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Seraikela News: आत्मनिर्भरता की बानगी पेश करती गम्हरिया की महिलाएं, समिति से बना दिया एक्सपोर्ट कंपनी - झारखंड न्यूज

सरायकेला के गम्हरिया क्षेत्र की महिलाएं अपने हाथों से अपना भविष्य गढ़ रही हैं. घर की दलीज लांघकर बढ़ते कदम की बानगी ऐसी कि 12 महिलाओं से शुरू हुई महिला समिति ने एक एक्सपोर्ट कंपनी का स्वरूप ले लिया है. स्वरोजगार से जुड़ी महिलाएं आज अपने हुनर से परिवार की देखरेख करने में सक्षम साबित हो रही हैं.

women became self employed by setting export company from group committee In Seraikela
सरायकेला में समूह समिति से निर्यात कंपनी स्थापित कर महिलाएं स्वरोजगार हुईं
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Published : Apr 9, 2023, 9:51 AM IST

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सरायकेला: महिलाएं आज समाज में हर वह मुकाम पा रही हैं जो वे पाना चाहती हैं. पुरुष प्रधान समाज में आज महिलाएं घर की दहलीज लांघ आत्मनिर्भर बन रही हैं. परिवार के साथ समाज में भी महिलाएं अपनी आम भूमिका अदा कर रही हैं. ये कहानी है गम्हरिया की पहली महिला समिति की.

इसे भी पढ़ें- विस्थापन के दर्द को आंदोलन नहीं स्वरोजगार से जोड़ा, अब दास्ताने बनाकर आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

ये सच बात है कि पति की कमाई से घर चलाना आसान नहीं है. लिहाजा महिलाओं ने ठाना कि अब वह भी स्वरोजगार करेंगी और दूसरे महिलाओं को भी इससे जोड़ इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का स्वरूप देंगे. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है सरायकेला के गम्हरिया क्षेत्र के रहने वाली 2 महिलाओं ने, जिन्होंने महज 12 महिलाओं के साथ शुरू किए महिला संगठन का विस्तार करते हुए उसे आज एक्सपोर्ट कंपनी का स्वरूप दिया है.

कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रही महिलाओं को देख कुछ करने की ठानीः महिला विकास संगठन कि सचिव रंजल सिंह और अध्यक्ष छंदा विश्वास सेन महिला समिति का गठन कर महज 10 से 12 महिलाओं को छोटे-मोटे लोन प्रदान कर आजीविका चलाने के लिए कार्य कर रही थीं. इस बीच कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते इन 12 महिलाओं के आर्थिक तंगी को देख दोनों महिलाओं ने ठाना कि वे अब अपने संगठन का विस्तार करेंगी. महिलाओं को जोड़कर इसे कंपनी का स्वरूप देते हुए महिलाओं को आजीविका और परिवार चलाने सम्मानजनक राशि जुटाने का प्रयास करेंगी. इसी हौसले के साथ इन्होंने एक्सपोर्ट कंपनी गठन की ठानी और कंपनी गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया है.

इन महिलाओं का मानना है कि कोई महिला कमजोर नहीं होती अगर वह ठान ले उसे कोई काम करना है तो वह दिन रात एक कर उसे जरूर पूरा कर लेती है. इन महिलाओं का मानना है कि एक महिला में कामगार से लेकर मैनेजर तक के सारे गुण होते हैं जरूरत है बस उसे पहचान कर फोकस करने की. दोनों महिलाओं ने आज कड़ी मेहनत कर एक्सपोर्ट कंपनी खड़ा किया है. यह महिलाएं बताती हैं कि इन्हें परिवार के लोग खासकर पुरुष जैसे पति और भाइयों का विशेष योगदान मिला. जिसके चलते आज ये एक्सपोर्ट कंपनी की शुरुआत कर रही है.

सरायकेला के गम्हरिया क्षेत्र में मां दुर्गा महिला समिति जिले की पहली महिला समिति है, जो अब एक्सपोर्ट कंपनी के रूप में काम कर रही है. आर एंड सी एक्सपोर्ट कंपनी 12 महिलाओं से शुरू हुई थी आज ये एक एक्सपोर्ट कंपनी बन गयी है. समिति की महिलाओं ने इस कंपनी का विधिवत शुभारंभ किया. इसमें महिला विकास संगठन की सचिव रंजल सिंह और अध्यक्ष छंदा विश्वास सेन को भी पूरा श्रेय जाता है क्योंकि उन्होंंने लोन देने से लेकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से गठित किए गए महिला समिति को एक्सपोर्ट कंपनी तक पहुंचाने में काफी परिश्रम दिखाया है. साथ ही एक्सपोर्ट कंपनी का गठन कर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया. अब इनके संगठन से तकरीबन 500 महिलाएं जुड़ चुकी हैं. कुछ इनके पास आकर काम करती हैं तो कुछ घर से ही काम कर पैसे कमा रही हैं.

