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सिमडेगा में पहाड़ों की तराई में बसे गोंदलीपानी गांव में पहली बार पहुंचा प्रशासन का कोई अधिकारी, लोगों में जगी विकास की उम्मीद - etv news

Gondlipani village of Simdega. सिमडेगा में पहाड़ों की तराई में बसे गोंदलीपानी गांव में पहली बार कोई अधिकार पहुंचा. इसे लेकर ग्रामीण बेहद खुश हुए. ग्रामीणों को अब विकास की नई उम्मीद जगी है.

Gondlipani village of Simdega
Gondlipani village of Simdega
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 21, 2023, 10:20 AM IST

सिमडेगा: उपायुक्त अजय कुमार सिंह और एसपी सौरभ कुमार ने पाकरटांड़ प्रखंड अंतर्गत आसनबेड़ा पंचायत के गोंदलीपानी गांव का दौरा किया. डीसी गोंदलीपानी गांव पहुंचे और वहां ग्रामीणों से मुलाकात की और कहा कि मैं आप लोगों की समस्याओं से अवगत हुआ हूं. डीसी ने धुमकुड़िया भवन के प्रांगण में टाना भगत और ग्रामीण लोगों के साथ बैठक की. इस दौरान टाना भगत समुदाय के लोगों ने डीसी और एसपी का स्वागत किया.

टाना भगत समुदाय के मुखिया कार्तिक टाना भगत और सचिव शोभा टाना भगत ने डीसी को गांव की कई समस्याओं से अवगत कराया. उन्होंने डीसी से कहा कि गोंदलीपानी के इस गांव में 100 से अधिक परिवार रहते हैं, आप पहले अधिकारी हैं जो हमसे मिलने आये हैं और हमारी समस्याओं के बारे में जानने आए हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के कई साल हो गए, लेकिन आजादी के बाद से घने जंगलों में बसे और विकास से कोसों दूर हमारे गांव को अंधेरे से मुक्ति नहीं मिली, इसे मुक्ति दिलाएं.

शिक्षक की मांग: ग्रामीणों ने डीसी को गांव के स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक की मांग का मांग पत्र सौंपा. डीसी और एसपीने स्कूल और आंगनबाडी केंद्र का निरीक्षण कर जायजा लिया. निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में विद्यालय के सभी क्लास की छत से पानी टपकता है. इमारत बेहद जर्जर हालत में है.

विद्यालय के शौचालय में पानी की व्यवस्था करने की बात कही गयी. आंगनबाडी भवन के निरीक्षण के दौरान बताया गया कि आंगनबाडी भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए छत गिरने के डर से बच्चों को बाहर पेड़ के नीचे तथा खुले स्थान पर पढ़ाया जाता है. डीसी ने गांव के युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए खेल मैदान के लिए स्थल का निरीक्षण किया. स्थल निरीक्षण के बाद उन्होंने अंचलाधिकारी को "पोटो हो खेल विकास योजना" के तहत खेल मैदान बनाने का निर्देश दिया.

डीसी ने 15वें वित्त आयोग की कई महत्वपूर्ण छोटी-छोटी योजनाओं का चयन कर क्रियान्वयन करने का भी निर्देश दिया. इसके अलावा ग्रामीणों ने डीसी को पानी की समस्या से अवगत कराते हुए पेयजल के लिए जलमीनार, चापाकल आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.

एसपी ने ग्रामीणों से उनकी आजीविका के बारे में जानकारी ली. जिस पर ग्रामीणों ने बताया कि यहां के सभी लोग जंगल पर निर्भर हैं, कुछ कृषि कार्य कर तथा वन उपज एकत्रित कर उसे बाजार में बेचकर अपनी जीविकोपार्जन करते हैं. जिस वक्त इस गांव में घटना घटी, उस वक्त सभी सूचना तंत्र मौजूद थे.

गोंदलीपानी गांव में सारे तंत्र फेल: बता दें कि सिमडेगा जिले का यह गोंदलीपानी गांव एक ऐसा सुदूरवर्ती गांव है. जहां करीब 7 साल पहले आपसी विवाद में तीन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. लेकिन अगले दो दिनों तक इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली. यहां सारे सूचना तंत्र फेल हो गये थे. दो दिन तक इसकी जानकारी न तो पुलिस को हुई और न ही किसी मीडिया या अन्य तंत्र को. घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था, सभी ग्रामीण गांव छोड़कर भाग गये थे. दो दिन बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने कुछ अन्य गांवों के ग्रामीणों की मदद से कभी पैदल, कभी कंधे पर तो कभी साइकिल के सहारे कई किलोमीटर का सफर तय कर शव को लेकर सिमडेगा सदर अस्पताल पहुंची. यह गोंदलीपानी गांव सिमडेगा के अतिनक्सल प्रभावित गांवों में से एक है.

