतेजार करना ही बेहतर समझते हैं।

चाईबासा बस स्टैंड नगर परिषद के अंतर्गत आता है वंही टेंडर के तहत देखभाल की जिम्मेदारी बस और एसोसिएशन को सौंपी गई है। बस ओनर एसोसिएशन द्वारा प्रतीक बस्सी प्रतिदिन के हिसाब से 40 रुपये मेंटेनेंस के नाम पर वसूली की जाती है। जिसके बदले केवल बस स्टैंड की साफ-सफाई आधी की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं।
नगर परिषद द्वारा टेंडर के बाद बस स्टैंड को पूरी तरह से नजर अंदाज कर लिया जाता है जिसका खामियाजा अमूमन यात्री को ही भुगतना पड़ता है।Conclusion:वही नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी अभय कुमार की मानें तो जिला प्रशासन के द्वारा नए बस स्टैंड निर्माण को लेकर सीकुर साई मैं लगभग 4 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया था लेकिन विवाद उत्पन्न होने के कारण पुराने बस स्टैंड को ही तोड़ कर निजी और सरकारी बस स्टैंड मिलाकर पारा मोल कांसेप्ट लिमिटेड नामक एजेंसी बस स्टैंड का डीपीआर तैयार कर रही है जिसके बाद चाईबासा में अत्याधुनिक मॉडल बस स्टैंड बनाया जाएगा चाईबासा में बनने वाली मॉडल बस स्टैंड में सिनेमा हॉल दुकान यात्रियों के लिए रुकने की उचित व्यवस्था के साथ-साथ अत्याधुनिक से लैस होगा चाईबासा बस स्टैंड।
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