सिमडेगा: कौन कहता है कि इस दुनिया में आज कोई सुरक्षित जगह नहीं है! एक मां का आंचल तो है ही, जो हर युग में बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित जगह होती है. शायद यही कारण है कि 6 माह पूर्व अपने माता पिता (Rani met her parents after 6 months) से दूर हुई रानी अपने परिवार से मिलने की खुशी में भावुक हो गई और यह सब हुआ डालसा के सहयोग से, जिसने गढ़वा डालसा से संपर्क कर रानी के माता पिता को ढूंढ निकाला.
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रानी झारखंड की कोरबा जनजाति से है : रानी कुमारी झारखंड के लुप्तप्राय जनजाति कोरबा जाति से है. जो गढ़वा के गांव बोल कदवा, थाना-चिनया से अपनी फुफेरी बहन के साथ काम की तलाश में 6 माह पूर्व सिमडेगा बानो प्रखंड पहुंची थी. जहां रोड़े तोपनो नामक व्यक्ति के घर में रहकर रानी बानो के बारला होटल में काम किया करती थी.
रोड़े तोपनो को ढूंढने में पुलिस ने नहीं दिखाई दिलचस्पी: जिस फुफेरी बहन के भरोसे रानी बानो सिमडेगा आई थी. सर्वप्रथम उसने धोखा दिया और रानी को छोड़कर चली गई. 4 महीनों तक होटल में काम करने के बाद होटल मालिक ने आधे पैसे ₹4000 हजार रानी को दिये. तो आधे 4 हजार उसकी बहन के खाते में डाल दिया. दुकानदार से मिले 4 हजार लेकर घर पहुंची रानी को अकेला पाकर रोड़े तोपनो उसके पैसे, मोबाइल, आधार कार्ड सहित अन्य कागजात लेकर घर से भाग गया.
कुछ बचे पैसों को लेकर रानी भी उसके घर से निकल गई. भटकती रानी कुमारी को देख बानो पुलिस सिमडेगा वन स्टॉप सेंटर छोड़ दी. हालांकि बानो पुलिस ने इस दौरान रोड़े तोपनो को ढूंढने या पूछताछ करने की जरूरत नहीं समझा. वन स्टॉप सेंटर में 5 दिनों तक रखने के बाद रानी को नारी निकेतन भेज दिया गया. जहां कार्यरत लोगों द्वारा इसका नाम पता जानने की कोशिश की गई. परंतु यह पूरी तरह कुछ भी बताने में असमर्थ थी.
सहयोग विलेज में कार्यरत रूदम बहा सांगा द्वारा इसकी जानकारी विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार सिंह को दी गई. पूरी टीम ने इस बच्ची को उसके परिवार से मिलाने की ठानी, फिर रानी के बताए गांव और उसके भाषा के आधार पर खोजबीन शुरू की गई. अंततः गढ़वा के विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव विपुल कुमार के सहयोग से रानी कुमारी के माता-पिता को ढूंढ निकाला गया. गढ़वा न्यायपालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए वाहन से रानी के माता पिता सिमडेगा पहुंचे.
जिस बच्ची को वे मृत मान चुके थे. उसके मिलने की खबर से जहां माता-पिता भावुक हो गए. वहीं महीनों बाद अपनी मां पिता से मिलकर रानी भावुक होकर लिपट गयी. सिमडेगा कोर्ट परिसर में एडीजे आशा डी भट्ट ने रानी को उनके माता-पिता को सौंप दिया. इस दौरान एडीजे, सीजेएम आनंद मणि त्रिपाठी और विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सचिव मनीष कुमार द्वारा कंबल और कपड़े प्रदान किए गए.
रानी माता-पिता से मिलकर खुश: महीनों पूर्व जो खुशी रानी के चेहरे से कहीं गुम हो गयी थी, माता पिता से मिलकर वो फिर से वापस लौट आई. रानी कहती है कि वो अब अपने गांव, घर और परिवार को छोड़कर कभी बाहर नहीं जाएगी. डालसा और उनकी टीम को धन्यवाद देते हुए रानी कहती है कि उसकी तरह दूसरी लड़कियां भी काम की तलाश में गैरों पर भरोसा कर अपने परिवार मां- पिता का साथ छोड़ कर बाहर ना जाए. क्योंकि वह नहीं चाहती कि जैसा उसके साथ हुआ है, वह किसी दूसरे के साथ हो और भावुक शब्दों के साथ रानी अपने मां-पिता से मिलने की खुशी लिए हल्की मुस्कान के साथ चुप हो जाती है.
इधर सचिव मनीष कुमार कहते हैं कि उन्हें इस बात की बहुत खुशी है कि रानी के माता-पिता को ढूंढने में वह कामयाब हो सके. अब वे सकुशल रानी को उनके परिजनों को सौंप देंगे. कहा कि इस पूरे काम के लिए उन्होंने गढ़वा डालसा के सचिव विपुल कुमार और उनकी टीम का भरपूर सहयोग मिला.