यह भी पढ़ें: Simdega News: उपायुक्त अजय कुमार सिंह ने कहा- पर्यटन से जिले के विकास में आएगी गति

यह भी पढ़ें: सिमडेगा: उपायुक्त ने पाकरटांड के टाना भगतों से की मुलाकात, कोरोना वैक्सीन को लेकर शंका को किया दूर

यह भी पढ़ें: टिनगिना गांव पहुंचे उपायुक्त सुशांत गौरव, जमीन पर बैठ सुनी लोगों की समस्याएं

सिमडेगा: उपायुक्त अजय कुमार सिंह और एसपी सौरभ कुमार ने पाकरटांड़ प्रखंड अंतर्गत आसनबेड़ा पंचायत के गोंदलीपानी गांव का दौरा किया. डीसी गोंदलीपानी गांव पहुंचे और वहां ग्रामीणों से मुलाकात की और कहा कि मैं आप लोगों की समस्याओं से अवगत हुआ हूं. डीसी ने धुमकुड़िया भवन के प्रांगण में टाना भगत और ग्रामीण लोगों के साथ बैठक की. इस दौरान टाना भगत समुदाय के लोगों ने डीसी और एसपी का स्वागत किया.

टाना भगत समुदाय के मुखिया कार्तिक टाना भगत और सचिव शोभा टाना भगत ने डीसी को गांव की कई समस्याओं से अवगत कराया. उन्होंने डीसी से कहा कि गोंदलीपानी के इस गांव में 100 से अधिक परिवार रहते हैं, आप पहले अधिकारी हैं जो हमसे मिलने आये हैं और हमारी समस्याओं के बारे में जानने आए हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के कई साल हो गए, लेकिन आजादी के बाद से घने जंगलों में बसे और विकास से कोसों दूर हमारे गांव को अंधेरे से मुक्ति नहीं मिली, इसे मुक्ति दिलाएं.

शिक्षक की मांग: ग्रामीणों ने डीसी को गांव के स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक की मांग का मांग पत्र सौंपा. डीसी और एसपीने स्कूल और आंगनबाडी केंद्र का निरीक्षण कर जायजा लिया. निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में विद्यालय के सभी क्लास की छत से पानी टपकता है. इमारत बेहद जर्जर हालत में है.

विद्यालय के शौचालय में पानी की व्यवस्था करने की बात कही गयी. आंगनबाडी भवन के निरीक्षण के दौरान बताया गया कि आंगनबाडी भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए छत गिरने के डर से बच्चों को बाहर पेड़ के नीचे तथा खुले स्थान पर पढ़ाया जाता है. डीसी ने गांव के युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए खेल मैदान के लिए स्थल का निरीक्षण किया. स्थल निरीक्षण के बाद उन्होंने अंचलाधिकारी को "पोटो हो खेल विकास योजना" के तहत खेल मैदान बनाने का निर्देश दिया.

डीसी ने 15वें वित्त आयोग की कई महत्वपूर्ण छोटी-छोटी योजनाओं का चयन कर क्रियान्वयन करने का भी निर्देश दिया. इसके अलावा ग्रामीणों ने डीसी को पानी की समस्या से अवगत कराते हुए पेयजल के लिए जलमीनार, चापाकल आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.

एसपी ने ग्रामीणों से उनकी आजीविका के बारे में जानकारी ली. जिस पर ग्रामीणों ने बताया कि यहां के सभी लोग जंगल पर निर्भर हैं, कुछ कृषि कार्य कर तथा वन उपज एकत्रित कर उसे बाजार में बेचकर अपनी जीविकोपार्जन करते हैं. जिस वक्त इस गांव में घटना घटी, उस वक्त सभी सूचना तंत्र मौजूद थे.

गोंदलीपानी गांव में सारे तंत्र फेल: बता दें कि सिमडेगा जिले का यह गोंदलीपानी गांव एक ऐसा सुदूरवर्ती गांव है. जहां करीब 7 साल पहले आपसी विवाद में तीन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. लेकिन अगले दो दिनों तक इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली. यहां सारे सूचना तंत्र फेल हो गये थे. दो दिन तक इसकी जानकारी न तो पुलिस को हुई और न ही किसी मीडिया या अन्य तंत्र को. घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था, सभी ग्रामीण गांव छोड़कर भाग गये थे. दो दिन बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने कुछ अन्य गांवों के ग्रामीणों की मदद से कभी पैदल, कभी कंधे पर तो कभी साइकिल के सहारे कई किलोमीटर का सफर तय कर शव को लेकर सिमडेगा सदर अस्पताल पहुंची. यह गोंदलीपानी गांव सिमडेगा के अतिनक्सल प्रभावित गांवों में से एक है.

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