खिलौना निर्माण और सिलाई का मुफ्त प्रशिक्षणः इस समिति की महिलाओं की एक्सपोर्ट कंपनी में यूनिफॉर्म बनाने, कपड़ों की सिलाई, खिलौनों के निर्माण की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए महिलाओं को यहां मुफ्त में इसके गुर सिखाए जाएंगे. एक्सपोर्ट कंपनी से अन्य कंपनियों में महिलाएं वेंडरशिप भी प्राप्त करेंगी, जहां महिलाओं से जुड़े कार्य समिति को मिलेगा. मौजूदा समय में कई निजी कंपनियों में इन्होंने काम शुरू भी कर दिया है. वैसे संस्थान जिन्होंने 30 फीसदी महिलाओं को रोजगार देने का निर्णय लिया है, उन कंपनियों पर भी इन्होंने फोकस कर कार्य प्रारंभ किया है जिससे ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को रोजगार प्राप्त होने लगा है.

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सरायकेला: महिलाएं आज समाज में हर वह मुकाम पा रही हैं जो वे पाना चाहती हैं. पुरुष प्रधान समाज में आज महिलाएं घर की दहलीज लांघ आत्मनिर्भर बन रही हैं. परिवार के साथ समाज में भी महिलाएं अपनी आम भूमिका अदा कर रही हैं. ये कहानी है गम्हरिया की पहली महिला समिति की.

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ये सच बात है कि पति की कमाई से घर चलाना आसान नहीं है. लिहाजा महिलाओं ने ठाना कि अब वह भी स्वरोजगार करेंगी और दूसरे महिलाओं को भी इससे जोड़ इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का स्वरूप देंगे. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है सरायकेला के गम्हरिया क्षेत्र के रहने वाली 2 महिलाओं ने, जिन्होंने महज 12 महिलाओं के साथ शुरू किए महिला संगठन का विस्तार करते हुए उसे आज एक्सपोर्ट कंपनी का स्वरूप दिया है.

कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रही महिलाओं को देख कुछ करने की ठानीः महिला विकास संगठन कि सचिव रंजल सिंह और अध्यक्ष छंदा विश्वास सेन महिला समिति का गठन कर महज 10 से 12 महिलाओं को छोटे-मोटे लोन प्रदान कर आजीविका चलाने के लिए कार्य कर रही थीं. इस बीच कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते इन 12 महिलाओं के आर्थिक तंगी को देख दोनों महिलाओं ने ठाना कि वे अब अपने संगठन का विस्तार करेंगी. महिलाओं को जोड़कर इसे कंपनी का स्वरूप देते हुए महिलाओं को आजीविका और परिवार चलाने सम्मानजनक राशि जुटाने का प्रयास करेंगी. इसी हौसले के साथ इन्होंने एक्सपोर्ट कंपनी गठन की ठानी और कंपनी गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया है.

इन महिलाओं का मानना है कि कोई महिला कमजोर नहीं होती अगर वह ठान ले उसे कोई काम करना है तो वह दिन रात एक कर उसे जरूर पूरा कर लेती है. इन महिलाओं का मानना है कि एक महिला में कामगार से लेकर मैनेजर तक के सारे गुण होते हैं जरूरत है बस उसे पहचान कर फोकस करने की. दोनों महिलाओं ने आज कड़ी मेहनत कर एक्सपोर्ट कंपनी खड़ा किया है. यह महिलाएं बताती हैं कि इन्हें परिवार के लोग खासकर पुरुष जैसे पति और भाइयों का विशेष योगदान मिला. जिसके चलते आज ये एक्सपोर्ट कंपनी की शुरुआत कर रही है.

सरायकेला के गम्हरिया क्षेत्र में मां दुर्गा महिला समिति जिले की पहली महिला समिति है, जो अब एक्सपोर्ट कंपनी के रूप में काम कर रही है. आर एंड सी एक्सपोर्ट कंपनी 12 महिलाओं से शुरू हुई थी आज ये एक एक्सपोर्ट कंपनी बन गयी है. समिति की महिलाओं ने इस कंपनी का विधिवत शुभारंभ किया. इसमें महिला विकास संगठन की सचिव रंजल सिंह और अध्यक्ष छंदा विश्वास सेन को भी पूरा श्रेय जाता है क्योंकि उन्होंंने लोन देने से लेकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से गठित किए गए महिला समिति को एक्सपोर्ट कंपनी तक पहुंचाने में काफी परिश्रम दिखाया है. साथ ही एक्सपोर्ट कंपनी का गठन कर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया. अब इनके संगठन से तकरीबन 500 महिलाएं जुड़ चुकी हैं. कुछ इनके पास आकर काम करती हैं तो कुछ घर से ही काम कर पैसे कमा रही हैं.

खिलौना निर्माण और सिलाई का मुफ्त प्रशिक्षणः इस समिति की महिलाओं की एक्सपोर्ट कंपनी में यूनिफॉर्म बनाने, कपड़ों की सिलाई, खिलौनों के निर्माण की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए महिलाओं को यहां मुफ्त में इसके गुर सिखाए जाएंगे. एक्सपोर्ट कंपनी से अन्य कंपनियों में महिलाएं वेंडरशिप भी प्राप्त करेंगी, जहां महिलाओं से जुड़े कार्य समिति को मिलेगा. मौजूदा समय में कई निजी कंपनियों में इन्होंने काम शुरू भी कर दिया है. वैसे संस्थान जिन्होंने 30 फीसदी महिलाओं को रोजगार देने का निर्णय लिया है, उन कंपनियों पर भी इन्होंने फोकस कर कार्य प्रारंभ किया है जिससे ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को रोजगार प्राप्त होने लगा है.

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